Date: 19/09/2024, Time:

केजरीवाल जी औरों की संतुष्टि के लिए कब तक दोगे इस्तीफा, सुनीता केजरीवाल ही बने मुख्यमंत्री

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शराब घोटाला सही है या गलत यह अलग विषय है लेकिन छह महीने तक इसमें जेल रहकर आए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 17 सितंबर को इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं। राजनीति में ऐसा निर्णय लेना बड़े कलेजे का काम होता है। बहुत कम ऐेसे बिरले होते हैं जो कई कई बार इस्तीफा देेने में भी मुख्य पद से नहीं चूकते। हो सकता है कि इस्तीफे के पीछे अरविंद केजरीवाल विपक्षियों पर अपनी नैतिक बढ़त और भावी चुनावी में जनता के बीच मजबूत पकड़ कायम कर उतरना चाहते हों। उनका यह फैसला मुझे जनहित में नहीं लगता है। क्योंकि वो कितना ही दूध के धुले बनकर आ जाएं लेकिन ग्रामीण कहावत तेरी मां ने खसम करा गलत किया करके छोड़ दिया और गलत किया के समान हर फैसले में कमियां निकालने का कोई मौका नहीं चूकेगा। इस्तीफा देने से सबसे ऊपर सुनीता केजरीवाल का नाम चर्चाओं में है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। देश जानता है कि अरविंद केजरीवाल ने आप पार्टी को खड़ा करने में कितने प्रयास किए हैं। ऐेसें में मनीष सिसौदिया और संजय सिंह जैसे वफादार इस सूची से बाहर हो गए है। उसके बाद सुनीता केजरीवाल से अच्छा उम्मीदवार कोई नहीं हो सकता। केजरीवाल जी हो सकता है आपका निर्णय पार्टी के हित में हो लेकिन दिल्ली में समयपूर्व चुनाव की जो स्थिति बन रही है उसमें जीतकर ही आप सत्ता संभाले लेकिन विपक्षी पार्टी भाजपा के इस कदम को उनके इकबालिया जुर्म की श्रेणी में रखकर देखने के साथ साथ यह कहकर भी पार्टी को कमजोर किया जा रहा है कि आप में केजरीवाल के बढ़ते विरोध के चलते यह कदम वो उठा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि यह केजरीवाल का चुनावी हथकंडा है। इन सब बातों को नजरअंदाज कर आप पार्टी के नेताओं को यह कोशिश करनी चाहिए कि केजरीवाल इस्तीफा ना दे लेकिन अगर वह नहीं मानते हैं तो सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाने का फैसला कराना चाहिए क्योंकि आज भी दिल्ली की जनता सिर्फ केजरीवाल को ही अपना नेता पार्टी में मानती है और उन्हीं के प्रभाव से आज पंजाब में इसकी सरकार है और अन्य प्रदेशों में भी आप के वोटों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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