राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाड और एशियाई खेलों में विनेश के नाम पांच स्वर्ण पदक हैं। उसके बावजूद सौ ग्राम ज्यादा वजन के चलते मेडल से चूकीं इस होनहार खिलाड़ी के सुनहरे सफर के दुखद अंत से हर देशवासी दुखी है। महिला पहलनवान विनेश फोगाट ने रजत पदक के लिए खेल पंचाट में अपील की है। उनका पक्ष हरीश साल्वे रखेंगे। फैसला क्या होगा वो एक अलग बात है। यह उम्मीद की जा सकती है जाने माने अधिवक्ता हरीश साल्वे के तर्क अगर काम आए तो देश की शान महिला पहलनवान को सम्मान और न्याय इस बार भी मिल सकता है। हार जीत पदक मिलना ना मिलना भले की कुछ लोग किस्मत की बात कहते हो मगर मेरा मानना है कि प्रयास तो सबको ही करने पड़ते हैं और विनेश ने भी किए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा खिलाड़ी का हौंसला बढ़ाया गया है जो एक अच्छी सोच और पहल कही जा सकती है। मगर यह भी सही है कि मात्र 100 के बोझ तले दबी देश की उम्मीद। महामहिम राष्ट्रपति जी ने भी विनेश फोगाट के प्रदर्शन की प्रशंसा की है। तो विपक्ष के नेता राहुल गांधी का कहना है कि ओलंपिक संघ इस निर्णय को मजबूती से चुनौती देकर देश की बेटी को न्याय दिलाएगा। भले ही इस 100 ग्राम के मुददे को लेकर विनेश पेरिस ओलंपिक से बाहर हो गई हो और उन्हें छोटी सी चूक का इतना बड़ा नुकसान होगा इसका अंदाजा किसी को भी नहीं रहा होगा। क्योंकि अगर होता तो 20 साल की मेहनत पर इस प्रकार पानी नहीं फिरता। अब सौ ग्राम वजन को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं सुनने को मिल रही है। कोई कहता है कि टीवी पर खेल देखना वजन घटाने में कारगर होता है तो कुछ का कहना है कि खुशी जाहिर करने से बर्न होती है कैलोरी तो यूपी के मेरठ के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. तनुराज सिरोही का कहना है कि नींद की कमी वजन कंट्रोल करने में बाधा बन सकती है क्योंकि इससे हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है। मैं सम्मानित खिलाड़ी की किसी भी तरीके से इसके लिए दोषी नहीं मानता लेकिन भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजय सिंह द्वारा विनेश के पेरिस ओलंपिक से बाहर होने के मामले में उनके सहयोगी स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। उनका कहना है कि फाइनल से पहले वजन को दायरे में ना रखने की गलती स्वीकार्य नहीं है। मुझे भी लगता है कि हमें अपनी पहलवान खिलाड़ी की हौसला अफजाई करनी चाहिए और उनका मनोबल बनाए रखने के लिए जो संभव हो वो किया जाए लेकिन खिलाड़ियों और उनके सहयोगी स्टाफ और प्रशिक्षक आदि को इस बात का अहसास भी जरूर कराना चाहिए कि यह छोटी सी गलती करियर के लिए कितनी खतरनाक सिद्ध हो सकती है। इस मामले में उनके स्टाफ के खिलाफ तो कार्रवाई होनी चाहिए जिससे भविष्य में इस प्रकार की गलतियां ना दोहराई जाए।
क्योंकि भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भी अपने खेल का अच्छा प्रदर्शन किया इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन पांच बार भाला फेंकने के दौरान जो लापरवाही कह लें या कुछ और अगर वो सतर्कता बरतते तो वह स्वर्ण पदक लेकर ही देश लौटते। खुशी उनके जीतने की आज भी है। लेकिन जो फाउल होने के चलते वो स्वर्ण पदक से चूके उसका गम भी सभी को होना चाहिए। उसके बावजूद यह विश्वास से कह सकता हूं कि किसी को अधिकार नहीं है कि वो खिलाड़ी पर गलत टिप्पणी करे। मगर खेल संघों और खिलाड़ियों को पुरस्कार और सम्मान देने में सरकार को ऐसे प्रयास भी अब जरूर करने होंगे जिससे भविष्य में कोई खिलाड़ी ऐसी चूक के चलते पदक लाने से वंचित ना रह जाए। जहां तक हरियाणा के पूर्व सीएम का यह कथन कि उन्हें राज्यसभा में भेजते अगर कांग्रेस की सरकार होती के बारे में कुछ भी कहना सही नहीं है क्योंकि खुद पूर्व खिलाड़ियों ने ही इस बात को राजनीतिक करार दिया है। वरिष्ठ पहलवान महावीर फोगाट ने कहा कि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में गीता फोगाट गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनी थी और बबीता ने भी कांस्य पदक जीता था तब भूपेंद्र हुडडा सीएम थे और उन्होंने गीता और बबीता को डीएसपी नहीं बनाया था। इसलिए यह जाहिर होता है कि यह राजनीतिक से ज्यादा कुछ नहीं था। कुछ लोगों का मानना है कि खेलों में 100 ग्राम और राजनीति में चार साल का आंकड़ा आड़े आ सकता है। अगर सरकार उन्हें राज्यसभा में भेजना चाहे तब भी। देश की शान हैं खिलाड़ी उन सबको भी अपना प्रदर्शन करने और तैयारी के दौरान इस बात को ध्यान रखना चाहिए और जनता का भी यह फर्ज है कि वो खिलाड़ियों पर मानसिक रूप से कोई दबाव जीत को लेकर ना बनाएं क्योंकि अगर वो शांत और प्रसन्न होकर खेलेंगे तो और अच्छे परिणााम सामने आ सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
खिलाड़ियों को हर परिस्थिति में प्रोत्साहित करना हमारा फर्ज है लेकिन बिना किसी दबाव के उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद सही नहीं है, लापरवाही तो किसी की भी हो उसे सही नहीं कहा जा सकता
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