asd महिला ने बाटा इंडिया से जूते खरीदे और कंपनी ने जबरन थमाया 6 रुपये का कैरी बैग, अब चुकाना पड़ेगा 61000 का जुर्माना

महिला ने बाटा इंडिया से जूते खरीदे और कंपनी ने जबरन थमाया 6 रुपये का कैरी बैग, अब चुकाना पड़ेगा 61000 का जुर्माना

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जयपुर 22 मई। जब ग्राहक जागरूक हो तो कोई भी कंपनी उसे चूना नहीं लगा सकती। चाहे कितनी भी बड़ी कंपनी या शोरूम हो। ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेगा तो उसे ठगना आसान काम नहीं है। जयपुर की एक महिला ने बाटा इंडिया से जूते खरीदे थे। जूते की कीमत के साथ कंपनी ने 6 रुपए का कैरी बैग साथ में दिया। महिला ने कहा कि उसे कैरी बैग की जरूरत नहीं है लेकिन शोरूम के काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने कैरी बैग की कीमत भी बिल में जोड़ दी। फिर क्या। महिला ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर दी। अब 6 रुपए के बदले कंपनी को 61 हजार रुपए चुकाने पड़ेंगे।

जयपुर के चांदपोल निवासी नीना पारीक 27 फरवरी 2024 को एमआई रोड स्थित जयंती बाजार गई थी। वहां दुकान नंबर 12 स्थित बाटा के शोरूम से एक जोड़ी जूते और एक जोड़ी स्लीपर खरीदी। जूते की कीमत 3999 रुपए और स्लीपर की कीमत 699 रुपए थी। दोनों आईटम की कुल कीमत 4698 रुपए हुई। नीना पारीक जब पेमेंट करने लगी तो उसे 4698 रुपए के बजाय 4704 रुपए का बिल दिया गया। 6 रुपए ज्यादा जोड़ने का कारण पूछा को शोरूम के काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने कहा कि यह 6 रुपए कैरी बैग के हैं। नीना ने कैरी बैग लेने से इनकार किया तो शोरूम के कर्मचारी ने साफ कहा कि कैरी बैग लो या ना लो, जूतों के साथ उसकी कीमत तो देनी पड़ेगी। इसके बाद नीना पारीक ने अपने क्रेडिट कार्ड से 4704 रुपए का पेमेंट किया।

जूते और स्लीपर के साथ नीना पारीक को जो कैरी बैग दिया गया। उस कैरी बैग पर बाटा का लोगो और क्यूआर कोड छपे हुए थे। इस पर नीना पारीक ने उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश करते हुए कहा कि बाटा कंपनी अपनी कंपनी का प्रचार करने के लिए कैरी बैग को जबरन बैच रही है। ग्राहक के मना करने के बावजूद भी कैरी बैग देकर रुपए वसूले जा रहे हैं। अगर कैरी बैग पर कोई विज्ञापन नहीं होता तो ठीक था लेकिन उस बैग पर कंपनी का लोगो और क्यूआर कोड है। कोड को स्कैन करने पर बाटा का पूरा विज्ञापन सामने आता है। यह ग्राहक सेवा नहीं बल्कि ग्राहकों के साथ ठगी है क्योंकि कंपनी के विज्ञापन वाला बैग देकर अनुचित लाभ उठाया जा रहा है।

परिवाद पेश करने के बाद आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोहन माथुर ने कंपनी को नोटिस भेजा। कंपनी के वकील ने कोर्ट में पेश होकर कहा कि शो रूम में साफ साफ लिखा है कि यहां कोई भी आइटम खरीदने पर कैरी बैग लेना अनिवार्य है। इस संबंध में कंपनी के नियमों की प्रति भी आयोग के समक्ष पेश की गई जिसमें कैरी बैग की कीमत तीन रुपए दर्शाई गई थी। नीना पारीक से 6 रुपए अतिरिक्त वसूले गए यानी दो कैरी बैग के रुपए वसूल लिए गए। कंपनी के एडवोकेट ने कहा कि कंपनी का नियम है कि जो भी कैरी बैग दिए जा रहे हैं, उन पर कंपनी का लोगो और क्यूआर कोड प्रकाशित हो। आयोग ने अब तक बेचे गए कैरी बैग की डिटेल मंगाई तो लाखों रुपए की आय अर्जित होना सामने आया। इस पर आयोग ने इसे ग्राहक सेवा नहीं बल्कि कंपनी का विज्ञापन माना।

दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद आयोग ने परिवादिया नीना पारीक के परिवाद को सही माना और कंपनी के तथ्यों को खारिज कर दिया गया। आयोग ने कंपनी को निर्देश दिए कि परिवादियों से वसूले गए 6 रुपए की एवज में अब 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करें। परिवादियों को मानसिक रूप से संताप हुआ। इसके लिए 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया और परिवादी के व्यय के लिए 11 हजार रुपए भी परिवादी को देने के निर्देश दिए। कंपनी को अगले दो महीने में परिवादी नीना पारीक को 61,000 रुपए चुकाने होंगे।

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