समाज और सरकार की निगाह में गलत समझे जाने वाले धंधों पर अंकुश लगाने हेतु कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रईश बने लोगों की जांच कराने की बात सामने आई थी। ऐसे मामलों में क्यों हो रहा है। और क्या नहीं यह तो अभी नहीं पता चल पा रहा लेकिन जब कोई सरकारी कागज शुरू हो जाता है तो आसानी से दबता नहीं है इसी प्रकार जब कोई नीति शासन में शुरू होती है तो भी भले कागजों में दब जाए मगर उस पर काम चलता ही रहता है।
आजकल आम आदमी की परेशानी देश के शहरों व देहातों में लगने वाले जाम का मुख्य कारण अवैध निर्माण कच्ची कॉलोनियों का विकास और सरकारी जमीन बेचने को लेकर चर्चाएं लगभग रोज ही कहीं ना कहीं पढ़ने सुनने को मिल जाती है। सबकुछ होने के बाद भी सरकार की निगाह में अपराध की श्रेणी में आाने वाले यह धंधे दिन दूनी रात चौगुनी कैसे तरक्की कर रहे हैं इसको लेकर चर्चाएं आम नागरिकों से लेकर सरकारी विभागों में होती बताई जाती है।
आजकल एक विषय समाज में जोर शोर से चर्चाओं में है कि आखिर अवैध निर्माणकर्ताओं को इतनी फंडिंग कहां से मिल रही है कि वो एक साथ दस दस बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। मोखिक सूत्रों का कहना है कि यह सभी प्रोजेक्ट केंद्र प्रदेश सरकार से निर्माण नीति के विपरीत जाकर कभी मानचित्र पास की आड़ में तो कभी अदालत की आड़ में चल रहे हैं। और इन्हंे संबंधित विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की भरपूर सपोर्ट कहे अनकहे रूप में मिल रही बताई जाती है। मगर जागरूक नागरिकों के इस कथन में बड़ा कदम है कि कुछ लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं। अधिकारियों की उन्हें सपोर्ट मिल रही हो सकती है लेकिन इन्हें फाइनेंस कौन और किसकी शह पर कर रहा है। सरकार का अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनी कटने से रोकने के अभियान को पलीता लगाया जा रहा हैं करोड़ों का फाइनेंस कौन कर रहा है और ऐसा करने वाले इन अवैध निर्माणकर्ताओं की कंपनी में पार्टनर है या नहीं या बाहर से करोंड़ों की फाइनेंस बिना किसी लिखा पढ़ी की जा रही है।
कई जागरूक नागरिकों का कहना था कि सरकारी योजनाओं की सफलता और आम आदमी को जाम से मुक्ति दिलाने और दो नंबर की कमाई के पैसे से अवेध निर्माण को बढ़ावा देने के पीछे कौन लोग हो सकते हैं और वो कौन से व्यापारी या अन्य लोग है जो लखपति से करोड़पति और अरबपति बने है। सरकारी स्तर पर इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि सफेदपोंशों का एक सक्रिय ग्रुप नुकसान तो सरकारी नीतियों को पहुंचा रहे है। मगर उसका नुकसान आम आदमी को भुगतना पड़ रहा हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कौन कर रहा है कच्ची कॉलोनी काटने अवैध निर्माण करने वालों को फाइनेंस, सरकार और जनहित में पिछले कुछ समय में रईश बने लोगों की हो जांच
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