asd अब सभी दुष्परिणाम से पीड़ित बच्चियों को न्याय मिले यह बात होनी चाहिए डॉक्टर हड़ताल लें वापस, जहां ऐसी घटनाएं हो वहां की सरकारों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की जाए – tazzakhabar.com
Date: 14/03/2025, Time:

अब सभी दुष्परिणाम से पीड़ित बच्चियों को न्याय मिले यह बात होनी चाहिए डॉक्टर हड़ताल लें वापस, जहां ऐसी घटनाएं हो वहां की सरकारों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की जाए

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 151 जनप्रतिनिधियों पर महिलाओं से संबंध अपराधों के आरोप है। खबर के अनुसार इनमें सबसे ज्यादा अपराधों में शामिल भाजपा के हैं तो कांग्रेस के 23 टीडीपी के 17 शामिल बताए गए हैं। इनमें भी दो सांसद व 14 विधायकों पर दुष्कर्म के मामले होना जाहिर हुआ है और सबसे बड़ी बात खबर के अनुसार 2019 से 2024 के बीच हुए चुनावों में सांसद विधायकों ने दिए गए हलफनामों में यह जानकारी दी थी। इसलिए यह भी कह सकते हैं कि कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान भी हो सकते है। सही स्थिति का ज्ञान तो सरकार को ही करना है। फिलहाल महाराष्ट्र में एक शिक्षक द्वारा छह छात्राओं के शोषण की खबर है जिसके अनुसार अकोला में अश्लील वीडियो दिखाकर चार माह से छेडछाड की जा रही थी। फिर पॉक्सों के तहत मामला दर्ज किए जाने की खबर है। स्कूल के प्रिंसिपल रविंद्र ने कहा कि मैं सदमे में हूं। अगर मुझे पता होता तो सबसे पहले कार्रवाई करता। मुझे लगता है कि जो प्रिंसिपल इतना जागरूक नहीं है जो अपने यहां की घटनाओं पर निगाह रखे उसे समय से पूर्व बर्खास्त किया जाना चाहिए। पूर्व में पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिदंगी के बाद बिहार में भी ऐसी घटना हो चुकी है और मेरठ के सदर क्षेत्र में दो साल की बच्ची के साथ घिनौनी घटना हुई ओर अब महाराष्ट्र के बदलापुर में मामला खुलकर आया है। जिस पर हिंसक विरोध के बाद 300 पर एफआईआर दर्ज की गई है। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि बदलापुर के एक स्कूल की दो बच्चियों के कथित रेप के बाद हो रहा प्रदर्शन राजनीीति से प्रेरित है। इसका मकसद सरकार को बदनाम करना है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ घटना घिनौनी घटना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने पर डॉक्टरों ने आभार जताया है। तो कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आरजीकर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई स्थिगित की है। कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पर लावारिस शवों का सौदा करने का आरोप लगा है। घटना के बारे में सीबीआई निरंतर पूछताछ कर रही है। इस घटना के विरोध में दो एसीपी समेत तीन पुलिस अफसर निलंबित किए गए। तथा पूर्व प्राचार्य संदीप घोष का पॉलिग्राफ टेस्ट कराने की भी चर्चा है। तो अस्पताल की सुरक्षा सीआईएसएफ के 1500 कर्मियों के हवाले की गई है। कुल मिलाकर पिछले कुछ दिनों से महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना के बावजूद भी बच्चियों से लेकर महिलाओं के साथ छेडछाड और दुष्कर्म की घटनाओं में कमी नहीं आ रही हैं। रोज ही मामले सामने आ जाते हैं। प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि महिला डॉक्टर से दरिंदगी को लेकर टीएमसी सरकार के खिलाफ साजिश रची गई है। उनका कहना है कि देश में कई अन्य घटनाएं हुई है लेकिन इस घटना को इसलिए हाईलाइट किया जा रहा है क्यों वहां विपक्ष की सरकार है। उन्होंने टीवी चैनल पर भी आरोप लगाया कि पिछले आठ दस दिनों से यह घटनाएं दिखा रहे है। जबकि और भी घटनाएं हो रही है। महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं से पूरा देश और मैं भी दुखी हूं। जिस प्रकार देश में माहौल चल रहा है। उससे भयमुक्त समाज हो जाएगा यह चिंता हर व्यक्ति को खा रही है। मैं वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत की इस बात से सहमत हूं कि अन्य घटनाओं को भी हाइलाइट किया जाए और जहां यह मामले सामने आ रहे हैं वहां की सरकारों के खिलाफ आवाज उठनी चाहिए। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की बात को मैं गलत नहीं मानूंगा लेकिन उन्हेांने खुद माना है कि स्कूल में दो बच्चियों के साथ ऐसा हुआ। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से प्रयास किए जाएं क्योंकि मातृशक्ति के साथ होने वाली इन घटनाओं को अब आम आदमी बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है।
अदालत का यह कथन सही है कि अगर डॉक्टर प्रदर्शन करते रहेंगे तो आम आदमी को इलाज कैसे मिलेगा सरकारें भी डॉक्टरों की ज्यादातर मांगे मान रही है। क्योंकि इसप्रकार से आम आदमी को परेशानी में डालना और उसे उत्पीड़न की स्थिति में धकेला जाना सही नहीं कहा जा सकता। मुझे लगा कि गृृह मंत्रालय सभ्ीा पुलिस प्रमुखों को बुलाकर एक योजना तैयार कराए। महिला उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को जब तक जांच हो तब तक उन्हें जेल या घरों में नजरबंद करके रखा जाए जिससे उन्हें भी पता चले कि मानसिक कष्ट क्या होते हैं और समाज में उनकी स्थिति खराब हो इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को अंजाम देने की सोचें भी नहीं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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