asd उमर और समर जैसा कांड कोई और ना कर पाए आने वाले मजदूरों और ठेकेदार के बारे में कर ली पूर्ण जानकारी

उमर और समर जैसा कांड कोई और ना कर पाए आने वाले मजदूरों और ठेकेदार के बारे में कर ली पूर्ण जानकारी

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मेरठ के शहर कोतवाली क्षेत्र के स्वामीपाड़ा मोहल्ले मेें स्व. इंजीनियर शिवस्वरूप तथा जल निगम में महिला कर्मचारी मोना स्वरूप के घर में बीती 16 जून को पत्थर काटने और लगाने वाले उमर व समर द्वारा की गई लूट व हत्या का खुलासा हो गया। लुटेरों की मां के पास से घटना के दौरान लूटा गया सोना चांदी व अन्य सामान भी बरामद कर लिया गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक हमारी लापरवाही उदासीनता और गलती के चलते हम इस प्रकार से घायल और हमारे अपने मरते तथा यह लुटेरे अपना घर भरते रहेंगे।
हम हर बात के लिए पुलिस को बिना सोचे समझे दोषी ठहरा देते हैं। कोई घटना हुई नहीं कि पुलिसकर्मियों का घेराव कर उन पर आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। उमर व समर द्वारा लूट की यह घटना ना तो पहली है और ना ही आखिरी कही जा सकती। तो फिर भी हम जब यह जानते है तो सुरक्षा और नियमों तथा काम करने वालों को बुलाने से पहले इनकी पहचान की ओर हम ध्यान क्यों नहीं देते। प्रदेश सरकार द्वारा नौकर रखे जाने से पूर्व उसका पूरी जानकारी पुलिस विभाग से कराने के निर्देश दिए गए हैं। तो फिर हम उनका पालन क्यों नहीं करते। इस प्रकार की मजदूरी करने वाले कारीगरों की जांच की कोई व्यवस्था है या नहीं यह तो मैं नहीं जानता लेकिन यह कहना चाहता हूं कि अगर हमें इन्हें प्रोत्साहन देने से रोकना है और अपना और परिवार का जीवन सुरक्षित रखना है तो कुछ बातों का ध्यान विशेष तौर पर रखना होगा। जब भी अपने घर पर काम कराए तो ठेकेदार और आर्किटेक्ट के बारे में जानकारी जरूर करें और जो लोग काम करने आ रहे हैं उनसे आधार कार्ड की कॉपी लेकर फोन नंबर जरूर लिया जाए और मोबाइल से वीडियो व फोटो खींचकर रखे जाएं। घर पर इनसे किसी भी प्रकार के संबंध आत्मिक रूप से जोड़ने की कोशिश ना ही की जाए तो अच्छा है कई कई मामलो में पढ़ने को मिला कि कहीं पानी पिलाने और सब्जी खाना मांगने पर परिवार के लोग इन्हें सामान देते हैं और फिर इनकी मांग बढ़ते बढ़ते घर की स्थिति के बारे में पता करते हैं। मैं यह तो नहीं कहता कि हर मजदूर गलत इरादे रखता होगा लेकिन यह जो धन और सुविधाओ का आकर्षण है यह मजबूर कर देता है कि उमर व समर जेसे लोग अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे देतैं। कॉलोनियों में गेट पर गार्ड पूछताछ करता है लेकिन शहर के गलियों में ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि काम करने वालों के फोटो और पता लेकर जानकारी करनी चाहिए क्योंकि हर जिम्मेदारी पुलिस की नहीं है कि किस घर में कौन काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए कि ठेकेदार या आर्किटेक्ट काम के लिए मजदूर ले जाता है तो वह अपना और मजदूरों का सत्यापित विवरण उपलब्ध कराए। अगर बीच में मजदूर बदले जाते हैं तो उनका पता भी नोट कराया जाए। कॉलोनियों में जो गार्ड नाम नोट करते हैं उनके फोटो भी जरूर खीचें क्योंकि इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है जिससे सरकार की बदनामी होती है कि वह कानून व्यवस्था सही रखने में नाकाम है। जिसके घर का घायल होता है या मरता है उसके लिए जीवनभर का दुख हो जाता है। तो कोई पैसे के लिए अपराधी ना बने इसके लिए जान बचाने के लिए व्यवस्था जरूर अपनाएं। पुलिस अफसर भी ऐसी जांच का निस्तारण जल्द करने और आवेदक को परेशान ना किया जाए। समाज में भयमुक्त वातावरण के लिए जरूरी हो गया है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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