कई बार उप्र में मुख्यमंत्री रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की स्थिति इस लोकसभा मंें क्या रही और क्यों रही यह तो वही सोच सकती है लेकिन यह पक्का है कि चुनावी राजनीति के बाद उनका और अपना वारिस घोषित करने के बाद हटाए गए आकाश आनंद का ग्राफ कुछ नीचे जरूर आया है। लेकिन जिस प्रकार से नगीना लोकसभा क्षेत्र से आजाद समाज पार्टी के सहारनपुर निवासी 2015 मेें भीम आर्मी संगठन के बाद अपने आक्रामक तेवर के साथ राजनीति में उतरे और अब 2020 मेें बनाई गई आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर पहले नगीना से सांसद चुनाव जीतकर बन गए हैं। राजनीति में यह बड़ी बात नहीं कही जा सकती लेकिन जिस प्रकार से किसी भी गठबंधन में ना रहकर अकेले चुनाव जीते यह बड़ी बात है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पहली बार गोरखपुर में सीएम योगी के सामने ताल ठोकने वाले चंद्रशेखर की आवाज और निर्भीकता में वो दम नजर आता है कि अगर उन्हें सही रास्ता प्राप्त हो गया तो वो औवेसी जैसे कई राजनेताओं को पीछे छोड़ सकते हैं। युवा होने के चलते शेर जैसी दहाड़ और साफ राजनीति के चलते कोई गलत रास्ता नहीं अपनाया तो वह दलितों और मुस्लिमांें में अपनी मजबूत पकड़ बना सकते हैं और अभी तक जेल जाने संघर्ष करने और निर्णय लेने के परिणाम के रूप में ही वो सांसद बने। हो सकता है वो अगले चुनाव तक कई सांसद अपनी पार्टी के जिताने वाले राजनेता बनकर उभरे और आज जिन दलों ने उनसे गठबंधन को नकारा कल केंद्र में सत्ताधारी दल के मुकाबले विपक्षी वोटों के बिखराव को रोकने के लिए चंद्रशेखर से गठबंधन की कोशिश करने लगे तो बड़ी बात नहीं है। राजनीति या समाज में अपनी अलग पहचान रखने वाले व्यक्ति को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। अभी यह सारे गुण चंद्रशेखर में नजर आते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
यूपी की राजनीति में अगले चुनाव तक चंद्रशेखर कर सकते हैं करिश्मा
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