asd कंपनियों और उच्च स्तरीय फर्मो के उत्पादों से निकलने वाली प्रतिबंधित वस्तुओं के दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई

कंपनियों और उच्च स्तरीय फर्मो के उत्पादों से निकलने वाली प्रतिबंधित वस्तुओं के दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई

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आईक्रीम में खानखजूरा एयर इंडिया के खाने में ब्लेड जैसी चीज का निकलना रोटी थूक लगाकर बनाने गन्ने के रस में थूककर ग्राहकों को पिलाने जैसी अनेकों बातें पहले भी होती रही होंगी क्येांकि कहीं लापरवाही से कहीं माल कमाने की धुन में हर ओर से निगाह हटाने से इस प्रकार की शिकायतों का आना कोई बड़़ी बात नहीं कही जा सकती। मगर वर्तमान में जैसे जैसे आबादी बढ़ रही है और जागरूकता आकार ले रही है। छोटी से छोटी बात सोशल मीडिया मंचों के माध्यमों से दुनिया के कोने कोने में पहुंच रही है इसलिए ऐसे बिंदु अब ज्यादा सामने आने लगे हैं क्येांकि कहीं कोई बात हुई नहीं कि सोशल मीडिया मंचों से उसे हवा की भांति उड़ाया जाता है और इस सोशल मीडिया मंच अब ज्यादातर लोग उपयोग कर रहे हैं इसलिए हर बात हर जबान तक कुछ ही सेकेंडों में पहुंुच जाती है। बीते दिनों बंेगलुरू से सेन फ्रांसिस्को जाने वाले एयर इंडिया की उड़ान में यात्रियों को दिए भोजन में कथित तौर पर ब्लेड जैसी धातु का मिलना गंभीर विषय है। एयरलाइन के लोग सॉरी बोलकर मामले का निस्तारण करने की कोशिश कर रहे है। तो दूसरी ओर बीती 15 जून को नोएडा निवासी दीपा देवी ने अमूल की आइसक्रीम मंगाई जिसमें कानखजूरा निकलने की बात कही जा रही है। क्योंकि दीपा के 26 हजार से अधिक फेसबुक फालोवर्स हैं और वह उज्ज्वल उन्नति फाउंडेशन की सीईओ भी है तो यह बात एकदम आगे बढ़ी और अमूल कंपनी के लोग सॉरी बोलकर इस मामले को समाप्त करना चाहते हैं और अभी तक इन मामलों में खाद्य सुरक्षा विभाग के अफसरों को कार्रवाई करनी चाहिए थी वो नहीं की गई और ऐसे मामलों में होता भी है। मेरा मानना है कि केंद्र सरकार और केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग ऐसे मामले जो मानव स्वास्थ्य और उसके अधिकारों को प्रभावित करता हो उसमें तुरंत आरोपों से घिरी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और जब तक प्रताड़ित उपभोक्ता लिखकर ना दे दे तब तक कंपनी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसके विभाग के जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ ऐसी कार्रवाई जरूर होनी चाहिए जिससे और कंपनियों के मालिकों तक वह पहुंचे और मानव स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की बात भी ना सोच पाएं। कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि अगर किसी ने हिम्मत कर आवाज उठाई है तो सरकार को उसकी भावनाओं का आदर करते हुए दोषियों को कठघरे में लाकर खड़ा करना पड़ेगा अगर जिम्मेदार ऐसा नहीं करते हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहने के लिए हम सबको यह सोचकर कि हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है तुरंत आगे आना चाहिए इसी से मिलावट खोरी और लापरवाही से विभिन्न कंपनियों के उत्पादों में जो प्रतिबंधित वस्तुएं निकलती है उन्हें रोका जा सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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