मिला सम्मान हो वापिस, दोषी अधिकारियों पर भी की जाए कार्रवाई; शौचालय और स्वच्छता अभियान में सहयोगी जांच जरूरी है
शहर की प्रतिष्ठित कारोबारी फर्म कहलाने वाली शारदा एक्सपोर्ट और उससे संबंध अन्य प्रतिष्ठानों पर बीते दिवस प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा मेरठ सहित दिल्ली चंडीगढ़ ओर गोवा में 11 ठिकानों पर छापेमारी की गई। जो गत दिवस सुबह शुरू होकर देर रात तक चलने की खबरें पढ़ने को मिल रही हैं। बताते हैं कि 41 वर्ष में इस फर्म से संबंध आदित्य कुमार गुप्ता, आशीष गुप्ता, व जितेंद्र गुप्ता आदि द्वारा शारदा एक्सपोर्ट का कार्य कई देशों तक फैला दिया। चर्चा हैं कि इस कंपनी और इसके सहयोगी संस्थानों से जुड़े लोगों ने नोएडा में क्लाउड नाइन प्रोजेक्टस प्रा. लि. नाम से रियल इस्टेट में काम शुरू किया। कंपनी ने सेक्टर 37 में गु्रप हाउसिंक प्रोजेक्ट लांच करने के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण से जमीन ली थी जिसका करोड़ों रूपया कंपनी पर बकाया है। इसकी आरसी भी जारी हुई और एक पार्टनर आशीष गुप्ता 2019 मंे जेल गए और आदित्य गुप्ता फरार हो गए थे। बताते हैं कि 192 ए साकेत में निवास करने वाले शारदा एक्सपोर्ट के मालिक जितेंद्र गुप्ता की साकेत के अलावा परतापुर कंुडा रोड व रेलवे रोड स्थित फैक्ट्रियां व कोल्ड स्टोरेज हैं। चर्चा है कि 100 से ज्यादा देशों में उक्त कारोबारी ने अपने पांव पसार रखे हैं। मार्च 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को कंपनी के प्रमोटरों की जांच के आदेश दिए थे। माना जा रहा हे कि उसी क्रम में यह कार्रवाई हुई। शहर में इससे संबंध खबरें पढ़कर चर्चा सुनाई दी कि 2014 में स्वच्छता अभियान में भूमिका निभाने आदि के लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया और इनकी पहुंच सत्ता के गलियारों तक हो गई। उस समय भी इनके द्वारा ग्रामीण इलाकों में चार हजार से ज्यादा शौचालय अपने पैसों से बनवाए जाने को लेकर कुछ लोगों द्वारा सवाल उठाए गए थे और दो अक्टूबर 2019 को इन्हें सेवा सम्मान के लिए सम्मानित भी किया गया। इन्हें मिले सम्मान से यह चर्चा सही साबित होती है कि आए दिन पुरस्कारों को लेकर जो सवाल उठते हैं उनमें कहीं ना कहीं दम नजर आता है और यह भी पता चलता है कि अधिकारी किस प्रकार से सम्मान के लिए नाम ऊपर भेजते हैं। क्योंकि जब इनके द्वारा निशुल्क शौचालय बनाए गए थे तो कुछ लोगों का कहना था कि इसमें घोटाले की बू भी आ रही है।
खबर के अनुसार 1983 में आदित्य कुमार गुप्ता ने शहर में कारपोरेट कारोबार शुरू किया। व्यापार बढ़ाने में उनके भाई आशीष गुप्ता, शारदा एक्सपोर्ट के नाम से फर्म है। चर्चा है कि 1991 में यूके और फ्रांस में एक्सपोर्ट शुरू किया तो 1998 में मेरठ के रिठानी में कारपोरेट की फैक्ट्री बनाई। 2000 में दिल्ली में शोरूम खोला, 2001 में नोएडा में डेकोर पार्क बनाया। 2013 में द रिपब्लिक की स्थापना की, 2014 में नोएडा में एक्सपोर्ट शोरूम की स्थापना और दिल्ली में एक ओर शोरूम खोला गया तथा 2021 में नीदरलैंड में व्यापार की शुरूआत की गई।
