आगरा, 29 मई। आगरा के चर्चित पनवारी कांड के तीन दिन बाद थाना कागारौल क्षेत्र में हुए जातीय संघर्ष में 35 साल बाद 35 आरोपियों को बुधवार को अदालत ने दोषी पाया है। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट पुष्कर उपाध्याय ने 32 आरोपियों को जेल भेजने के आदेश दिए। तीन आरोपियों के हाजिर न होने पर उनके विरुद्ध गैर जमानतीय वारंट जारी किए गए हैं। एक नाबालिग की पत्रावली किशोर न्यायालय भेजी गई है। वहीं साक्ष्य के अभाव में 15 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इस मामले में 30 को सजा सुनाई जाएगी।
21 जून 1990 पनवारी कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप अकोला गांव की उदर बस्ती आदि में 24 जून 1990 को जातीय संघर्ष हुआ था। थाना कागारौल के तत्कालीन एसएचओ ओमपाल सिंह राना ने मुकदमा दर्ज कराया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हेमन्त दीक्षित ने बताया कि मामले में 31 लोगों की गवाही अहम रही। अदालत ने 35 आरोपियों को दोषी पाया है।
मामले में 31 लोगों की गवाही अहम रही। इस पर अदालत ने 35 आरोपियों को दोषी पाया है। कड़ी सुरक्षा में 32 आरोपी जेल भेज दिए गए। मामले में अदालत 30 मई को फैसला सुनाएगी। जबकि पनवारी कांड मामले में 32 साल बाद चार अगस्त 2022 को विधायक चौधरी बाबूलाल समेत आठ आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए थे। दोषी करार देते ही कुछ बुजुर्ग आरोपी रोने लगे। जातीय संघर्ष के कुछ आरोपी अब बुजुर्ग हो चुके हैं। दोषी करार होते ही कई बुजुर्ग रोने लगे। परिवारीजन उन्हें हिम्मत बंधा रहे थे। हवालात तक परिजन उनके साथ ही गए। पानी पिलाया।
32 लोगों को भेजा जेल, तीन नहीं हुए हाजिर
कोर्ट ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर अकोला निवासी जयदेव, राजेंद्र, पप्पू, तेजवीर, बन्नो, जीतू, कुंवरपाल, कल्लो, श्यामवीर, लीलाधर, भूपेंद्र, सत्तो, महेश, नाहर, रामवीर, सुरेंद्र, रामजीत, निरंजन, हरभान, पूरन सिंह, देवी सिंह पुत्र नवाब, उम्मेद सिंह, विज्जो, रामजीत, महेंद्र, संतराम, सुजान, सौदान, महतरव, दंगल, रज्जो, संपत और तीन अन्य को दोषी माना है। दोषियों को जेल भेज दिया गया। हालांकि तीन लोग हाजिर नहीं हुए। वहीं, कोर्ट ने संदेह के लाभ में अकोला और नगला श्याम निवासी राजो, भूरा उर्फ निरोत्तम, करतार, बलवीर, बनय सिंह, सूखे, बीरी सिंह, रामपाल, रग्गो, देवी सिंह, मांगे लाल, किशन पाल, शिब्बो व अन्य दो आरोपियों सहित 15 को बरी कर दिया।
पनवारी कांड में हुए बवाल में थाना सिकंदरा में भी केस दर्ज हुआ था। 32 साल सुनवाई होने के बाद 4 जुलाई 2022 को विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया था। साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए आरोपी वर्तमान भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल, मुन्नालाल, रामवीर सिंह, रूप सिंह, देवी सिंह, शिवराम, श्यामवीर, सत्यवीर को बरी कर दिया था।