अभी दो दिन पूर्व महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मीडिया से निर्भीक होने और सच्चाई के साथ खड़ा होेने को कहा गया। लेकिन एक दिन बाद ही केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी द्वारा एक पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया कि सर्किट हाउस से निकल रहे थे तब पत्रकार ने उनका रास्ता रोका। जहां तक पिछले लगभग चार दशक के पत्रकारिता जीवन में मैंने देखा है किसी भी मंत्री या जनप्रतिनिधि का सवाल पूछने या बात करने की कोशिश पर पत्रकार पर मामला दर्ज कराने के प्रकरण कभी सामने आएं हों। क्योंकि मंत्री महोदय का कहना है कि वो जब त्रिशूर रामनिलयम सरकारी अतिथि गृह से बाहर निकल रहे थे तब पत्रकार ने उनका रास्ता रोका। मुझे लगता है कि यह कोई जुर्म नहीं है क्योंकि जनहित में मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से कई बार चलते चलते उन्हें रोककर सवाल पूछे जाते हैं लेकिन आजतक किसी भ्ीा पत्रकार के खिलाफ जहां तक जानकारी है सुरक्षा अधिकारी की डयूटी में बाधा डालने के नाम पर किसी मंत्री द्वारा मुकदमा दर्ज कराया हो पता नहीं चलता। केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने मीडियाकर्मियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि त्रिशूर रामनिलयम सरकारी अतिथि गृह से बाहर निकलते समय उन्होंने उनका रास्ता रोका।
खबर के अनुसार सूत्र ने विस्तृत जानकारी दिए बिना बताया कि शिकायत में कहा गया है कि पत्रकारों ने अतिथि गृह में उनका रास्ता रोका। इस बीच कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक अनिल अक्कारा ने कहा कि उन्होंने त्रिशूर में मीडियाकर्मियों से केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के बर्ताव को लेकर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। अक्कारा ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को त्रिशूर शहर के पुलिस आयुक्त को ई-मेल के माध्यम से शिकायत भेजी, जिसमें गोपी के खिलाफ पद की शपथ का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है। पत्रकारों ने मंगलवार को जब गोपी से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक एम मुकेश के खिलाफ आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘‘आप (मीडिया) न केवल अपने फायदे के लिए लोगों को आपस में लड़वा रहे हैं, बल्कि जनता को भी गुमराह कर रहे हैं।‘‘
गोपी ने कहा, ‘‘शिकायतें फिलहाल आरोपों की शक्ल में हैं। आप लोगों को क्या बता रहे हैं? क्या आप अदालत हैं? नहीं, आप नहीं हैं। अदालत फैसला करेगी। अदालत को फैसला करने दीजिए।‘‘ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा था कि पार्टी का रुख यह है कि मुकेश को इस्तीफा देना चाहिए। टीवी चैनल पर प्रसारित दृश्यों के अनुसार, जब पत्रकारों ने सुरेंद्रन के बयान पर गोपी की टिप्पणी लेनी चाही, तो उन्होंने गुस्से में उनमें से कुछ को कथित तौर पर धक्का दे दिया था। इस बारे में वायरल हो रही वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ पत्रकार गोपी की तरफ बढ़े, जब वह अपनी सरकारी गाड़ी में बैठने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान गोपी ने मीडियाकर्मियों को धक्का देते हुए कहा, ‘‘यह क्या है? मेरा रास्ता मेरा अधिकार है। कृपया हटिए।‘‘ इसके बाद, वह कार में बैठ गए और पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब दिए बिना चले गए।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हमेशा मीडिया की स्वतंत्रता बनाए रखने और उन्हें निर्भीक होकर अपना काम करने का संदेश देते रहे हैं ऐसे में बिना किसी ठोस कारण के किसी केंद्रीय मंत्री द्वारा पत्रकार पर एफआईआर कराने को लोकतंत्र पर कुठाराघात ही कह सकते हैं। भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन इलना के सदस्य डा. संजय गुप्ता और मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई के इस कथन से मैं भी सहमत हूं कि केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी का निर्णय पूरी तौर पर गलत और मीडिया को दबाने का प्रयास भी कह सकते है और केंद्र व प्रदेश सरकारों की इस बारे में निर्धारित नीति का उल्लंघन भी कह सकते हैं। क्योंकि यह कहीं नहीं लिखा कि किसी मंत्री को रोककर सवाल पूछना गलत है। ऑल इंडिया न्यूज पेपर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मैं और तमाम पत्रकार संपादक मंत्री के इस निर्णय से सहमत नहीं हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वह अपनी शिकायत वापस लें।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी पत्रकार के खिलाफ की गई शिकायत वापस लें, इलना एसएमए और आईना ने शिकायत वापस लेने की मांग उठाई
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