नागरिकों में चर्चा सुनाई दी कि पहले जब कोई ऐसे मामलों में जेल जाता था तो उसे अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता था लेकिन ये तो आज भी प्रतिष्ठित कहलाए जाते है। यह चर्चा खूब सुनने को मिली कि इनसे संबंध फर्मों के संचालकों द्वारा कच्ची कॉलोनिया काटने वालों को काफी मोटे ब्याज पर रकम दी जाती थी। जो कच्ची कॉलोनियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है अगर यह चर्चा सही है तो। जो भी हो मेरा मानना है कि अगर यह संस्था समाज हित में काम करती है तो इनका वो सम्मान बना रहे अगर घपलों के आरोप सही है तो स्थिति स्पष्ट हो। इसलिए छापे के साथ अब सरकार द्वारा इन्हें जो सम्मान दिया गया वो भी वापस लिया जाए और बिना पूरा पैसा जमा कराए इन्हें जमीन अलॉट करने वाले नोएडा अथॉरिटी के अफसरों को भी भेजा जाए जेल। क्योंकि उन्होंने जो सुविधाएं ली होंगी वो अलग हैं इन्होंने माल कमाया और विभिन्न माध्यमों से आम आदमी का पैसा विभाग के पास आया और इससे किसानों की जमीनें खरीदी गई वो इन्हें बिना पूरा पैसा लिए कैसे आवंटित कर दी गई। आशीष गुप्ता के जेल जाने के बाद आदित्य गुप्ता की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई और संबंधित विभाग ने इनके अन्य संस्थानों से बकाया की वसूली क्यों नहीं की और नोएडा विकास प्राधिकारण को 65.73 करोड़ इन पर बकाया था वो अभी तक क्यों वसूल नहीं किया गया। जबकि जानकारों के अनुसार आज भी इन पर बेइंतहा संपत्ति और साधन मौजूद हैं। आम आदमी का फलैट के नाम पर जो 636 करोड़ रूपये इनसे संबंध लोगों द्वारा ठगी की गई आखिर इसकी वसूली इनकी चल अचल संपत्ति से क्यों नहीं की जा रही।
ऐसा ही एक मामला दौराला चौक से लावड़ जाने वाली रोड से पूर्व सरकार में एक कॉलोनी असरदार लोगों द्वारा काटना दर्शाकर लोगों से पैसा लेकर मकान और फलैट देने का वादा किया गया था जो शायद अभी तक नहीं दिया गया। उससे जुड़े लोग बड़े नाम वाले थे इसलिए शायद अभी तक ठगे गए लोगों द्वारा आंदोलन के बाद भी उस योजना से संबंध व्यक्तियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। और शायद ऐसे ही मामलों से प्रोत्साहित होकर अन्य लोग भी धोखाधड़ी की दुकान चलाकर लोगों का पैसा ठगते हैं। दावे से तो इन मामलों में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन समाजवादी आवास योजना के नाम पर हुई ठगी और अब शारदा एक्सपोर्ट से संबंध लोगों द्वारा रियल इस्टेट में पर्दापण कर की गई ठगी से संबंध लोगों की पीएम की भ्रष्टाचार मिटाओ योजना के तहत गिरफतारी हो और पीड़ितों का पैसा वापस कराने के साथ ही जो सरकार जमीन का भुगतान इन पर बकाया है वो इनकी संपत्तियों से वसूला जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शारदा एक्सोर्ट पर ईडी का छापा, 2019 में आशीष के जेल जाने के बाद क्यों नहीं हुई वसूली की कार्रवाई, जनता का बाकी पैसा वापस दिलाया जाए , समाजवादी आवास योजना के दोषियों पर भी हो कार्रवाई
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