सहारनपुर 29 मई। 7 साल की उम्र के एक बच्चे का अपहरण हो गया था। किडनैपर्स उसे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से हजारों मील दूर मुंबई लेकर चले गए और वहां एक रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर छोड़कर फरार हो गए। उस घटना को 22 साल बीत चुके हैं और वो छोटा बच्चा अब जाकर अपनी मां से मिल सका है। मुंबई से दिल्ली और गाजियाबाद होते हुए वापस सहारनपुर पहुंचा बच्चे का मामला हर शख्स की जुबान पर है।
29 साल के हो चुके अमित कुमार का 7 की उम्र में उसे अगवा करके सुदूर मुंबई लेकर चले गए और वहां पर एक व्यस्त रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर छोड़ दिया। कई दिनों से रोते-बिलखते बच्चे को देखकर एक कपल ने उसे दिल्ली जाने वाली ट्रेन पर बिठा दिया। दिल्ली पहुंचकर बच्चे ने भीख मांगना और सड़कों पर घूमना शुरू कर दिया। पुलिस को मिलने पर वह गांव का नाम नहीं बता पा रहा था।
पुलिस ने उसे दिल्ली के अनाथालय भेजा, जहां दसवीं क्लास तक उसकी पढ़ाई हो गई। सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के बालाचोर और घुमावती गांवों का नाम उसे मुश्किल से याद रह रहा था। इसके अलावा उसे बैलगाड़ी और कोल्हू जैसी चीजें ही याद आ रही थीं। 18 साल की उम्र में उसने गाजियाबाद में एक शेल्टर होम में काम करना शुरू कर दिया, जहां उसकी मुलाकात हरियाणा के एक पुलिस सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार से हुई।
ऐंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में कार्यरत सब इंस्पेक्टर ने उसकी मदद शुरू की और वह बिछड़ने के 22 साल के बाद घर पहुंच गया। राजेश ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया, श्अमित असल में बाला चौक नामक जगह को बालाचोर बोल रहा था। काफी खोजने पर यही जगह मुझे मुजफ्फरनगर में इसी जगह पर कोल्हू और बैल सब मिल गए।श्
इसी महीने 19 मई को घर पहुंचे अमित अपनी मां से मिलकर रो पड़ा। दोनों मां-बेटे 22 साल के बाद मिले तो गले मिलकर आंसुओं और भावनाओं का ज्वार फूट पड़ा। अमित और उसके परिजन सब इंस्पेक्टर राजेश को धन्यवाद देते नहीं थक रहे हैं। दरअसल बचपन में ही उसकी मां सुनीता देवी और पिता जग्गू सिंह अलग हो गए थे। बच्चा अपने ननिहाल में बालाचोर में रहने लगा था। मां की दोबारा शादी हो गई और कुछ दिन बाद पिता उसे लेकर अपने साथ चले गए। इसी दौरान अपहरण वाला कांड हो गया।