asd पीएम साहब ! भ्रष्टाचार लापरवाही, जातिवाद, भाई-भतीजावाद से भी मिलनी चाहिए आजादी

पीएम साहब ! भ्रष्टाचार लापरवाही, जातिवाद, भाई-भतीजावाद से भी मिलनी चाहिए आजादी

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आज पूरा देश में 78वां स्वतंत्रता दिवस देशभक्ति के माहौल में मनाया गया। 77 साल पूर्व हमारे देशभक्त महापुरूषों ने आजादी के आंदोलन की जो जोत जलाई थी यह उसी का परिणाम है कि हमें आजाद माहौल में सांस लेने का मौका उनके बलिदान से मिला है।
दोस्तों आजादी भी मिली और देश ने भरपूर तरक्की की और खुशहाली आई है इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता क्योंकि सरकारों ने देश और जनहित में बड़े निर्णय लिए जिसके चलते उद्योग धंधे लगे। और अन्य प्रकार की प्रगति भी देश ने की। लेकिन गरीबों ओैर मध्यम दर्जे के व्यक्ति को भ्रष्टाचार लापरवाही जातिवाद भाई भतीजावाद और कुछ लोगों की निरंकशु कार्य प्रणाली के चलते जो मानसिक आजादी मिलनी चाहिए थी वो शायद नहीं मिल पा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वर्ग के लोगों की सुविधा और लाभ देने हेतु देश में स्वच्छता की स्थापना भ्रष्टाचार से मुक्त माहौल की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास किए लेकिन जो दिखाई दे रहा है समाज में इसका वो असर नहीं आ रहा है जो आना चाहिए था। इसलिए मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री जी कुछ ऐसा कीजिए कि समाज का हर व्यक्ति अपने आपको आजाद समझकर जीवनयापन करे और नौकरशाह व जनप्रतिनिधि पहले गरीब आदमी की बात सुने तो ही असली मानसिक स्वतंत्रता और गुलामी से छुटकारा मिल पाएगा। पीएम साहब आपने देश का नाम पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर ला दिया है। यही कारण है कि दुनियाभर के हर देश में अब हमारे लोगों को सम्मान और सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। यह भी आजादी के इतने दशक बाद अब तय हो गया है कि राजा का बेटा ही नहीं गरीब आदमी भी राजा बन सकता है। दोस्तों आवश्यकता अपने अंदर आत्मशक्ति और सम्मान की भावना तथा कुछ करने की योजना उत्पन्न करने के ही हैं। अगर हम ऐसा करने में सफल रहते हैं तो देश में हमें किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए पैसा सोेर्स पढ़ाई और किसी आका की आवश्यकता नहीं है। अगर हम कुछ सोचते हैं तो वो प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है लेकिन इच्छा पूरी ना हो ऐसा नही है। इसके उदाहरण के पूर्व में हम पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और पीएम मोदी के जीवन को देख सकते हैं जो हमारे युवाओं के लिए प्रेरणा से भरा पड़ा है। आम आदमी की बात देखें तो फिलहाल हम फिल्म बाहरवी फेल चैंपियन चंदू को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर हम ठान ले तो हमें किसी की आवश्यकता नहीं है अपना मनोरथ पूरा करने के लिए। इसके उदाहरण के रूप में हम रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी और प्रसिद्ध गायक जस्टिन बीबर के जीवन को खंगाल सकते हैं। कहने का आश्य यह है कि हमें अब मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त करने की बड़ी आवश्यकता है और यह किसी के रहमोकरम से नहीं अपनी इच्छा शक्ति से प्राप्त होगी। इसी शुभकामना के साथ ही अगले वर्ष आज के दिन तक विकास कार्यो में लापरवाही भ्रष्टाचार और निरंकुश नौकरशाही समाप्त होगी के साथ ही 78वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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