asd पैंट उतरवाने को मुददा बनाने वालों बहस के लिए और भी समस्याएं हैं! पहचान छिपाकर धंधा चलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, थाना पुलिस ध्यान रखें तो ऐसे बिंदुओं पर हंगामा ना हो

पैंट उतरवाने को मुददा बनाने वालों बहस के लिए और भी समस्याएं हैं! पहचान छिपाकर धंधा चलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, थाना पुलिस ध्यान रखें तो ऐसे बिंदुओं पर हंगामा ना हो

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देश में जाति संप्रदाय को लेकर कई बार अनेक बातें होती रहती हैं। लेकिन अगर ध्यान से देखें और सोचें तो पिछले पांच दशक में जो देखा उससे यह बात साफ हुई कि समाज में सिर्फ दो ही जातियां हैं गरीब और अमीर। क्योंकि हमेशा देखा है कि जब किसी बड़े हिंदू या मुस्लिम सिख ईसाई के यहां कुछ होता है तो सब बड़े प्रेम भाव और अपनापन दिखाने के साथ उसमें शामिल होते हैं और भोजन भी करते हैं। तब कोई यह नहीं देखता कि आयोजन किसके यहां है। बस यह जरूर देखा जाता है कि शाकाहारी है तो भोजन मांसाहारी ना हो और अब तो ज्यादातर दोनों ही तरह के भोजन सभी पैसे वालों के यहां बनते हैं और वेज नॉनवेज लिखकर प्लेट लगा दी जाती है। यह जो जाति की बात आती है वो गरीब और मध्यम दर्जे में ही ज्यादा देखी जाती है। पिछले वर्ष कांवड़ मेले के दौरान यात्रा के रास्ते में होटल ढाबों चाय की दुकानों के संचालकों की पहचान और नाम होने की बात चली थी। कांवड़ मेला समाप्त हुआ तो यह मुददा बड़े रूप में सामने नहीं आया लेकिन अब फिर यह तथ्य उभरकर आया है। कुछ संगठन के कार्यकर्ता होटल ढाबों में जाकर वहां लिखे क्यू आर कोड को स्कैन कर संचालक का नाम और धर्म की जानकारी कर रहे हैं। बताते हैं कि पिछले पांच दिन से यह किया जा रहा है। अगर शांति से यह काम चलता रहे तो कोई बुराई नहीं है। क्योंकि किसी को कुछ खाना है तो उसे यह पता होना चाहिए कि वह किसके यहां क्या खा रहा है। वैसे तो भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का यह कथन महत्वपूर्ण है कि मुस्लिमों द्वारा हिंदू नाम से होटल चलाना हिंदू धर्म का सम्मान है। तो पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बात भी सही नजर आती है कि कांवड़ यात्रा के दौरान क्या बिरयानी चिकन बेचना अनिवार्य है। इसलिए अगर इनको इस दौरान बनाना और बेचना बंद रखा जाए तो कोई बुराई नहीं नजर आती। आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने सही कहा है कि कांवड़ यात्रा में जो सच्ची आस्था के साथ निकलते हैं वो किसी भी प्रकार का हंगामा नहीं करते। दाढ़ी टोपी के साथ पहचान बनाएं। नेम प्लेट जैसे आदेश खुद बंद हो जाएंगे। पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में एक संगठन के लोगों द्वारा पैंट उतरवाकर पहचान का जो आरोप लगा था वो देशभर में चर्चा और बहस का विषय बना। जिसके बाद यह तथ्य उभरकर आया कि पंडित जी वैष्णों ढावे को चलाने वाला गोपाल पुलिस जांच में तजमूल निकला। दूसरी तरफ गुप्ता जी बोर्ड लगाकर रहमान की दुकान चलवाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। मेरा मानना है कि जब सब जानते हैं कि धार्मिक यात्रा के दौरान खानपान की पवित्रता बनाए रखना कांवड़ियोें के लिए अनिवार्य होता है तो फिर सनवर हो या रहमान वो हिंदू नाम से अपना व्यापार चलाने की बजाय असली नाम से क्यों नहीं चलाते। