लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए बीते दिवस केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल द्वारा संविधान के 129वें संशोधन विधेयक 2024 पेश किया गया। जिसके तहत पूरे देश में संसद और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की बात हुई। आरोप प्रत्यारोपों के बीच समर्थन में 269 और विरोध में 198 वोट पड़ने के उपरांत पीएम के सुझाव पर इसे संयुक्त संसदीय समिति जेपीसी के विचार के लिए भेज दिया गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा एक बजकर 55 मिनट पर इसके बाद सदन की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई। बताते चलें कि पहली बार नए सदन में किसी विधेयक पर इलेक्ट्रॉनिक मत विभाजन हुआ।
यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है कि सत्ताधारी दल अगर कोई विधेयक या प्रस्ताव पेश करता है तो उसका पास होना पक्का माना जाता है। क्योंकि मत विभाजन सदस्यों की उपस्थिति के आधार पर होता है। उसी से सत्ता और पक्ष की ताकत का भी पता चलता है। वैसे तो यह मुददा सरकार और उससे संबंध पार्टी के लोगों से जुड़ा है लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरीराज सिंह, और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा के 20 सांसदों का इस मुददे पर पेश होने के दौरान सदन में उपस्थित ना रहना एक गंभीर मुददा है। भले ही यह सत्ताधारी दल का व्यक्तिगत विषय हो लेकिन ऐसा होता है तो किसी समय बड़ा मुददा प्रभावित हो सकता है। इसलिए इन्हें नोटिस दिया जाना बिल्कुल सही कह सकते हैं। यह मुददा महत्वपूर्ण और भविष्य में ऐसा ना हो इसलिए कार्रवाई होना बहुत जरूरी है।
लोकसभा में बीते मंगलवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश होने के बाद सांसद में जोरदार हंगामा हुआ था। विपक्षी सांसदों ने बिल को लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। बिल को स्वीकार कराने के लिए लोकसभा में वोटिंग कराई गई। बिल के समर्थन में 269 सांसदों ने वोटिंग की तो विरोध में 198 सांसदों ने मत डाले। वैसे, वोटिंग के दौरान बीजेपी के कई सांसद गैरहाजिर रहे। अब उन्हें पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस पाने वालों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं। सूत्रों के हवाले से बताया कि स्पष्ट नहीं है कि जो लोग उपस्थित नहीं थे, क्या उन्होंने पार्टी को अपनी अनुपस्थिति के बारे में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम या अन्य कारण से सूचित किया था।
भाजपा के 20 सांसद थे अनुपस्थित
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीआर पाटिल समेत 20 सांसद लोकसभा में मतदान के दौरान अनुपस्थित थे। अनुपस्थित रहने वालों में शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना, चिंतामणि महाराज भी शामिल हैं।
लोकसभा अध्यक्ष और पार्टी को कुछ ऐसा करना चाहिए कि नीतिगत आधार पर आने वाले प्रस्तावों के समय अनुपस्थिति का कारण बताए बिना कोई भी सांसद गायब ना हो। ऐसा नियम देशहित में वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
एक देश एक चुनाव बिल पर नितिन गडकरी सिंधिया और गिरीराज जैसे मंत्रियों व सांसदों की अनुपस्थिति ?
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