asd गंगा में डूबे स्वास्थ्य अधिकारी आदित्य वर्धन का 9 दिन बाद मिला शव

गंगा में डूबे स्वास्थ्य अधिकारी आदित्य वर्धन का 9 दिन बाद मिला शव

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उन्नाव 09 सितंबर। वाराणसी के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह का शव 9 दिन बाद कानपुर के गंगा बैराज के पास से बरामद कर लिया गया. डिप्टी डायरेक्टर 31 अगस्त को गंगा में डूब गए थे. वह दोस्तों के साथ नहाने गए थे. 9 दिनों तक करीब 200 जवान गंगा में उनकी तलाश कर रहे थे. रविवार की रात उनका शव गंगा बैराज के गेट नंबर 1 पर फंसा मिला. परिजनों ने कपड़ों से उनकी पहचान की. पीएम के बाद शव को गांव लाया जाएगा. नानमऊ घाट पर ही अंतिम संस्कार किया जाएगा.

आदित्य वर्धन सिंह वाराणसी स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे. उनकी पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र के अकोला में रहती हैं. वह वहां पर हैं. डिप्टी डायरेक्टर का शव ज्यादा खराब नहीं हुआ है. शव मिलने के बाद परिवार के लोगों को इसकी जानकारी दी गई. परिजनों ने मौके पर पहुंचकर शव की पहचान की. इस दौरान डिप्टी डायरेक्टर के दोस्त भी मौजूद रहे. इसके बाद नवाबगंज पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

हादसे के बाद से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों के अलावा पीएसी के 200 जवान गंगा में शव की तलाश कर रहे थे. पहले 30 किमी तक ही तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. इसके बाद यह दायरा बढ़ाकर 70 किमी कर दिया गया था. शुरुआत के कुछ दिनों तक परिवार के लोग घाट पर डटे रहे, लेकिन डिप्टी डायरेक्टर का पता न चलने पर उनकी हिम्मत जवाब दे गई थी. इस बीच गोताखोरों ने किसी जानवर की ओर से शव को खा लेने की आशंका जता दी थी. इससे परिवार ने शव मिलने की आस खो दी थी.

करीब 7 दिनों के बाद सर्च अभियान भी रोक दिया गया था. हालांकि हर घाट पर पुलिसकर्मियों की टीमें लगाकर गंगा की लहरों की निगरानी की जा रही थी. उन्नाव के बांगरमऊ के कबीरपुरा गांव के रहने वाले डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते थे. 31 अगस्त को वह लखनऊ से दोस्त प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ उन्नाव पहुंचे थे. गांव के पास ही नानमऊ घाट पर वह नहाने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान सेल्फी लेने के चक्कर में वह सुरक्षा घेरा से आगे जाकर नहाने लगे. इस बीच वह गहरे पानी में चले गए. घाट पर मौजूद पंडा ने टोका तो दोस्तों ने बताया था कि डिप्टी डायरेक्टर को तैरना आता है. डरने की जरूरत नहीं है. इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर के डूबने पर दोस्त शोर मचाने लगे. एक गोताखोर ने जान बचाने के लिए अपने खाते में 10 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करा लिए थे. इसके बावजूद वह डिप्टी डायरेक्टर को बचा नहीं पाया था.

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