कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं द्वारा 20 जनवरी को अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने का न्यौता अस्वीकार करने के बाद इसको लेकर इस पार्टी और इसके नेताओं पर लग रहे आरोपों के चलते अब लगता है कि कांग्रेसियों ने सभी आरोपों को झुठलाने और अपने आपको पूरी तौर पर राम भक्त कहलाने का फैसला कर लिया है। क्योकि कांग्रेस नेताओं के हवाले से छप रही अलग अलग खबरों से स्पष्ट होता है कि पार्टी का हर व्यक्ति इस मामले में अपना निर्णय लेने को स्वंत्रत है। क्योकि पिछले तीन चार दिनों में इस विषय को लेकर सबसे पुरानी पार्टियों में से एक की छवि राम विरोधी होने को लेकर भी चर्चाऐं होने लगी थी।
आज एक खबर छपी कि पी वी नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री रहते आये अध्यादेश के बाद नहीं रूकी राम लला की पूजा। तो दूसरी ओर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खडगे का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरी तौर पर राजनीतिक है राम पर आस्था रखने वाले कभी भी जा सकते है अयोध्या। इसलिए 22 जनवरी को अगर कोई नहीं जाता तो उसे राम विरोधी नहीं कहा जा सकता। तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा कि यज्ञ अनुष्ठान में कौन से नियमों का पालन करना है ये तो सर्वोच्च पद पर आसीन धर्म गुरू ही बता सकते है। सनातन धर्म में शंकराचार्य से बड़ा कोई पद नहीं है। दूसरी और प्रमुख कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक इमरान मसूद का कहना है कि राम सभी की आस्था के प्रतीक है इसको लेकर चर्चा का विषय नहीं है इस देश के कण कण में राम बसते है तो उनके अस्थित्व को कैसे नकारा जा सकता है। इसी प्रकार वरिष्ठ राजनेता महाराजा कर्णसिंह का कहना है कि राम मंदिर सभी की आस्था का प्रतीक है वहां जाने से ना तो कोई किसी को रोक सकता है और ना ही रोकना चाहिए। कर्ण सिंह का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा में जाने से हिचकना नहीं चाहिए हम मनायेंगे विशेष उत्सव मुझे भी निमंत्रण मिला है।
स्मरण रहे कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गत दिवस कहा कि 22 जनवरी के बाद उन्हें जब भी समय मिलेगा श्रीराम की पूजा करने अयोध्या जाएंगे प्राण प्रतिष्ठा के दिन कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता राज्यभर के राम मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करेंगे। इससे भी आगे एक समाचार पत्र में छपी खबर का हवाला देते हुए एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता मेरठ निवासी चौधरी यशपाल सिंह का कहना है कि भगवान राम हमारे अराध्य है और हम सबके मन में समाये है हम तो उनके नाम को आत्मसात कर चुके है। चौधरी यशपाल सिंह ने इस संदर्भ में एक अखबार में छपी उक्त खबर का हवाला देते हुए जिसमें बड़ौत बागपत के बाबली रोड निवासी पुराने कांग्रेसी रामकुमार के परिवार के सभी 70 सदस्यों के नाम में राम को पिरोया गया है। इनमें 30 बेटियां भी शामिल हैं। परिवार के सदस्य देहरादून और गाजियाबाद में भी हैं। रामकुमार आठ बार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, 12 बार प्रदेश महामंत्री और बीच-बीच में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रह चुके हैं।
परिवार में नाम में राम जोड़ने की पंरपरा सात पीढ़ी पहले शुरू हुई थी। रामकुमार के बुजुर्गों खुशीराम, खुशीराम के बेटे लालाराम और लालाराम के बेटे रामसिंह ने इसे जारी रखा। राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की अगुवाई करने वाले स्वामी वामदेव से परिवार का गहरा नाता रहा है। स्वामी वामदेव हर साल एक सप्ताह इसी परिवार में रुकते थे।
रामकुमार के अनुसार एक बार परिवार में कुछ ठीक नहीं चल रहा था। पशु व घर के सदस्य बीमार हो गए थे। आर्थिक संकट गहरा गया था। स्वामी वामदेव के कहने पर ही रामसिंह ने घर में पहली बार रामायण का अखंड पाठ कराया था। अखंड पाठ समाप्त होते ही सारी विपत्तियां दूर हो गईं। इससे राम नाम के प्रति आस्था और प्रगाढ़ हो गई। अब परिवार में हर महीने अखंड रामायण का पाठ और भंडारा कराया जाता है।
पुरुषों के नाम
रामकुमार, रामदास, रामफूल, रामसिंह, रामभजन, रामफल, रामरंग, रामहरि, रामजी, रामद, रामदेव, रामलखन, रामकृष्ण, रामगोपाल, रामकिशन, राम माधव, राम राघव, रामअंश, रामसुमन, रामबीर, खुशीराम, लालाराम, गिरधारी राम, आत्माराम, चाहींराम, गोविंद राम, मुकुंद राम, नंदराम, बलराम, आदित्य राम, रामवंश, केशव राम, गोविंद राम, यशराम, शिवराम और शिवाराम।
महिलाओं के नाम
रामकौर, रामदुलारी, राममूर्ति, रामबबीता, रामराधा, रामभव्या, रामचाही, रामलता, रामरूबी, रामबिन्नी, रामअंजलि, रामरक्षिता, रामनित्या, रामकविता, रामरेखा, रामरोशनी, रामबीरी, रामरेशू, रामकृति, रामसुनीता, रामअनंता, राम स्वस्तिका, गौरीराम, पिंकीराम, नेहाराम और गौरीराम।
चौधरी यशपाल सिंह का कथन है कि कांग्रेस से जुड़े इस परिवार के हर सदस्य महिलाओं सहित के नाम में राम का नाम जुड़ा है तो फिर कांग्रेस और उसके नेताओं को कोई भी राम विरोधी कैसे कह सकता है। चौधरी यशपाल सिंह का कथन था कि सोनिया गांधी जी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने जो निर्णय लिया वो सही है उसे कांग्रेस विरोधी नहीं कहा जाना चाहिए। हम सब स्वंत्रत है और भगवान राम हमारे मन में बसे हम रोज ही उनकी पूजा अर्चना करते है इसलिए ये जरूरी नहीं है कि मंदिर में जाकर दर्शन कब करे।
कांग्रेसियों की उक्त बाते और चर्चा से ये तो स्पष्ट हो ही रहा है कि कोई भी भगवान राम के नाम का विरोधी नहीं है। हां जब जिसकी मर्जी होगी वो किसी और के नहीं अपने हिसाब से अयोध्या मंदिर भी जाएंगे और भगवान के दर्शन भी करेंगे। बाकी तो राजनीतिक व्यंग और आरोप प्रतिआरोप हमेशा हर मुद्दे को लेकर जिस प्रकार जारी रहते है वैसा ही कुछ इस मामले में भी होता नजर आ रहा है।
लेकिन अब इसे लेकर कोई भी कांग्रेसियों को शायद राम विरोधी नहीं ठहरा सकता। इमरान मसूद व यशपाल सिंह के कथन में है दम।