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर वो असली नाम का उपयोग करेंगे तो ना उनसे कोई पहचान पूछेगा ना जाति क्योंकि तौकीर रजा के अनुसार दाढ़ी टोपी के साथ उसकी अपने आप पहचान हो जाएगी। इसलिए कांवड़ यात्रा सकुशल निपटे इसके लिए तौकीर रजा और मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओं को सामने आकर समझाना चाहिए कि हर कोई अपनी पहचान से ही अपना व्यापार चलाएं फर्जी नाम से नहीं। मेरठ रेंज के डीआईजी कलानिधि नैथानी का कहना है कि प्रतिष्ठान व अपना रूप बदलने वालों के खिलाफ एफआईआर होगी और बीएनएस की धारा 319 में ऐसा कृत्य करने वालों को पांच वर्ष की सजा का प्रावधान भी है। दूसरी तरफ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्पष्ट कहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान क्लीन एंड ग्रीन मेला हो तथा यात्रा के मार्ग में विभिन्न खाद्य साम्रगियों की दुकानों पर पहचान और नाम संचालकों द्वारा लिखा जाना अनिवार्य है। क्योंकि यह बात साफ हो चुकी है कि पेंट उतरवाने का आरोप लगाने वाला गोपाल जांच में तजमूल निकला तो यह सवाल तो उठता है कि नाम और पहचान बदलकर व्यापार करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। यह बिल्कुल गलत है ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो इससे विपरीत विचार रखने वालों को पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को सूचित करना चाहिए क्योंकि खुद की कार्रवाई करने से विवाद बढ़ता है जो जबरदस्ती की बहस का मुददा बन जाता है। जिसे ठीक नहीं कह सकते। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मुददे पर भाजपा पर हमला बोलते हुए एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि धर्म के नाम पर भेदभाव और नफरत फैलाने का कुछ लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग धार्मिक नहीं है। सनातनी परंपरा किसी के साथ अन्याय नहीं करती लेकिन भाजपा भेदभाव और नफरत फैलाने का काम कर रही है। जो भी हो सबका अपना मत है। सबसे अच्छी बात नरेश टिकैत की लगी और तौकीर रजा का कथन भी समयानूकुल है। हमें अपनी आस्था परंपरा और साकार की भावना को आत्मसात करते हुए किसी भी प्रकार का बवाल करने की बजाय भगवान शिव और पार्वती की भक्ति में लीन होकर यात्रा पूरी करनी चाहिए और सबसे बड़ी बात वर्तमान समय में जितनी व्यवस्थाएं हरिद्वार और गंगोत्री से लगने वाले सेवा शिविरों में इतनी खाद्य सामग्री होती है जो किसी भी होटल पर नहीं मिल सकती चाहे वह हिंदू चला रहा हो या मुसलमान। इस हिसाब से यह विवाद ही अलग है क्योंकि कांवड़ियों को शिविर लगाने वालों को अपनी सेवा का मौका देना चाहिए क्योंकि वह इसलिए कैंप लगाते हैं कि उन्हें सेवा का मौका मिलेगा। बाकी सबकी अपनी राय है मगर मुझे लगता है कि मुस्लिम नेताओं को आगे आकर इस विषय ूमें काम करना चाहिए। जिससे कोई विवाद ना खड़ा हो। क्योंकि गुप्ता और पंडित जी के नाम पर दुकान पहचान छिपाकर चलाने को कोई भी सही नहीं कह सकता। कांवड़ियों को चाहिए कि वो भक्तों को सेवा का मौका दें और हर थाना प्रभारी को अपने क्षेत्र में ऐसे संस्थानों का पहले ही पता लगाकर सबकुछ सही करा देना चाहिए। थाने में बैठक कर सही नाम से व्यापार चलाने की व्यवस्था कायम करनी चाहिए। जहां तक पेंट उताकर पहचान का मुददा है तो उनसे तो यही कहा जा सकता कि आम आदमी के सामने जो जीवन यापन में मुश्किलें है उन पर बहस करें तो ज्यादा सही होगा और वो देश और समाज के हित में है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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