जैसा कि हमेशा होता है जब कोई बड़ी घटना होती है तो मेरठ में अवैध निर्माण को बढ़ावा देने में बराबर के साझीदार संबंधित विभागों के अधिकारी और फायर तथा अन्य नियमों का पालन कराने में सक्षम अफसर अपनी गलतियों की ओर से लोगों का ध्यान हटाने तथा अपनी कमियों को छिपाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। वो ही सबकुछ दिल्ली कोचिंग कांड के बाद शुरू हो गया है। शहर में चल रहे अवैध भवनों में बने कोचिंग सेंटरों पर छापे और उनके बनाने व इनमें कोचिंग जिम चलाने वालों को नोटिस देने का काम शुरू करते हुए मेडा की टीम ने शहर में 66 बेसमेंट अवैध रूप से पाए। इनमें चल रहे जिम लाइब्रेरी और कोचिंग सहित चार पर सील लगा दी। सवाल यह उठता है कि जो कार्रवाई की वो सही है। लेकिन अब तक मेडा के अधिकारी और वीसी खामोश क्यों थे। जब यह अवैध निर्माण हो रहे थे तभी क्यों नहीं की गई कार्रवाई। अब विभागों के अफसर मीडिया में खबरें छपवाकर इन अवैध निर्माण और कोचिंग सेंटरों के लिए अपनी जिम्मेदारी से बचने और ध्यान हटाने के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं। वो कितने दिन चलेगी वो तो समय ही बताएगा लेकिन यह जरूर है कि नागरिकों के अनुसार जिन चार बेसमेंट पर सील लगाई गई उसके आसपास के कुछ बेसमेंट की ओर निगााह नहीं दौड़ाई गई। आखिर क्यों। अब इस बात का जवाब मेडा फायर विभाग नगर निगम और पुलिस को देना ही होगा। क्योंकि अभी अदालत ने दिल्ली की घटना पर नजर दौड़ाई है। जल्द ही देश के जिलों में कुछ जिम्मेदारों के सहयोग से चल रहे इस गोरखधंधे पर कार्रवाई होगी यह विश्वास से कहा जा सकता है।
मेरा मानना है कि किसी सूचना अधिकार कार्यकर्ता द्वारा जनहित याचिका दायर कर मेडा आवास विकास कैंट बोर्ड नगर निगम फायर विभाग के हुक्मरानों खिलाफ भी मामला अदालत तक ले जाना चाहिए जिससे भविष्य में किसी के जिगर का टुकड़ा उनसे बिछड़ने ना पाए।
कुछ जागरूक को यह कहना भी सही प्रतीत होता है कि एसी कमरों में बैठकर आंकड़ेबाजी करने वाले अधिकारियों के साथ साथ उन आर्किटेक्ट के खिलाफ भी कार्रवाई कर उनकी डिग्री जब्त की जानी चाहिए जो राजेंद्र नगर में चल रहे कोचिंग सेंटर जैसे निर्माण मानचित्र के विपरीत कराते हैं और उसी का उल्लंघन कर रिहायशी भूमि पर कॉमर्शियल निर्माण कराने के साथ खुद अपने बेंसमेंट कॉम्पलैक्स के निर्माण कर चुके हैं। ऐसे निर्माणों की संख्या भी मेरठ में सूत्रों के अनुसार कम नहीं है जो नियमों का पालन कराने के लिए जिम्मेदार आर्किटेक्टों द्वारा शोरूम कॉमपलैक्स बनाएं हैं और उनसे लाखों रूपये महीना कमा रहे हैं।
केंद्र व प्रदेश सरकार को विभागों के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए जो नियमों का पालन के लिए सीएम पोर्टल पर हुई शिकायतों का गलत सूचना देकर निस्तारण करने का दावा कर अवैध कॉमपलैक्स बार होटल आदि चलवा रहे हैं। कहने का आशय सिर्फ इतना है कि आम आदमी किसी का बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए अपनों की आहुति इन माध्यमों से देने को तैयार नहीं है। दिल्ली में जो विरोध हो रहा है वो किसी से छिपा नहीं है। मुख्यमंत्री जी मेरठ सहित सभी जिलों में अधिकारियों की लगाम कस भ्रष्टाचार व लापरवाही समाप्त कराने का समय आ गयाा है। यह आपकी भावना के अनुसार बहुत जरूरी भी है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मेडा सहित तमाम जिम्मेदार विभागों के अफसर के विरूद्ध हो कार्रवाई, दोषी आर्किटेक्टों की जब्त की जाए डिग्री
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