नई दिल्ली, 22 मई। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भारतीय मसालों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट की बात खारिज कर दी है। संस्थान ने व्यापक जांच के बाद इनमें एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) न मिलने की पुष्टि की है। एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर होने का खतरा रहता है।
एफएसएसएआई ने 22 अप्रैल को मसालों की जांच के लिए देशभर में जांच अभियान शुरू किया था। जांच में महाराष्ट्र और गुजरात में एवरेस्ट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से 9 नमूने और दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एमडीएच की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से 25 नमूनों का विश्लेषण किया गया। विशेष रूप से गठित वैज्ञानिक पैनल ने 34 सैंपल में से 28 की रिपोर्ट में एथिलीन ऑक्साइड के नहीं होने की पुष्टि की है। बाकी छह सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी हैं। देशभर में अन्य ब्रांडों के मसालों के 300 से अधिक सैंपल इकट्ठे किए गए थे। इनमें से किसी में भी एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी नहीं थी।
सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में अप्रैल महीने में एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की लिमिट से ज्यादा मात्रा होने का दावा किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि दोनों देशों में एमडीएच और एवरेस्ट कंपनियों के कुछ प्रोडक्ट्स को बैन किया गया है।
हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने कहा था कि एमडीएच ग्रुप के तीन मसाला मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है।
विवाद के बाद FSSAI ने 22 अप्रैल को देशभर में जांच अभियान शुरू किया और फूड कमिश्नर्स से मसाला बनाने वाली सभी कंपनियों के सैंपल कलेक्ट करने को कहा था।
FSSAI ने मसाले के नमूनों में एथिलीन ऑक्साइड के लेवल को टेस्ट किया, इसके साथ ही नमी की मात्रा, कीट और rodent contamination,हेवी मेटल्स , एफ्लाटॉक्सिन, कीटनाशक अवशेष और विभिन्न microbiological contaminants सहित कई पैरामीटर्स को चेक किया गया.