asd यूपी दिवस: बड़ी संख्या में युवा हों सम्मानित

यूपी दिवस: बड़ी संख्या में युवा हों सम्मानित

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अवध शिल्पग्राम में आज से चार फरवरी तक यूपी दिवस के उपलक्ष्य में शिल्प दिवस का आयोजन किया गया है। इसके अलावा आज से 26 जनवरी तक पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। एक खबर के अनुसार 24 जनवरी 1950 वह दिन था, जब यूनाइटेड प्रोविंस का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का नाम बदलकर आर्यावर्त रखने पर तत्कालीन प्रदेश की कांग्रेस कमेटी, यूनाइटेड प्रोविंस सरकार के मुखिया भी सहमत थे, लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की आपत्ति के बाद आर्यावर्त की जगह उत्तर प्रदेश नाम रखा गया।
इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है। आजादी के बाद से देश के गणतंत्र होने तक के बीच में राज्यों का पुनर्गठन और नाम बदलने के प्रस्ताव पर लगातार चर्चा थी। इसमें 11 नवंबर 1949 को यूनाइटेड प्रोविंस की कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश का नाम आर्यावर्त रखने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव को तत्कालीन शिक्षा मंत्री डा. संपूर्णानंद ने रखा था, जिस पर उन्होंने बताया था कि प्रदेश सरकार के मुखिया पं. गोविंद बल्लभ पंत भी आर्यावर्त के समर्थन में हैं।
जानकारी के अनुसार 1949 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आपत्ति के बाद रखा गया उत्तर प्रदेश
1902 में नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस की जगह यूनाइटेड प्रोविंस आगरा एंड अवध
1937 में नाम केवल यूनाइटेड प्रोविंस रह गया
24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश रखा नाम
हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के मिलन के कारण हुआ बदलाव
बताते चलें कि 5 दिसंबर 1949 को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस के उच्च पदाधिकारियों ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि आर्यावर्त नाम संघी मनोवृत्ति का है। प्रदेश में हिंदू मुस्लिम की मिली जुली संस्कृति के कारण इस नाम पर आपत्तियां लगाई गई। फर्रुखाबाद में 9 दिसंबर 1949 को हुए सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के सामने प्रदेश के नामकरण का मसला लाया गया, जिस पर आर्यावर्त की जगह उत्तर प्रदेश का नाम रखने पर सहमति बनी। 12 जनवरी 1950 को तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस सरकार के मुख्यमंत्री (तब प्रधानमंत्री) पं. गोविंद बल्लभ पंत की सहमति के बाद उत्तर प्रदेश नाम रखने की घोषणा की गई और 24 जनवरी 1950 को यूनाइटेड प्राविंस उत्तर प्रदेश हो गया।
आज हम यूपी दिवस मना रहे हैं। इस शुभ मौके पर सरकार यूपी दिवस के अवसर पर पहली बार प्रदेश का नाम रोशन करने वाली दो हस्तियों को उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान से सम्मानित करेगी। इसके लिए लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ. ऋतु करिधल और फोर्ब्स व फॉर्च्यून जैसी पत्रिकाओं के कवर पर नियमित रूप से छाए रहने वाले कानपुर के उद्यमी नवीन तिवारी का चयन किया गया।
यूपी दिवस पर अवध शिल्पग्राम में 24 जनवरी से 4 फरवरी तक शिल्पोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान ओडीओपी के साथ विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, नई तकनीक आधारित प्रदर्शनी का प्रदर्शन होगा। इसके साथ ही दिल्ली और नोएडा में भी प्रमुख आयोजन होंगे। वहीं 24 से 26 जनवरी तक पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राजधानी में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। डॉ. ऋतु ने भारत के मंगल मिशन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह इस मिशन की उप संचालन निदेशक थीं। वह चंद्रयान मिशन से भी जुड़ी रही हैं। डॉ. ऋतु ने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में बीएससी की पढ़ाई की। करीधल 1997 से इसरो के लिए काम कर रही हैं। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए वह आईआईएससी, बंगलूरू में भी रही हैं।
कानपुर के नवीन ने दुनिया में सबसे बड़ा स्वतंत्र मोबाइल एडटेक प्लेटफॉर्म स्थापित किया है, जो उत्तर प्रदेश और भारत के व्यवसायों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म से जोड़ता है। वहीं उनका लॉक स्क्रीन सॉफ्टवेयर 40 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन पर मौजूद है। नवीन ने 3000 लोगों को प्रत्यक्ष और हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया है।
वैचारिक मतभेद तो हर समय हर बिंदु को लेकर रहे। यह भी सही है कि जहां चार बुद्धिजीवी बैठेंगे वहां आसानी से कोई फैसला हो पाना संभव नहीं। शायद इसलिए आजादी के बाद यूपी का नाम आर्याव्रत की बजाय उत्तर प्रदेश रखा गया। इस अवसर पर सरकार दो युवा वैज्ञानिकों को सम्मानित कर रही है। यह अच्छी बात है मगर मुझे लगता है कि पूरे प्रदेशवासियों को यूपी दिवस मनाना और इसमें भाग लेना चाहिए। सरकार से भी मेरी मांग है कि हर वर्ष 24 जनवरी से चार फरवरी तक पूरे प्रदेश के स्कूलों में इस विषय पर हो सांस्कृतिक व वैचारिक कार्यक्रम और अगले वर्ष से सम्मानित होने वाली शख्सियतों की संख्या में की जाए बढ़ोत्त्तरी क्योंकि यूपी में प्रतिभावान हर क्षेत्र में सक्रिय युवाओं की कमी नहीं है। उनका सम्मान भी होना चाहिए। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग है। युवा प्रतिभाओं को आगे प्रेरित करने के संदर्भ में हैं और इस पर काम होना चाहिए।

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