Date: 22/12/2024, Time:

मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र कुमार विश्वास और अरूण गोविल को पचा नही पाएंगे मतदाता, बाज आये इनका महिमामंडन करने वाले, राष्ट्र कवि किसने बनाया

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यूपी की जिन सीटों पर अभी तक भाजपा द्वारा लोकसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किये गये है। चर्चा है कि अब जल्दी ही आज या कल में उन क्षेत्रों के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी जिन्हें यहां से चुनाव लड़ाना है। लेकिन भाजपा जैसी परिपक्व राजनीति करने वाली पार्टी और वर्तमान में जो केन्द्र सहित देश के कई प्रदेशों में सरकार चला रही है और फिर जिस पार्टी के मुखिया पीएम नरेन्द्र मोदी जैसे सुलझे और समयानुकूल निर्णय लेने वाले राजनेता और जेपी नेड्डा राजनाथ सिंह अमित शाह जैसे बड़े लीडर नेतृत्व कर रहे हो वो किसी भी रूप में हारने की संभावना वाले उम्मीदवार को तो टिकट नहीं देगी।
राजेन्द्र अग्रवाल तीन बार से यहां से चुनाव जीत चुके है और इस बार भी उनकी स्थिति कोई कमजोर नहीं है। और अगर कोई कहे कि वो जीत नहीं पाएंगे तो जो लड़ेंगे वो भी जीत पाएंगे इसकी क्या गारंटी है। अब राजेन्द्र अग्रवाल को छोड़ दे तो कैन्ट विधायक अमित अग्रवाल तथा उप्र भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के जुझारू और स्पष्ट वक्ता विनीत शारदा अग्रवाल विकास अग्रवाल हापुड़ राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल गाजियाबाद आदि टिकट मांग रहे है मिलेगा या नहीं वो तो पार्टी को तय करना है। मगर इन जैसे नेता हमेशा अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ साथ सबके सुख दुख में तो खड़े ही रहते है और इनकी अपनी संघर्षों के चलते एक पहचान भी है।
कुमार विश्वास और रामायण में राम का अभिनय करने वाले अरूण गोविल का क्या योगदान मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के विकास और यहां की जनसमस्याओं के समाधान अथवा जनता के साथ कठिनाई के समय खड़े रहने के मामले में है यह तो कोई भी बताने को तैयार नहीं है बस इन्हें टिकट मिलने और चुनाव लड़ने की बात करने वाले इतना ही कह पाते है कि अरूण गोविल जी का परिवार किसी जमाने में मेरठ में रहता था और कुमार विश्वास यूनीवर्सिटी से संबंध रहे। अरे भईया लाखों लोग होंगे जिनके परिवार मेरठ में रहते होंगे और वो किसी न किसी क्षेत्र से संबंध रहे होगें और उन्होंने बाहर जाकर बड़े नाम व पैसे भी कमाये होंगे लेकिन इसका मतलब यह तो है नहीं कि उन सबको यहां बुलाकर प्लेट में उपहार की तरह रखकर चुनाव लड़ने के लिए उतार दिया जाए।
जहां तक बात करे कुमार विश्वास की तो उनका महिमामडंन करने वाले उन्हें राष्ट्र कवि बता रहे है मगर ये दर्जा उन्हें किसने दिया इसका जबाव किसी के पास नहीं है। हां कुछ जागरूक नागरिकों का यह स्पष्ट कहना है कि विश्वास जी महंगे और बड़े आदमियों के कवि है उनका आम नागरिकों और जनता से पिछले कई दशक से कोई सीधा संबंध नहीं है। और वो जनहित के किसी आयोजन अथवा गरीबों को प्रोत्साहन देने वाले किसी कवि सम्मेलन या कार्यक्रम में यहां मेरठ आये हो ऐसा भी किसी को याद नहीं है। अरे यूनिवर्सिटी में तो बहुतों ने लंबा समय गुजारा तो फिर कुमार विश्वास को ही टिकट क्यू मिले। दूसरी तरफ जहां तक नजर आता है देश के विकास और प्रगति में भी उनका कोई योगदान बताने के लिए उनके पास कुछ नहीं हैं। हां कुछ लोगों की यह बात सही लगती है कि वो वक्त अनुसार पार्टियों और नेताओ के नाम का उपयोग करने में पीछे नहीं रहते है। पहले वो आप पार्टी और उसके नेताओं का गुणगान करते थे वहां जब दाल नहीं गली तो अब सत्ताधारी दल में शामिल हो गये लेकिन उसके लिए भी कुछ किया हो या जनहित में कोई अभियान चलाया हो ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
अब बात करे अरूण गोविल जी की तो मोदी जी के प्रयासों से पूरा देश राममय हो गया है। और अब अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है अब तो सीधे भगवान से देश दुनिया के लोगों का रिश्ता जुड़ गया है तो फिर उनका अभिनय करने वाले अरूण गोविल जी को फिल्मों में ही अपना मुकद्दर अपनाना चाहिए राजनीति में उछाल भरने और वो भी उस जनपद में जहां की गलियां भी उन्हें सही प्रकार से याद न होगी और वर्तमान में अपने परिवार वालों के सभी रिश्तेदारों को भी वो नहीं पहचानते होंगे उन्हें सिर्फ इसलिए कि उनके घरवाले मेरठ में रहते थे टिकट दे दिया जाए ये तो कोई तुक नहीं बनती और अगर समय अनुसार अपने हित में निर्णय लेने वाले लोगों को महिमामंडित किया जाएगा तो फिर पार्टी के लिए दरी बिछाने और झाडू लगाने से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचे विश्वसनीय और निष्ठावान कैंडर के कार्यकर्ताओं का क्या होगा ये बात भले ही जबरदस्ती कारण चाहे कुछ भी हो कुमार विश्वास और अरूण गोविल का महिमा मंडन कर रहे लोगों को सोचनी होगी क्योंकि अब समय बदल रहा है बिल्ली के भागो छिके भी निष्ठावान या राजनीति क्षेत्रों में चर्चित चेहरों के लिए ही छिका नहीं टूटगा।
अब वैसे भी देखे तो पिछले कुछ वर्ष से कुछ लोगों द्वारा कुमार विश्वास को महिमा मंडन करने का एक अभियान चलाया हुआ है। विधानसभा के चुनाव हो या विधान परिषद के अथवा राज्यसभा या लोकसभा के वो इनका नाम जबरदस्ती उछालने और इनका महिमा मंडन करने में लगे रहते है जो नागरिक जनहित में ठीक नहीं मानते।

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