asd पत्नियों का इस्तेमाल रबड़ स्टाम्प की तरह कर रहे प्रधानपतिः हाईकोर्ट

पत्नियों का इस्तेमाल रबड़ स्टाम्प की तरह कर रहे प्रधानपतिः हाईकोर्ट

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प्रयागराज 29 जुलाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचित महिला प्रधानों के कामकाज में उनके पतियों के हस्तक्षेप पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि प्रधानपति महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य को विफल कर रहे हैं। वह अपनी प्रधान पत्नियों का इस्तेमाल रबर स्टॉम्प की तरह कर रहे हैं। जबकि, उन्हें प्रधान के कार्यों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है।
इस तल्ख टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने प्रयागराज शंकरगढ़ के पहाड़ी कला गांव के प्रधानपति पर प्रधान पत्नी के कामकाज में अनाधिकृत हस्तक्षेप करने और अधिकारियों द्वारा जांच में दखल देने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

शंकरगढ़ क्षेत्र के पहाड़ी कला गांव काके निवासी अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह ने गांव में प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की जिलाधिकारी से शिकायत करने के साथ ही हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। कोर्ट के निर्देश पर डीएम में शिकायत की जांच कराई। नोडल अधिकारी की जांच के दौरान प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह और शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह के बीच विवाद मारपीट हो गई।
प्रवीण सिंह ने प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, तो धर्मेंद्र सिंह ने भी प्रवीण सिंह के खिलाफ क्रास मुकदमा दर्ज करवा दिया।

पुलिस ने विवेचना के बाद दोनों मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सीजेएम कोर्ट ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए दोनों पक्षों को समन जारी कर दिया। आरोप पत्र और सम्मन आदेश को प्रवीण सिंह ने हाइकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द कर दिया। कहा कि पुलिस ने विवेचना में लापरवाही की है। जांच के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रहे सरकारी अधिकारियों का बयान तक दर्ज नहीं किया गया।

चुनाव आयोग प्रत्याशियों से ले हलफनामा
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रधानपति शब्द उत्तर प्रदेश में बहुत व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। एक अनाधिकृत प्राधिकारी होने के बावजूद प्रधानपति आम तौर पर एक महिला प्रधान यानी अपनी पत्नी का काम संभालता है। यह अनाधिकृत हस्तक्षेप महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य और महिलाओं को विशिष्ट आरक्षण देने के उद्देश्य विफल करता है। इस कार्य संस्कृति पर लगाम लगने के लिए चुनाव आयोग भविष्य में सभी प्रत्याशियों से इस आशय का हलफनामा ले कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन खुद करेंगी।

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