नई दिल्ली 12 फरवरी। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा संकेत दिया है. उन्होंने रविवार को कहा कि दिल्ली के लोगों ने ठान लिया है कि वो सभी सात सीटें आम आदमी पार्टी (AAP) को देगी. ऐसे में अटकलें शुरू हो गई है कि क्या AAP दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी. इससे पहले अरविंद केजरीवाल ऐलान कर चुके हैं कि वो पंजाब की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.इससे पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने साथ में लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर सीट शेयरिंग पर चर्चा शुरू की थी. हालांकि कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका.
इंडिया गठबंधन के दलों की कमजोर पड़ती गांठ के बीच आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की बातचीत भी अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। माना जा रहा था कि बाकी राज्यों में सीट शेयरिग को लेकर भले ही दोनों पार्टियों के बीच अभी तक बात नहीं बन पाई हो, लेकिन दिल्ली में दोनों साथ मिलकर ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के बीच दिल्ली में बैठकों का दौर भी लगातार जारी है। लेकिन, इसी बीच आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को पंजाब में जो बयान दिया, उससे दिल्ली में भी अब दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होने की उम्मीदें धूमिल पड़ती दिखाई दे रही हैं।
पंजाब में एक रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने एक तरफ जहां लोगों से आम आदमी पार्टी को पंजाब की सभी 13 सीटों पर जीत दिलाने का आह्वान किया वहीं दिल्ली का भी जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों ने भी ठान लिया है कि इस बार सातों सीटें वो आम आदमी पार्टी को देंगे। केजरीवाल के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। चंडीगढ़ की एकमात्र लोकसभा सीट पर भी पार्टी अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी। गुजरात में एक और असम में तीन सीटों पर पार्टी ने पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर डाली है। इस हफ्ते गोवा, हरियाणा और गुजरात की बची हुई सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए पार्टी ने पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी की मीटिंग भी बुलाई हुई है। ऐसे में अब केवल दिल्ली में दोनों पार्टियों के मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी लगातार कमजोर पड़ती जा रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि चुनावों में आम आदमी पार्टी हमेशा दूसरी पार्टियों के मुकाबले अपने उम्मीदवार काफी जल्दी घोषित करती रही है, ताकि उन उम्मीदवारों को जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए और जनता भी उन्हें अच्छी तरह पहचान सके। कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में अभी तक सीट शेयरिंग पर बात बन नहीं पाई है। ऐसे में अब पार्टी दिल्ली में भी और ज्यादा देरी करने के मूड में नहीं है। पार्टी ने इसीलिए सातों सीटों पर अपना बैकअप प्लान भी तैयार कर रखा है, ताकि अगर कांग्रेस के साथ बात न बने तो उम्मीदवारों की घोषणा जल्द से जल्द की जा सके।