Date: 28/10/2024, Time:

2027 व 29 के चुनाव को ध्यान में रखकर! लोकसभा परिणामों को लेकर मोहन भागवत के संदेश तथा रतन शारदा द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर भाजपा नेताओं को करना होगा विचार

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18वीं लोकसभा के चुनाव में भले ही अपनी घोषणा के अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी 400 सीट ना जीत पाए हो लेकिन गठबंधन ने तीसरी बार सरकार बनाकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना जरूर पूरा कर लिया। राजनीति में चुनाव के चलते आरोप प्रत्यारोप एक मामूली सी बात है। लेकिन परिणाम आने के उपरांत किसी को नीचा दिखाना और दुर्भावना रखना सही नहीं कहा जा सकता चाहे वह विपक्ष रखे या पक्ष।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी पत्रिका आर्गनाइजर के अनुसार लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के अति आत्मविश्वासी तथा कार्यकर्ताओं और नेताओं को सच से सामना कराने वाले रहे हैं। आरएसएस के आजीवन सदस्य रतन शारदा ने अपने लेख में जिक्र किया कि 2024 के चुनाव के परिणाम अति आत्मविश्वास से भरे भाजपा नेताओं को सच्चाई से सामना कराने वाले हैं। क्योंकि शायद उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि पीएम मोदी का 400 सीटों का आहवान उनका एक लक्ष्य था और विपक्ष के लिए एक चुनौती जिसमें वो 240 सीटांें के साथ बहुमत से दूर रह गई लेकिन गठबंधन के सहयोग से 293 सीटें लेकर सरकार बनाई। शारदा ने लिखा कि इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट और सेल्फी डालने से लक्ष्य हासिल नहीं किया जाता है। पत्रिका के ताजा अंक में छपा कि आरएसएस भाजपा की भले ही जमीनी ताकत ना हो लेकिन पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चुनावी कार्य में सहयोग मांगने के लिए स्वयंसेवकों से संपर्क तक नहीं किया। चुनावी परिणाम मंे उन समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी स्पष्ट है जिन्होंने बगैर किसी लालसा के काम किया। लेकिन इंटरनेट मीडिया तथा सेल्फी संस्कृति से सामने आए कार्यकर्ताओं को महत्व दिया गया । यह उसी का परिणाम है।
दूसरी तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। इस पर शांति के साथ विचार करना होगा। भागवत ने कहा कि चुनावी बयानबाजी से हटकर अब मौजूदा समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। संघ प्रमुख ने नसीहत देते हुए यह भी कहा कि अपने काम करने को लेकर अहंकार ना पाले वहीं अच्छा सेवक है। सब लोग काम करते हैं लेकिन काम करते समय मर्यादा का भी पालन करना चाहिए। उसमें अहंकार ना हो। भागवत ने कहा कि चुनाव बहुमत पाने के लिए होता है युद्ध नहीं। दोनों पक्षों को मुददों का सम्मान करना चाहिए।
केंद्र में एनडीए की सरकार काम संभाल चुकी है। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो चुका है और अगले पांच साल सीधे सीधे मोदी सरकार को कोई खतरा भी नजर नहीं आता है लेकिन मोहन भागवत का कथन महत्वपूर्ण है कि काम करें अहंकार ना पाले। चुनाव में मुकाबला जरूरी है लेकिन यह झूठ पर आधारित ना हो। चुनावी बयानबाजी से निकलकर प्राथमिकता से सुलझाए मुददों को। संघ परिवार के आजीवन सदस्य रतन शारदा के आरएसएस से जुड़ी पत्रिका में छपे लेख चुनाव परिणाम भाजपाईयों को सच से सामना कराने वाला है में उभारे गए बिंदू महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा को सरकार बनने और बहुमत लाने के लिए कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करने तथा मोहन भागवत द्वारा दिए गए संदेश और रतन शारदा द्वारा जो बिंदु उठाए गए उन पर विस्तार से मनन करना होगा। जिससे 2027 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 के होने वाले लोकसभा निर्वाचन में भाजपा को इन लोकसभा चुनावों जैसे परिणामों का सामना ना करना पड़े क्योंकि राहुल गांधी के नेतृत्व में गठबंधन के दलों के नेता इन चुनाव परिणामों से उत्साहित हैं और भविष्य में इन्हें और अच्छा बनाने के लिए कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।
मेरा मानना है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को यह समझना होगा कि संघ कार्यकर्ता गांव देेहात गलियों तक अपने कार्यों से घर घर पैठ बनाए हुए हैं। इसलिए सेल्फी या अन्य संस्कृति उतनी जितनी पकड़ मतदाता पर नहीं बना पाएंगे। इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को संघ परिवार से सहयोगात्मक संबंध मजबूत करना होगा। यही वक्त की सबसे बड़ी मांग है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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