कहते है कि राजनीति और प्यार में कब क्या हो जाए कौन किसका प्रीत और कौन किसका दुश्मन हो जाए कह नहीं सकते। क्योकि इस क्षेत्र में कभी कभी ऐसे निर्णय होते है जो आम आदमी के लिए तो चर्चाओं का विषय और राजनीति वालों के लिए मिशाल तथा निस्वार्थ कार्यकर्ताओं के लिए वरदान साबित होते है। 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद के मुखिया जयंत चौधरी का डा0 राजकुमार सांगवान को बागपत से चुनाव लड़ाने का निर्णय कुछ ऐसा ही है। पिछले 87 साल बाद यूपी के चर्चित चुनाव क्षेत्र बागपत की राजनीति में चौधरी परिवार से बाहर का व्यक्ति डा0 राजकुमार सांगवान के रूप में यह चुनाव लड़ेगा। और यह कहना गलत नहीं है कि चुनाव मैदान में डा0 राजकुमार सांगवान नहीं निष्ठावान विश्वसनीय वो कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा जो अब ये सोचने लगता था कि भले ही सरकार ने राजघराने खत्म कर दिये हो लेकिन राजनीति में अभी वो ही व्यवस्था चली आ रही है।
किसी के पास अगर बहुत कुछ होता है तो यह समझा जा सकता है कि वो थोड़ा बहुत औरों को भी दे सकता है इसलिए अगर भाजपा जयंत चौधरी जैसा निर्णय लेती तो लगता कि उसके पास सीट और उम्मीदवार बहुत थे उसने जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं और वफादारों का मान रखा। लेकिन यहां तो रालोद के पास बिजनौर और बागपत दो ही सीट थी और यह भी किसी से छिपा नहीं है कि बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने को तो धन व बाहुबलियों की कमी नहीं थी लेकिन जयंत चौधरी ने अपने दादा जननायक गरीब और मजदूरों के नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के आदर्शों को आत्मसात करते हुए धन और बाहुबल को नजरअंदाज कर वफादारों को चुनाव मैदान में उतारा। परिणाम स्वरूप 1980 से बड़े चौधरी स्वर्गीय चरण सिंह जी के सिपाही के रूप में काम कर रहे खुशमिजाज हरदिल अजीज जमीन से जुड़े सर्वमान्य राजनेता और छात्र नेता रहे प्रो0 राजकुमार सांगवान को टिकट देकर वफादारों को राजनीति में बढ़ावा दिया।
ईमानदार संघर्षशील नेता डा0 राजकुमार सांगवान
बताते चले कि बीते 44 साल के राजनीतिक संघर्ष करने में अग्रणी 63 वर्षीय राजकुमार सांगवान के दामन पर कभी कोई दागधब्बा आरोप प्रत्यारोप किसी भी प्रकार कोई नहीं लगा पाया। ऐसे फकीरी के माहौल में सियासत करने वाले अपने विश्वसनीय नेता को टिकट देकर जयंत चौधरी ने वर्तमान राजनीति में एक ऐसी लकीर खींच दी जो आम कार्यकर्ता और नेता तथा इसकी विचारधारा वाले मतदाताओं में एक आशा की किरण बनकर उभरी है। टिकट मिलने पर सांगवान का कहना है कि मेरे लिये यह गौरव की बात है। मैं भाई साहब के भरोसे पर पूरी तौर पर खरा उतरूंगा।
बताते चले कि पूर्व में कई बार सिवालखास क्षेत्र से डा0 राजकुमार सांगवान का टिकट काटा गया लेकिन इस बार जयंत चौधरी ने अपनी धर्मपत्नी चारू चौधरी जिन्हें चुनाव लड़ाने के लिए जयंत चौधरी पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी दबाव था के स्थान पर डा0 राजकुमार कुमार सांगवान को टिकट देकर जयंत चौधरी ने एक बड़ी मिसाल कायम की राजनीति में।
दादा नाना के क्षेत्र में वफादारों का
