asd रालोद मुखिया चारू चौधरी को बागपत से और त्रिलोक त्यागी को लड़ाये विधानपरिषद चुनाव, बिजनौर से मलूक नागर भी हो तो कोई बुराई नहीं

रालोद मुखिया चारू चौधरी को बागपत से और त्रिलोक त्यागी को लड़ाये विधानपरिषद चुनाव, बिजनौर से मलूक नागर भी हो तो कोई बुराई नहीं

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बीते यूपी विधान सभा चुनाव में सपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर यूपी विधानसभा और राज्यसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल जयंत चौधरी पिछले कई वर्षों पुराने रालोद नेता कार्यकर्ताओं व मतदाताओं के साथ ही निष्पक्ष विचारधारा वाले नागरिकों की पूर्व प्रधानमंत्री जननायक स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को मिले भारत रत्न दिलाने में सफल रालोद मुखिया जयंत चौधरी अगर जिस प्रकार से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से सुझबुझ के निर्णय ले रहे है अगर आगे भी ऐसा चला तो उप्र विधान परिषद और लोकसभा में भी उनके दल की उपस्थिति दर्ज हो सकती है। हमारा मानना है कि राज्यसभा सदस्य तो जयंत चौधरी साहब है ही अब बिजनौर और बागपत की दो लोकसभा सीटें मिली है। इसमें बिजनौर से चाहे जिसे लड़ाये लेकिन शुरू से चौधरी चरण सिंह साहब की विरासत को समेटने में जयंत चौधरी के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही उनकी धर्मपत्नी चारू चौधरी को उन्हें बागपत से लोकसभा का चुनाव लड़ाना चाहिए क्योंकि अभी तक इस चुनाव में जो नजर आ रहा है उससे लगता है कि रालोद और भाजपा की जुगलबंदी यहां अपना उम्मीदवार जिताने में सफल हो सकती है और चारू चौधरी लोकसभा में रालोद का प्रतिनिधित्व करने के लिए पहुंच सकती है।
दूसरी तरफ हमारा सोचना है कि अगर यूपी विधान परिषद में भाजपा राज्यसभा के चुनाव में मिले रालोद के सहयोग और गठबंधन को ध्यान में रखते हुए विधान परिषद में एक सीट एमएलसी की रालोद को देती है तो पर उसे पूर्व प्रधानमंत्री गरीबों और किसानों के मसीहा चौधरी साहब के समय से ही पार्टी के प्रति वफादार रहे जुझारू और संयमी व समय अनुकूल सलाह देने में सफल नेता रालोद के राष्ट्रीय महासचिव श्री त्रिलोक त्यागी को एमएलसी चुनाव लड़ाकर उन्हें विधान परिषद में भेजा जाना चाहिए। क्योंकि अभी तक की चारू चौधरी और त्रिलोक त्यागी की राजनीतिक गतिविधियां सुझबुझ और समझदारी को देखकर यह बात विश्वास से कही जा सकती है कि ये दोनों लोकसभा और विधान परिषद में अपनी पार्टी की एक अलग पहचान खड़ी करेंगे। अब बात करे बिजनौर की तो वैसे तो लोकदल के किसी वफादार को ही यहां से टिकट देना चाहिए मगर हर दल और उसके नेताओं की कुछ मजबूरियां होती है और संगठन को चलाना बड़ा कठिन खेल है और उसके लिए जनसमर्थन तथा जन सभाओं में भीड़ और आर्थिक साधन उपलब्ध प्राप्त करना भी बहुत आवश्यक है इसलिए जयंत चौधरी अपनी पार्टी के हित में या तो रालोद के सब तरह से मजबूत किसी नेता को मैदान में उतारे या जिसे चाहे चुनाव लड़ाये। क्योंकि वर्तमान में तो हर जगह छोटे बड़े दलों में भी आया राम गया राम को भी मंत्री पद व टिकट मिल रहे तो फिर रालोद की ओर अंगुली उठाने का मौका किसी को नहीं मिलेगा अगर ऐसे में वो मलूक नागर को टिकट देते है तो यह समयानुकूल निर्णय ही कहा जा सकता है। (प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री)

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