देश में जब भाजपा ने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई तो जो सबसे पहले निर्णय लिए गए उनमें एक यह भी महत्वपूर्ण था कि भ्रष्टाचार और बेईमानों को बख्शा नहीं जाएगा। मेहनती और ईमानदार लोगों का महिमामंडन करने के साथ उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। लेकिन वर्तमान समय में जो दिखाई दे रहा है उससे तो यह साफ साफ नजर आता है कि पीएम मोदी के इस अभियान का गलत धंधा और काम करने वालों का ही बोलबाला चारों तरफ नजर आता है ऐसे में मजबूत सरकार का भ्रष्टाचार समाप्त करने का निर्णय कैसे लागू हो पाएगा। इस ओर जिम्मेदारों को देखना होगा वरना ईमानदार दबते और बेईमान उभरते जाएंगे।
अगर आप जागरूक है और मीडिया का ज्ञान रखते हैं तो यह किसी से छिपा नहीं है कि रूपया मारने हवाला दुष्कर्म के आरोपियों के साथ ही सरकारी जमीन बेचने कच्ची कॉलोनियां काटने अवैध निर्माण करने और फर्जी नकली किताबे बेचने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले आए दिन कहीं ना कहीं सम्मानित होते और उनके स्वागत की खबरें मिलना अब आम बात हो गई है। अपनी काली कमाई से कुछ लोग प्रकाशन चिकित्सा शिक्षा और उद्योग व व्यापार में साम दाम दंड भेद की नीति अपना रहे हैं और माले मुफत दिल ए बेरहम किवदंती को आत्मसात करते हुए अपनी दो नंबर की कमाई से कुछ एनजीओ में से कई संगठनों और कहीं कहीं व्यक्तिगत लोगों को आर्थिक रूप से सपोर्ट कर अपने आपको सम्मानित कराने का मार्ग भी खुद प्रशस्त कर लेते है। यहां तक तो सोचा जा सकता है कि उन्हें चलाने हेतु पैसा चाहिए इसलिए संगठनों से जुड़े कुछ लोग थोड़ी सी सुविधाओं के लिए इन्हें सम्मानित करते होंगे।
मगर अब तो परिस्थितियां दिखाई दे रही है उसे देखकर कहा जा सकता है कि सरकारी नीति के विपरित काम करने वालों के इस महिमामंडन अभियान को नहीं रोका गया तो भविष्य में कई समस्याएं और कठिनाई सरकार के सामने खड़ी हो सकती है।
बताते हैं कि स्वच्छ प्रशासन और शासन के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकारें जब किसी व्यक्ति या संस्था को सम्मानित करते हैं या निजी संस्थाएं किसी बड़े जनप्रतिनिधि या अफसर को बुलाकर सम्मानित करती हैं तो जिसका अभिनंदन होना है उसके बारे में पूरी छानबीन कराने की व्यवस्थाए बताई जाती है कि कहीं सम्मानित होने वाला व्यक्ति दागी तो नहीं है या सरकारी नीति के विपरित काम तो नहीं कर रखे लेकिन इस नियम का पालन ना होने के चलते नजर आता है कि शासन प्रशासन की निगाह में अपराधी व्यक्ति भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के हाथों सम्मानित होते नजर आते हैं।
मैं किसी को सम्मान देने का विरोध या पक्षधर नहीं हूं लेकिन यह जरूर सोचता हूं कि सरकार की मंशा ईमानदार सही काम करने वाले व्यक्ति को बढ़ावा देने की थी मगर यहां ऐसे लोगों की महिमामंडन होने की श्रृंखला बढ़ती जा रही है जिसे जनप्रतिनिधि या अफसर द्वारा सम्मान नहीं किया जा सकता मगर वो चारों तरफ सम्मानित हो रहे हैं और बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर अपना महिमामंडन करा रहे हैं। पीएम मोदी की ईमानदार प्रशासन की भावना को ध्यान में रखते हुए गृह और कार्मिक एवं कानून मंत्रालय को सभी सरकारी विभागों के मुखियाओं को एक आदेश करना चाहिए और यह संदेश सीएम और जनप्रतिनिधियों को भेजा जाए कि अगर वो किसी कार्यक्रम में कुछ लोगों के सम्मानित करते हैं तो पहले उसके बारे में जानकारी करा लें कि इनका कार्यकाल भ्रष्टाचार से तो भर नहीं है। तब सही लगता है तो सम्मान और महिमामंडन किसी का भी किया जाना गलत नहीं है।
भेड़ की खाल में छिपे बगुला भगतों की कार्यों की जांच कराई जाए तो मुझे लगता है कि सरकार को इतना मोटा राजस्व प्राप्त होगा कि सारा कर्ज तो समाप्त हो सकता है सरकारी योजनाएं भी पूरी कर पात्रों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।
हवाला दुष्कर्म, नकली किताबे छापने और स्वास्थ्य व्यवस्था में घपला करने वालों का महिमामंडन ईमानदार लोगों को पीछे धकेल रहा है
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