भाजपा रालोद गठबंधन में अपने हिस्से में आई दो सीटों पर बिजनौर से चंदन सिंह चौहान एडवोकेट को और बागपत से राजकुमार सांगवान को चुनाव मैदान में उतारकर जयंत चौधरी ने अपने दादा चौधरी चरण सिंह जी के राजनीतिक क्षेत्र और ननीहाल के लोगों को यह स्पष्ट कर दिया कि जब जयंत चौधरी राजनीति में आये तो बड़े चौधरी साहब के प्रशंसको को उनमें जननेता की छवि जो नजर आती थी वो गलत नहीं थी। उन्होंने सब कुछ नजरअंदाज कर विश्वसनीय व निष्ठावानों को टिकट देकर राजनीति की एक स्वच्छ छवि स्थापित की है। इसे कोई गुर्जर कार्ड कह ले या जाट कार्ड।
मोदी जी जैसी जयंत की सोच
यहां एक बात कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं करता हूं कि जयंत चौधरी ने यह निर्णय लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अक्समात लिये जाने वाले निर्णयों की श्रृंखला को बढ़ाया है क्योंकि जिस प्रकार से देश के यश्सवी प्रधानमंत्री कब क्या निर्णय लेंगे और क्या वो सोचते है और कब क्या करेंगे ऐसा ही कुछ विश्वास से भरा फैंसला जयंत चौधरी का यह टिकट वितरण रहा कह सकते है।
वंशवाद का आरोप भी नहीं लगेगा
राजकुमार सांगवान जमीन से जुड़े नेता है। हर कोई उन्हें चाहता है। और ऊपर वाले ने चाहा तो वो चौधरी परिवार की पंरमपरा को कायम रखते हुए वो हर हाल में चुनाव जीतेंगे यह बात इसलिए भी कही जा सकती है कि उन्हें टिकट मिलने पर जिस प्रकार से रालोद के नये पुराने कार्यकर्ताओं के द्वारा मिठाई बांटने के साथ ही खुशियां मनाई जा रही है वो किसी अपने के लिए ही की जाती है। और सबसे बड़ी बात यह है कि सांगवान को टिकट मिलने से विरोधी राजनीति करने वाले विपक्ष के तमाम मतदाता भी खुश है। क्योंकि यह सभी जानते है कि राजकुमार सांगवान ने आज तक शादी नहीं की तो उनके द्वारा भाई भतीजा और वंशवाद बढ़ाने का कोई मामला ही नहीं है। और बड़ी कोठियों की चार दिवारी में वो रहते नहीं है इसलिए सड़क के नेता है और 24 में से 16 घंटे अगर वो अपने कर्म जन्म और राजनीतिक क्षेत्र में है तो हर व्यक्ति को उपलब्ध होते है इसलिए यह कह सकते है कि पुराने चौधरी साहब के आर्शीवाद और रालोद मुखिया जयंत चौधरी के मार्गदर्शन में चुनाव लड़कर वो संसद में पहुंचेंगे और सफल सांसदों की गिनती में अपना नाम शामिल करेंगे इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
बागपत के मतदाताओं का
मैं हमेशा इस बात का मानने वाला रहा कि बागपत से जयंत चौधरी अपनी धर्मपत्नी चारू चौधरी को चुनाव लड़ाये जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो और हर सदन में रालोद का प्रतिनिधि मौजूद रहे। लेकिन डा0 राजकुमार सांगवान को टिकट मिलने से मेरी वो सोच अभी सही साबित होगी क्योंकि बागपत क्षेत्र के मतदाताओं का आर्शीवाद ऊपर वाले ने चाहा तो सांगवान को झोली भर भर मिलेगा।
पुराने चौधरी साहब की छाप नजर आती है इस निर्णय में! धनबल और बाहुबल के बजाए निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर जयंत चौधरी ने जताया विश्वास, चौधरी साहब की कर्म भूमि पर आम आदमी के नेता सांगवान को मिलेगी बड़ी सफलता
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