अनेक पड़ोसी देशों के अपने समकक्ष नेताओं की उपस्थिति में स्व. पीएम जवाहरलाल नेहरू के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी व शहीदों को नमन करते हुए हजारों की उपस्थिति के बीच 72 मंत्रियों के साथ तीसरी बार मैं नरेंद्र दामोदार मोदी संबोधन से शपथ शुरू कर सहयोगियों को अपने काम में पारदर्शिता ईमानदारी तथा रिश्तेदारों को दूर रखने की सीख देते हुए शपथ ली गई। जहां तक नजर आ रहा है 140 करोड़ देशवासियों का जीवन बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं रखने के संकल्प के साथ मैं भारतवासियों की सेवा में सदैव तत्पर रहुंगा की भावना के साथ 155 मिनट चले शपथ ग्रहण समारोह में फिल्म अभिनेता शाहरूख खान, उद्योगपति मुकेश अंबानी, अनंत अंबानी के साथ ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मालद्वीव के राष्ट्रपति के अतिरिक्त कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहे। युवा जोश और अनुभव की उपस्थिति में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडली में प्रधानमंत्री समेत 31 केंद्र मंत्री पांच राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली।
आज शाम नई कैबिनेट की होने वाली बैठक में समझा जाता है कि सभी मंत्रियों के विभाग भी घोषित कर दिए जाएंगे। कुल मिलाकर अभी तक जो दिखाई दे रहा है राजनाथ सिंह को काफी प्राथमिकता मिलती नजर आई तो अमित शाह भी छाए रहे। मंत्रिमंडल में सभी प्रदेशों को स्थान देने के लिए पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिह के पोते रवनीत बिटटू को भी मंत्री बनाया गया। मॉलीवुड में फ्लाप और राजनीति में सफल चिराग पासवान भी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए।
अनुभवी और सुलझे विचारों के पीएम मोदी जानते हैं कि राजनीति में सफलता की सीढ़ी कैसे चढ़ी जाती है और कब क्या निर्णय लेना चाहिए यह अच्छी प्रकार से जानते है। इसलिए 18वीं लोकसभा के परिणाम आने के बाद सारी चर्चाओं को निराधार करने हेतु टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा कर उन्हें इधर उधर होने की संभावनाओं को समाप्त कर दिया। चूड़ीदार पायजामा नीली जैकेट और सफेद कुर्ते में पीएम मोदी जब शपथ लेने पहुंचे तो वहां का नजारा ही दर्शनीय और यादगार था। राकापा के प्रफुल्ल पटेल को राज्यमंत्री का पद देने का प्रस्ताव ठुकराया गया तो फिल्म अभिनेता सुरेश गोपी ने मंत्री पद छोड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है और यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं नहीं है। नए पथ पर जब कोई चलता है तो ऐसी समस्याएं होती ही हैं। दो बार पूर्ण बहुमत के सरकार चलाने के बाद इस बार गठबंधन के सहयोगी दलों के 11 मंत्री शामिल किए गए जिससे कह सकते हैं कि मोदी निर्विघ्न रूप से सरकार चलाने के लिए हर सम्मानजनक निर्णय ले सकते हैं।
अनुराग ठाकुर को मंत्री ना बनाना उचित
पिछली सरकार में मजबूत मंत्रियों में शामिल सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सहित 27 पुराने मंत्रियों को इस बार मौका नहीं दिया गया है। जानकारों का कहना है कि अनुराग ठाकुर को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। अपनी सरकार में किसको बैठाना है यह प्रधानमंत्री मोदी को ही सोचना है। इसलिए अनुराग ठाकुर को वो कुछ भी दे किसी को परेशानी नहीं है लेकिन उन्हंे मंत्री ना बनाकर प्रधानमंत्री ने एक अच्छा निर्णय लिया है। क्योंकि पिछली सरकार में अनुराग ठाकुर के सूचना प्रसारण