महाकुंभ तक हर आदमी को पहुंचाने और धर्म कर स्नान हेतु प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित हर जिम्मेदार व्यक्ति प्रयासरत है। यह मेला ही ऐसा अवसर है जहां गरीब अमीर एक ही घाट पर स्नान कर सकते हैं। मगर गरीब की बात दूर मध्यम दर्जे का आम व्यक्ति भी कुंभ मेले तक पहुंचने के लिए जो किराये उडडयन कंपनियां वसूल रही हैं उसे लेकर गली मोहल्लों से लेकर संसद तक आलोचना के साथ ही इसकी महंगाई से संबंध मुददा राज्यसभा में भी उठ चुका है। यात्रा की कितना महंगाई है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एयरपोर्ट से संगम तक 35 हजार तक किराए दिए जाने की खबरें पढ़ने को मिल रही है। विमान कंपनियों के द्वारा बढ़ाए गए किराए और कंुभ यात्रियों व भक्तों के आर्थिक उत्पीड़न को लेकर ऐसा नहीं है कि सरकार ने संज्ञान ना लिया हो लेकिन जितना किराया सामान्य दिनों की भांति होना चाहिए उससे ज्यादा लिया जा रहा है। पूर्व में एक खबर छपी कि जितने पैसो में लंदन सउदी अरब देशों की यात्रा की जा सकती है उससे ज्यादा किराया विमानन कंपनियां स्थानीय लोगों से वसूल रही है कुंभ तक जाने का। यह बात सही है हर व्यक्ति मुनाफा कमाना चाहता है लेकिन जमाखोरी के लिए नियम बनाए हैं। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की भावनाओं के विपरीत जाकर इस यात्रा को मुनाफे का माध्यम बना रहे विमान कंपनी संचालकों से अभी तक जो यात्री महंगा किराया देकर सफर कर चुके हैं उनका किराया वापस दिलाया जाए और आगे के लिए किराया निर्धारित हो। महाकुंभ के लिए हर रोज 46 उड़ाने हो रही है। जिससे यात्रियों को यह सुविधा तो है ही कि वो समय से स्नान तक अपने गंतव्य को लौट सकते हैं मगर मुनाफाखोरी का कोई स्थान नहीं होना चाहिए चाहे वह धार्मिक यात्रा हो या व्यवसायिक। जो किराया तय है उसी पर सफर कराना सुनिश्चित करे नागर विमानन मंत्रालय।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महाकुंभ के यात्रियों से ज्यादा किराया वसूलने वाले विमान संचालकों पर हो कार्रवाई, अब तक लिया गया ज्यादा पैसा कराया जाए वापस
0
Share.