asd 11 साल की सजा, 37 साल जेल में क्यों रखा गया, त्रिपुरा सरकार पीड़ित को दे मुआवजा, दोषियों को भेजे जेल

11 साल की सजा, 37 साल जेल में क्यों रखा गया, त्रिपुरा सरकार पीड़ित को दे मुआवजा, दोषियों को भेजे जेल

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त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले के रहने वाले एक व्यक्ति जो कई साल पहले अपने रिश्तेदार से मिलने बांग्लादेश गया था उसे पता नहीं था यह यात्रा उसके लिए अभिशाप बन जाएगी और वह परिवार के पास लौटने के लिए तरस जाएगा। 62 वर्षीया शाहजहां बांग्लादेश की जेलों में 11 साल की सजा के बावजूद 37 साल रहा। अब घर लौटा है। बीएसएफ की मदद से। मुझे लगता है कि शाहजहां के साथ जो हुआ वो औरों के साथ नहीं हो इसलिए केंद्र की सरकार को एक सर्वे कराना चाहिए कि देशभर में ऐसे और मामले तो नहीं है क्योंकि शाहजहां के साथ क्या हुआ 25 साल की उम्र में उसे अदालत ने 11 साल की सजा दी तो फिर उसे 26 साल तक रिहा क्यों नहीं किया गया। अगर वह किसी मामले में दोषी था तो अदालत की निगाह में उसके जुर्म की सजा 11 साल मानी गई। आगे 26 साल उसे क्यों बंद रखा गया इसकी जांच होनी चाहिए और शाहजहां व उसके परिवार को हुई मार्मिक परेशानी का मुआवजा तो कोई नहीं दे सकता लेकिन ऐसे मामलों में जितनी आर्थिक सहायता अब हो सकती है वो त्रिपुरा सरकार को करनी चाहिए। क्योंकि आधी उम्र उसकी जेल में कट गई। 11 साल तो दोष के लिए कह सकते हैं मगर 26 साल किस गुनाह की सजा मिली यह भी जिम्मेदारों को बताना चाहिए। एक खबर के अनुसार त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले का एक व्यक्ति बांग्लादेश की जेल में 37 साल बिताने के बाद अपने वतन वापस लौटा। त्रिपुरा के सोनामुरा उपखंड के सीमावर्ती गांव रबिंद्रनगर का रहने वाला शाहजहां साल 1988 में अपने रिश्तेदारों के घर बांग्लादेश के कोमिल्ला गया था। उसी दौरान शाहजहां के रिश्तेदारों के घर पर पुलिस ने छापेमारी की और शाहजहां को गैरकानूनी रूप से बांग्लादेश में दाखिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
37 साल बाद हुई स्वदेश वापसी
शाहजहां ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब वह बांग्लादेश गया था, तो तब वह 25 साल का था। कोमिल्ला में मुझे 11 साल जेल की सजा सुनाई गई। हालांकि सजा पूरी होने के बाद भी मेरी रिहाई नहीं हुई और मुझे अतिरिक्त 26 साल जेल में बिताने पड़े। इस तरह कुल 37 साल बाद मुझे घर वापस आने की इजाजत मिली है।श् शाहजहां मंगलवार को श्रीमंतपुर लैंड कस्टम स्टेशन से भारत लौटा। शाहजहां का मामला कुछ महीनों पहले मीडिया में सुर्खियों में रहा, जिसके बाद विदेश की जेलों में बंद भारतीयों को वापस स्वदेश लाने के लिए काम करने वाले संगठन जारा फाउंडेशन ने शाहजहां की सुध ली।
जारा फाउंडेशन ने की मदद
जारा फाउंडेशन के अध्यक्ष मुशाहिद अली ने शाहजहां को जेल से छुड़ाने के प्रयास किए। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार शाहजहां की 37 साल बाद अपने वतन वापसी हो गई। भारत पहुंचने पर शाहजहां ने कहा कि वह जीवन भर जारा फाउंडेश के कर्जदार रहेंगे क्योंकि इस संगठन ने ही उन्हें जेल से बाहर निकालने और स्वदेश वापसी में मदद की। शाहजहां की उम्र अब 62 साल हो गई है। जब वह घर छोड़कर गया था तो उसकी उम्र 25 साल थी और उसकी पत्नी गर्भवती थी। अब शाहजहां ने पहली बार अपने बेटे को अपने सामने देखा।
स्वदेश वापसी पर मीडिया से बात करते हुए शाहजहां ने कहा कि वह अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। उसने कहा कि मुझे लग रहा है कि मैं स्वर्ग में हूं। यह मेरे लिए दूसरे जन्म के समान है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने जन्मस्थान कभी लौट पाऊंगा या नहीं। शाहजहां ने बांग्लादेश की जेल में गंभीर यातनाएं मिलने का भी आरोप लगाया।
मुझे लगता है कि जनहित में मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए त्रिपुरा सरकार पीड़ित को मुआवजा दे और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों को सजा। हर आदमी को न्याय मिले यह सरकार की गारंटी भी है तो इतनी बड़ी पीड़ा कोई किसी कैसे दे सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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