मंत्रालय की कार्यप्रणाली और उनकी उदासीनता के चलते मतदाताओं को जो नजर आया वो यह था कि उनके मंत्रालय की उदासीनता के चलते भारतीय परंपराओं और संस्कृति को बड़ा नुकसान पहुंचा। नौजवानों में हिंसा की भावना छेड़छाड़ अपरहण बलात्कार और अप्राकृतिक संबंधों की सोच को बढ़ावा मिला क्योंकि अनुराग ठाकुर के समय में बनी वेबसीरीज भारतीय परंपराओं के विपरीत झडी लगी रही। इन्हें मोबाइल और टीवी पर भी यह देखी जा सकती है इसलिए युवाओं में इनका प्रचार प्रसार हुआ और मैं जानकारों की इस बात से सहमत हूं कि हम अपने बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए जिन स्कूलों में भेजते हैं उनमें सेक्स और अश्लील चित्रों का प्रदर्शन किया उसने नौजवानों को पथभ्रष्ट बनाने का काम किया।
लघु भाषाई समाचार पत्र
अनुराग ठाकुर लघु और भाषाई समाचार पत्रों बड़े समाचार पत्रों में संतुलन बनाने में सफल नहीं हो पाए जिसने सत्ताधारी दल को चुनाव में नुकसान उठाना पड़़ा क्योंकि लघु भाषाई समाचार पत्रों को इनके कार्यकाल में बंदी की ओर धकेला गया। इसलिए भारतय संस्कृति और परंपरा को महत्ता देेने वाले लघु भाषाई समाचार पत्रों में अनुराग ठाकुर को मंत्रीपद ना मिलने से प्रसनन्नता व्याप्त है।
इन बातों का रखना होगा ध्यान
अपने पहले कार्यकाल में पीएम मोदी दुनियाभर के लोकप्रिय नेताओं में प्रथम पंक्ति में विराजमान हुए। देश में भी धारा 370 हटाने तीन तलाक जैसे कई निर्णय उन्होंने लिया। सर्जिकल स्टाइक भी प्रमुख कही जा सकती लै मगर पीएम साहब 2027 की पृष्ठभूमि अगर तैयार करनी है जो चुनाव परिणाम इस बार आए है उनको पलटना है तो नागरिकों के अनुसार एक तो नौकरशाही के द्वारा दिए जाने वाले गलत आंकड़ों पर विश्वास कर बिना परखे जनता के बीच उन्हें नहीं ले जाना होगा। दूसरे सहयोगी दलों और पार्टी नेताओं को जो ईमानदारी और पारदर्शिता का संदेश दिया है उसका पालन कराने और जनसमस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय करने के साथ कुछ निरंकुश नौकरशाहों पर सख्त निगरानी रखवानी होगी तथा पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं की परेशानियों का हल ढूंुढना होगा। पूर्व में सरकार सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जो अपना विरोधी बनाकर रखा गया उस सोच में बदलाव लाना होगा क्योंकि बड़े अखबार भले ही मोटी राशि के विज्ञापन लेकर गुणगान करते रहे लेकिन ये लघु समाचार पत्र आम आदमी तक अपनी पैठ रखते हैं। कुल मिलाकर कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि समस्या का समाधान करने के अतिरिक्त नेताओं मंत्रियों और अफसरों को जनसंवाद के लिए प्रेरित करना होगा तभी सरकार तक कहां कमी रह रही है और समाज में क्या परेशानियां खड़ी है उसकी सूचना आप तक पहुंच पाएगी। मैं यह बात विश्वास से कह सकता हूं कि सरकार आम आदमी के सपनों को साकार करने में सफल रही तो मोदी सरकार कही जाने वाली नहीं है। सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार ना तो निरंकुश निर्णय लेने की सोचेगी क्योंकि सरकार और विपक्ष में इस बार भरपूर संतुलन नजर आएगा। कोई भी निरंकुश निर्णय लेने की सोच नहीं पाएगा। क्योंकि एक तो मोदी जी का डंडा और दूसरे विपक्ष की पैनी नजर।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जनता से संपर्क रहा तो पांच साल चलेगी मोदी सरकार, जनसमस्याओं का करना होगा समाधान, नौकरशाहों की कार्यप्रणाली पर रखनी होगी निगरानी
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