कुछ स्कूल कॉलेजों को छोड़कर बाकी में छात्र छात्राओं की बढ़ती संख्या शिक्षकों को मिल रहे मोटे वेतन के चलते शिक्षक व प्रोफेसर की नौकरी अब बड़े प्राइवेट संस्थानों के एग्जूक्यूटिव के समान हो जाने से इनमें अपने नियुक्ति कराने के लिए मौखिक चर्चाओं के अनुसार प्रार्थी हर तरह से यहां काम पाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहते हैं। इसके लिए सिफारिश के साथ जो मौखिक चर्चाएं चलती हैं उसके प्रति ना तो हम सहमत व्यक्त करते है ना असहमति लेकिन कहा जाता है कि अब एक पद के लिए लाखों रूपये भी कुर्बान किए जा सकते हैं। इसमें कितनी सत्यताा है यह तो जांच का विषय है। लेकिन यूपी के बागपत निवासी नरेंद्र जैन व सुनील जैन तथा अतुल जैन की इस बारे में हुई शिकायत को सही माना है। अब अदालत के आदेश पर कमेटी की सुनवाई के बाद यह फैसला लिया गया कि दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज के 22 अस्सिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। बताते हैं कि कॉलेज की प्रबंधन समिति के सचिव जिनेंद्र कुमार जैन, आजीवन सदस्य नरेंद्र कुमार जैन और बड़ौत जनसंपर्क समिति के सदस्य अशोक जैन ने शासन को शिकायत भेजी थी कि कॉलेज की प्रबंध समिति 2003 से कालातीत है। इसके बावजूद 22 अस्सिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति कर रही हैं। भर्ती को नियम विरूद्ध बताने के साथ इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए बताए जाते थे। इसमें 22 नवंबर 2023 को शासन द्वारा भर्ती निरस्त कर दी गई जिसके द्वारा कॉलेज प्रबंधन समिति ने अदालत में याचिका दायर की गई। अदालत ने आदेश दिया था कि उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर फैसला लिया जाए। जिसने बीती चार अप्रेैल को प्रमुख सचिव चौधरी चरण सिंह विवि के कुलपति धीरेंद्र कुमार उच्च शिक्षाधिकारी डॉ ज्ञानप्रकाश मौजूद रहे। कमेटी ने शिकायतकर्ता प्रबंध समिति पक्ष के नरेंद्र जैन सुनील जैन अतुल जैन राजपाल जैन धनेंद्र जैन आदि के पक्ष को सुना और उक्त फैसला लिया। उप्र सेवा चयन आयोग से भर्ती के आदेश हुए।
पूरे प्रकरण में क्या क्या विशेष बिंदु है यह तो शिकायतकर्ता या समिति के पदाधिकारी अथवा कमेटी के सदस्य ही जान सकते हैं मगर पिछले कुछ वर्षो। से जितना सुनने देखने को मिलता है उन्हें देखकर यही कहा जा सकता है कि छोटे स्कूलों से लेकर बड़े कॉलेजों तक सबमें शिक्षक और प्रोफेसरों की पारदर्शी भर्ती उच्च स्तरीय शिक्षा मिल सके इसके लिए जरूरी है कि सब जगह भर्ती के लिए केंद्र प्रदेश सरकारें किसी सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति बनाएं और जहां भी वैेकेंसी निकले वो उस समिति को भेजे और वो शिक्षकों व प्रोफेसरों की नियुक्ति करें जिससे जो विवाद होते हैं उससे स्कूलों को बचाया जा सके और शिक्षा का स्तर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की भावनाओं के अनुसार निरंतर अच्छा होता रहे और कहीं से कोई गड़बड़ होने की आशंका भी सुनाई ना दे। बाकी तो जिम्मेदारों को सोचना है कि किस प्रकार से शिक्षा का स्तर बढ़ाने और स्कूल कॉलेज में भ्रष्टाचार की शिकायतों को कैसे दूर किया जा सकता है। लेकिन मेरा मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बनी रहे इसके लिए प्रबंधन समिति के नियमानुसार चुनाव और नियम निर्धारित किए जाएं जिससे शिक्षण संस्थान राजनीति का अखाड़ा ना बने और जो समय पढ़ाई का होता है वो शिक्षक व मैनेजमेंट के बीच लड़ाई मंे ना बीत जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
स्कूल हो या कॉलेज उनमें सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित समिति करे शिक्षक और प्रोफेसरों की नियुक्ति
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