asd परीक्षाओं में पेपर आउट और नकल होने की संभावनाएं हो जाए समाप्त ऐसा प्रयास क्यों नहीं हो पा रहा है

परीक्षाओं में पेपर आउट और नकल होने की संभावनाएं हो जाए समाप्त ऐसा प्रयास क्यों नहीं हो पा रहा है

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60244 पदों के लिए उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा कराई गई परीक्षाओं को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा निरस्त कर दिया गया। और छह माह में फिर से इन्हें कराने की बात कही गई है। इसी के साथ सीएम योगी ने कहा है कि उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा बीती 11 फरवरी को समीक्षा अधिकारी आरओ/एआरओ परीक्षा की जांच भी कराई जाएगी। उन्होंने अभ्यार्थियों से आग्रह किया है कि वो 27 फरवरी तक इस बारे में अगर किसी के पास कोई जानकारी हो तो वो संबंधित विभाग को उपलब्ध करा दे। स्मरण रहे कि 18 फरवरी को लखनउ के परीक्षा के दौरान कृष्णानगर स्थित सिटी मॉर्डन एकेडमी स्कूल में अभ्यर्थी सत्यानंद कुमार के पास से सवालों के जवाब की पर्ची मिली थी जिस पर कृष्णानगर थाने में इंस्पेक्टर राम बाबू ने 19 फरवरी को इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई। तो दूसरी ओर पुलिस भर्ती लीक मामले में नीरज यादव और कानपुर दक्षिण के एक रतनचंद खत्री स्कूल में केंद्र व्यवस्थापक राजकिशोर ने प्रदीप कुमार को नकल कराते हुए पकड़ा था। इस बारे में प्रदीप ने बताया कि कानपुर देहात के हनुमंत विहार में रहने वाले वकील आशीष सचान ने पांच लाख में पेपर बेचा था। पुलिस को अभी मथुरा के किसी उपाध्याय की तलाश है। जब जांच चल रही है और तलाश हो रही है तो यह भी पक्का है कि दोषी बच नहीं पाएंगे।
सवाल यह उठता है कि सरकार का भारी धन खर्च होने के बाद प्रदेश भर में विभिन्न प्रकार की परीक्षाएं ईमानदारी से कराने की कोशिश की जाती है मगर यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों और जवान चाहरदीवारी के बीच इन परीक्षाओं को पारदर्शी वातावरण में संपन्न कराने के लिए तैनात किए जाते हैं उसके बावजूद खबरे पढ़ने को मिलती है कि परीक्षा में नकल हो गई या पेपर आउट हो गया। आखिर सरकार ऐसी पुख्ता व्यवस्था क्यों नही करती जिससे पेपर लीक होने या नकल करने की संभावना ही खत्म हो जाए। मेरा मानना है कि जो लोग नकल या पेपर आउट कराने का काम करते हैं पकड़े जाने पर इनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई सरकार व शासन इस संबंध में आम आदमी को अवगत कराए क्योंकि इसको लेकर जो खर्च होता है उसका बोझ नागरिकों पर ही पड़ता है। मुझे तो लगता है कि संविधान में इस बारे में जो भी सख्त से सख्त कार्रवाई हो सकती है उसके तहत इन व्यवस्थाओं को असफल करने में लगे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो तथा भविष्य में कोई और इस प्रकार की हिमाकत ना कर पाए इस बात को ध्यान में रखते हुए जो भी सजा इन्हें मिले उससे आम आदमी भी अवगत हो और इन्हें खुलेआम चौराहों पर इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।

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