Date: 25/12/2024, Time:

सरकारें जिम्मेदारी निभाने की बजाए कर रही न्यायालय का इस्तेमाल

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चंडीगढ़ 22 फरवरी। किसान आंदोलन में प्रदर्शनकारियों के जेसीबी व मोडिफाइड ट्रैक्टरों के इस्तेमाल से कानून व्यवस्था बिगड़ने की दलील देते हुए हरियाणा व केंद्र सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इन्कार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय अदालत का इस्तेमाल करने में जुटी है। सभी इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। साथ ही किसानों के हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर एकत्रित होने पर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अब आपको कानून व्यवस्था की याद आई है। अभी तक पंजाब सरकार क्या कर रही थी, प्रदर्शनकारियों को इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होने की अनुमति कैसे दी गई।

हरियाणा व केंद्र सरकार ने आंदोलन को लेकर पूर्व में लंबित दो याचिकाओं में अर्जी दाखिल करते हुए हाईकोर्ट से दखल की मांग की थी। हाईकोर्ट को बताया गया कि ट्रैक्टरों को मोडिफाई कर आंदोलन में शामिल किया जा रहा है। दिल्ली चलो नारे के बाद हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर बैरिकेडिंग की गई है। शांति से प्रदर्शन करने की बात कहने वाले प्रदर्शनकारियों ने इसे हटाने के लिए जेसीबी व अन्य भारी मशीनों को सीमा पर लाना शुरू कर दिया है। यदि इन भारी मशीनों से बैरिकेडिंग ध्वस्त की गई तो इससे हरियाणा व पंजाब दोनों में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। बुधवार को अर्जी दाखिल कर हरियाणा व केंद्र सरकार ने इस मामले में तुरंत सुनवाई करने की अपील की।

कुरुक्षेत्र के रणदीप तंवर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि शंभू और दातासिंह वाला बॉर्डर पर हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। प्रदर्शनकारी दिल्ली जाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो कानून व्यवस्था और आम लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। अदालत प्रदर्शनकारियों तय जगहों पर प्रदर्शन करने का आदेश दे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए अगर जरूरी हुआ तो वीरवार सुबह सुनवाई की जा सकती है।

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