बेंगलुरु 17 अगस्त। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुरी तरह फंस गए हैं. अब उनके खिलाफ केस चलेगा. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. सीएम सिद्धारमैया पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी का आरोप है. मुडा मामले में राज्यपाल ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कारण बताओ नोटिस भेजा था.
इसमें पूछा गया था कि सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति क्यों ना दी जाएं? इसके बाद से ही यह कहा जाने लगा था कि गवर्नर किसी भी दिन सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे सकते हैं और आज उन्होंने इसकी मंजूरी दे दी.आरटीआई एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम ने सिद्धरमैया के खिलाफ केस दर्ज कराया था.
अब्राहम ने राज्यपाल से सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की मांग की थी क्योंकि उनकी मंजूरी के बिना सीएम के खिलाफ केस नहीं चल सकता. अपनी शिकायत में अब्राहम ने सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के कमिश्नर के खिलाफ केस चलाने की भी मांग की थी. मुडा घोटाले में अनियमितताओं के आरोप हैं. इस घोटाले में सिद्धारमैया और उनकी पत्नी को फायदा हुआ.
2021 में मुडा ने विकास के लिए मैसूरु के केसारे गांव में सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती की 3 एकड़ जमीन अधिग्रहित की. बदले में उन्हें दक्षिण मैसूर के पॉश इलाके विजयनगर में जमीन आवंटित किए गए. विजयनगर की जमीन कीमत केसारे में उनकी जमीन की तुलना में काफी अधिक है. आरोप है कि मुडा द्वारा इन जमीनों के आवंटन में अनियमितता बरती गई.
आरटीआई एक्टिविस्ट अब्राहम ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2023 के विधानसभा चुनावी हलफनामे में सिद्धारमैया ने अपनी पत्नी के स्वामित्व का खुलासा करने में विफल रहे. दरअसल, मुडा कर्नाटक की राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है. इस एजेंसी का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही लोगों को किफायती कीमत पर घर उपलब्ध कराना है.