asd अंधविश्वास पर कुर्बान होती जानें, सरकार तांत्रिक और ओझाओं के खिलाफ अभियान, दोषियों को दे आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा

अंधविश्वास पर कुर्बान होती जानें, सरकार तांत्रिक और ओझाओं के खिलाफ अभियान, दोषियों को दे आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा

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दुनिया की आधी आबादी मातृशक्ति हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। चाहे वह सीमा पर सुरक्षा का मामला हो या पुलिस, हवाई जहाज उड़ाना हो या कंपनियों में काम। अब महिलाएं किसी से पीछे नजर नहीं आती है। सरकार भी बढ़ावा दे रही है। उसके बावजूद तांत्रिकांें और ओझााओं के कारण कुछ अंधविश्वासी महिलाओं आदि की जान लेने और उनका उत्पीड़न करने पर उतारू हो जाते है। यूपी के आजमगढ़ और बिहार के पूर्णिया में हुई शर्मनाक घटनाओं ने सभ्य समाज का सिर शर्म से झुका दिया है। बताते हैं कि कंधारा क्षेत्र के पहलवानपुर गांव में तांत्रिक चंदू झाड़फूंक के चक्कर में तहबरपुर क्षेत्र के मैनपुरा निवासी अनुराधा पत्नी रंजीत यादव को गांव में बच्चा ना होने के लिए जिम्मेदार बताकर महिला को पीटा गया और गंदा पानी पिलाया गया जिससे उसकी मौत हो गई। परिणामस्वरूप ग्रामीणों द्वारा महिला का शव तांत्रिक के घर के सामने रखकर प्रदर्शन किया गया। मौके पर पहुंच पुलिस ने महिला के परिवार को शांत किया। दूसरी तरफ बिहार के पूर्णिया जिले में बीते रविवार को गांव केटगांवा में लगभग 200 अंधविश्वासी लोगों की भीड़ ने पांच लोगों को पीट पीटकर जिंदा जला दिया और बाद में तीन महिलाओं और दो पुरूषों के शव को गांव से एक किमी दूर लेकर जाकर दफना दिया। बताते हैं कि 70 वर्षीय वृद्धा को डायन बताकर उसके घर पर हमला किया गया। जिसमें विधवा कांतो देवी, उनके पुत्र बाबूलाल, उसकी पत्नी व पुत्र तथा पुत्रवधु शामिल बताई जाती है। महिला के पोते ने पुलिस को जानकारी दी। तब ओझा व सनाउल्ल्लाह सहित कई लोगेां को गिरफतार किया गया।
ओझा व तांत्रिकों के उकसावे मंे आकर वर्तमान समय में ऐसी घटनाएं होना हमारी सभ्यता और परंपराओं और जागरूकता के लिए शर्म की बात है। मुझे लगता है कि अब इन ओझा और तांत्रिकों से महिलाओं को बचाने और उत्पीड़न रोकने के लिए सरकार को अभियान चलाकर गांवों और शहरों में इन्हें जेल भेजा जाए या यह सुनिश्चिित कराएं कि यह अंधविश्वास ना फैलाने का काम करेंगे। लगता है कि कोई मानने को तैयार नहीं है तो इनके कारण होने वाली हत्याओं का इन्हें दोषी देते हुए आजीवन कारावास या मृत्युदंड दिया जाए। लेकिन मासूमों को इनके द्वारा फैलाए जा रहे अंधविश्वास की भेंट नहीं चढ़ने देना चाहिए। ऐसी घटनाएं समाज के लिए कलंक है और सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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