झांसी 09 जून। झांसी मेडिकल कॉलेज में एक महिला अपने बीमार पति और 11 साल के बेटे को छोड़कर चली गई। जब वह काफी देर तक नहीं लौटी, तब नर्स ने उसे फोन लगाया। इस पर उसने जवाब दिया कि मुझे कोई मतलब नहीं, मैं नहीं आऊंगी। बच्चे ने भी उससे बात की, लेकिन महिला नहीं आई। आखिरकार बीमार पति ने 2 दिन बाद दम तोड़ दिया।
पति को टीबी की बीमारी थी। उसकी 5 दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ी। महिला ने पति को महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। 3 दिन बाद अस्पताल से उसे डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन पत्नी उसे घर नहीं ले गई। फिर बहन ने फोन पर बात करके उसे डिस्चार्ज कराया। वार्ड बॉय उसे सीढ़ियों तक छोड़कर गया। लेकिन जब तक बहन उसे लेने पहुंची, तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया।
सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने बताया- बड़ागांव में रहने वाले सुनील गुप्ता (45) को 2 जून को घरवालों ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। उनको टीबी की बीमारी और खून की कमी थी। मरीज को मेडिसिन वार्ड-6 में भर्ती किया गया था। देख–रेख के लिए पत्नी रुकी थी। साथ में 11 साल का बेटा भी था।
5 जून को घरवालों को लगा कि सुनील नहीं बचेंगे। उन्होंने घर ले जाकर सेवा करने के लिए छुट्टी मांगी। इस पर डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया। लेकिन, उससे पहले ही पत्नी, पति और बेटे को छोड़कर चली गई। जब वह काफी देर तक नहीं लौटी, तो नर्स ने पत्नी से फोन पर बात की।
तब उसने आने से मना कर दिया। बोली- मुझे कोई मतलब नहीं। इसके बाद दोबारा से सुनील को वार्ड में रखा गया। उसका फिर से इलाज शुरू किया गया। बेटा भी अपने रिश्तेदारों को बुलाने की कोशिश करता रहा, लेकिन कोई नहीं आया।
7 जून को सुनील गुप्ता की बहन से फोन पर नर्स की बात हुई। बहन ने कहा- मेरे भाई को वार्ड के नीचे भिजवा दीजिए, हम लेने आ रहे हैं। इसके बाद सुनील को वार्ड बॉय व्हीलचेयर से नीचे लेकर गया। बाद में वहां सुनील ने दम तोड़ दिया। इसके बाद बहन आई और शव लेकर चली गई।
सुनील की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाए थे कि 5 जून को डिस्चार्ज होने के बाद से मरीज वार्ड के बाहर पड़ा था। उसे इलाज नहीं मिला। इसलिए सुनील की मौत हो गई। इस पर सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने 8 जून को जांच की। सीएमएस डॉ. माहुर ने बताया- 7 जून तक मरीज का इलाज चला। बहन के कहने पर वार्ड बॉय मरीज को बाहर छोड़ने गया। इसके CCTV भी हैं। घरवाले झूठे आरोप लगा रहे हैं।