देश की राजधानी दिल्ली में 27 साल बाद खिला कमल भाजपा द्वारा अन्य दलों की भांति मुफ्त की रेवड़ी बांटने का जो ऐलान किया गया उसके आगे कांग्रेस का तो खाता ही नहीं खुला लेकिन केजरीवाल की आप पार्टी के 62 के घटकर 22 विधायक रह गये। और भाजपा को 70 से 48 चुनाव क्षेत्र में मिले विजय परिणाम स्वरूप दिल्ली में सरकार तो बदली ही राजनीति का पासा ही पलट गया। तो यह भी स्पष्ट हुआ कि इस हार से विपक्ष को झटका तो लगा अगर उसने दिल्ली के जनादेश का संदेश लेकर अपना अहम और एक दूसरे को निचा दिखाने की जो फितरत अपना रखी है वो नहीं छोड़ी तो अभी तो एक दो प्रदेशों में विपक्ष की सरकार है भी भविष्य में मोदी विजन और मतदाताओं का उनके नेतृत्व में जमता विश्वास विपक्ष को पूरी तौर पर एक तरफ कर सकता है।
दिल्ली की जीत के लिए पूरे देश में भाजपाईयों और उनके समर्थक दलों के कार्यकर्ता व नेता खुशियां मना रहे है नाचते गाते मिठाईयां बांट रहे है। और ऐसा हो भी क्यों ना। पिछले लगभग तीन दशक से सरकार बना रही आप की राजनीति को ध्वस्त कर इन्द्रप्रस्थ में भगवा का परचम फहरा गया। देश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले दिल्ली प्रदेश का चुनाव भी परिणाम आ गये स्थिति भी स्पष्ट हो गई लेकिन अभी मुख्यमंत्री की आस लगाये बैठे जीते हुए विधायकों को करना पड़ेगा इंतजार। क्योंकि सीएम का सेहरा किसके सिर बंधे यह फैसला पीएम के अमेरिकी यात्रा से लौटने के बाद ही होगा। हां यह जरूर है कि गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नेयडा के बीच मुख्यमंत्री को लेकर बैठके होना जारी है। इसके अतिरिक्त भी अन्य नेता दिल्ली के सीएम को लेकर आपस में चर्चा करने और उम्मीदवारी की आस लगाये विधायक बड़े नेताओं तक अपना नाम पहुंचवाने के लिए पूरी तौर पर जोड़तोड़ पर लगे है। बताते चले कि चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने वहां की जनता को विश्वास दिलाया था कि ज्यादा से ज्यादा समय वो दिल्ली को देंगे उनकी बात पर विश्वास रख उनके द्वारा दिये गये नारे आपदा के कुकर्मों की पीड़ा से दिल्ली को करायेंगे मुक्त को साकार करने में पूरा सहयोग दिया और आपदा का दाव भारी पड़ गया।
सफलता सिर चढ़कर बोलती है और अपनों के साथ साथ दूसरों से भी प्रशंसा प्राप्त करने लगती है। और एक बात और साफ हुई कि जहां आम आदमी पार्टी की छवि का मिथक टूटा वहीं यह भी स्पष्ट हो रहा है कि राजनीति में सहरा हमेशा किसी एक व्यक्ति के सिर नहीं बंधता और ना ही कोई एक दल हमेशा सत्ता संभाले रहा इसका सबसे बड़ा उदाहरण आजादी के बाद देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी जिसने कई दशक तक देश की राजनीति में एक छत्र राज किया वो भी टिक नहीं पाई जो स्थिति पूर्व में कांग्रेस की थी वो अब भाजपा की हो गई है। इस जीत के लिए भाजपा का मजबूत प्रचार त्रंत हर घर तक दस्तक 14सौ नुक्कड़ जन सभाऐं 1650 जनसभाऐं देश के सभी प्रदेशों में जहां जहां भाजपा की सरकार है वहां के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों को चुनाव प्रचार के साथ साथ अपने अपने प्रदेशों के मुल निवासी जो दिल्ली में रह रहे है वो भाजपा उम्मीदवारों को जिताने का जिम्मा तथा आप के बड़े नेताओं को उनकी सीटों पर चक्रव्यूह रच घेरा साथ ही 6 माह पूर्व भी अभियान चलाकर झुग्गी झोपड़ियों में जनाधार मजबूत किया और वहां 18 सीटे जीतने में सफलता मिली और विपक्षी दल कांग्रेस और आप मजबूती से अपना प्रचार करने के चक्कर में एक दूसरे को हराने का कारण बन गये। वो बात और है कि कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ा और आप पार्टी की राजनीति की जमीन ही खिसक गई। वर्ना भ्रष्टाचार तो हर जगह ढूंढ़ने से मिल सकता है लेकिन भाजपा ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर आठवें वेतन आयोग की घोषणा और बजट में बड़ी कर छूट झुग्गियों की जगह मकान बनवाकर देने का वायदा पेय जल की समस्या का समाधान और टूटी सड़कों से दिल्ली को मुक्त कराने के वायदे पर मतदाता को विश्वास करने के लिए भाजपा ने मजबूर किया और चुनाव में जीत का परचम फहरा दिया।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महासचिव व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य)
मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद तय होगा इन्द्रप्रस्थ का राजा कौन!
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