नई दिल्ली 17 मार्च। यदि आपके वाहन ने 15 साल की आयु पूरी कर ली है व रजिस्ट्रेशन आगे नहीं बढ़ाया गया है तो उसे घर पर रखना अब गैरकानूनी होगा। नए स्क्रैपिंग नियमों के तहत आयु पूरी करने के 180 दिनों के भीतर वाहन को पंजीकृत स्क्रैपिंग या संग्रहण केंद्रों पर जमा करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर स्वामी पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माना, वाहन का रजिस्ट्रेशन रद करने के अलावा अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती हैं। इसके साथ ही वाहन निर्माताओं को भी हर साल एक तय मानक के तहत वाहनों की स्क्रैपिंग का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, तभी उन्हें नए वाहनों के निर्माण की अनुमति मिलेगी। इन नियमों से कृषि कार्य में लगे वाहनों को मुक्त रखा गया है।
पुराने वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने को वन व पर्यावरण मंत्रालय ने स्क्रैपिंग के नए नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है, जो देशभर में एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। इन नियमों में वाहन निर्माताओं के साथ-साथ वाहन मालिकों को भी जवाबदेह बनाया गया है। निर्माताओं के लिए एक निर्धारित मात्रा में वाहनों की स्क्रैपिंग अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि, यह उन्हें खुद नहीं करना होगा बल्कि देश के अधिकृत स्क्रैपिंग केंद्रों से प्रमाणपत्र लेकर प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद ही उन्हें नए वाहनों के प्रोडक्शन की अनुमति दी जाएगी। स्क्रैपिंग के लिए जो मानक निर्धारित किए गए हैं, वे वाहनों में इस्तेमाल की गई स्टील की मात्रा पर आधारित हैं। फिलहाल वाहन निर्माताओं को बताना होगा कि किस वर्ष वाहनों के निर्माण में उनकी ओर से कितनी स्टील इस्तेमाल की गई थी।
मंत्रालय ने 2025-26 के लिए वाहन उत्पादकों के लिए स्क्रैपिंग के जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वे गैर-परिवहन वाहनों के लिए वर्ष 2005-06 के आधार पर और परिवहन वाहनों के लिए वर्ष 2010- 11 के आधार पर निर्धारित किए गए हैं। वाहन निर्माताओं और राज्यों को जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए भी कहा गया है।
दिल्ली-एनसीआर में नहीं दौड़ सकते हैं 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन
सभी राज्यों ने वाहनों की आयु अपने- अपने हिसाब से निर्धारित कर रखी है। दिल्ली-एनसीआर में जहां 15 साल से अधिक के पेट्रोल और 10 साल से अधिक के डीजल वाहनों के संचालन पर रोक है, वहीं बाकी राज्यों में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहन यदि फिट है तो वह 15 साल के बाद भी सड़कों पर दौड़ सकता है। हालांकि 15 साल के बाद प्रत्येक पांच वर्ष में इसके फिटनेस की आरटीओ की देखरेख में जांच करानी होगी। इसमें यदि वह फिट पाया जाता है। तो उसके रजिस्ट्रेशन को पांच साल की अवधि के लिए और बढ़ाया जा सकता है।