asd कांवड़ यात्रा: प्रशासन चौकस नहीं हुआ तो अयोध्या का राजन कठोरी गोल्डन डीजे ?

कांवड़ यात्रा: प्रशासन चौकस नहीं हुआ तो अयोध्या का राजन कठोरी गोल्डन डीजे ?

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23 जुलाई को मनाई जाने वाली शिवरात्रि की चहल पहल अभी से शुरू हो गई है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य तक समय से पहुंचने के लिए शायद राजस्थान हरियाणा झारखंड आदि के शिवभक्त हरिद्वार से जल लेकर चल चुके हैं। सुबह शाम मेरठ में भी उनका आगमन नजर आने लगा है। कांवड़ यात्रा को शांति से संपन्न कराने और निर्विघ्न रूप से जलाभिषेक के लिए पिछले एक माह से इससे प्रभावित सभी जिलों में तैयारियां और समीक्षा का क्रम जारी है।
मगर जनपदों के प्रशासन और प्रदेश के पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जो डीजे को लेकर निर्देश दिए गए हैं वो अंतिम समय तक प्रभावी रहेंगे यह तय करना जिम्मेदारों का काम है। क्योंकि फिलहाल 12 से 14 फीट ऊंची कांवड़ और धीमी आवाज में डीजे के उपयोग के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में डीजे संचालकांे को भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हिदायत दी गई है कि वो व्यवस्था और शांति बनाएं रखें और तेज आवाज से नागरिकों को परेशानी ना हो इसके लिए इसकी आवाज तय सीमा से ज्यादा ना रखें। मगर जिस प्रकार से डीजे बुक किए जा रहे हैं उसे देखकर यह लगता है कि अगर प्रशासन थोड़ा सा भी ढीला पड़ा और अभी से कार्रवाई नहीं की तो इस साल भी डीेजे की आवाज परेशानी का कारण होगी। बताया जा रहा है कि इस अनकही प्रतियोगिता में आगे निकलने के लिए अयोध्या का राजन कठोरी डीेजे पहली पसंद बना हुआ है। इसमें 44 स्पीकर, 45 बूफर के अलावा मॉनिटर 150 लाइट और अन्य सीरीज लगाई जाएंगी। तब डीजे की तैयारी होने के बाद इसकी कीमत एक करोड़ होगी। इसकी बुकिंग इंग्लैंड से मास्टर शेफ अमित द्वारा कराई गई है। बताते हैं कि इंग्लैंड से आकर मास्टर शेफ दूसरी बार कांवड़ यात्रा में शामिल होंगे और इनकी टीम में युवाओं का शामिल होना बताया जा रहा है। दूसरी तरफ कोलकाता का पावर म्यूजिक आठ जुलाई को मेरठ और 12 को हरिद्वार पहुंचेगा। खबर है कि यह डीजे ब्रहमपुरी और सरायलाल दास के युवक लेकर आ रहे हैं। इसके अलावा पंकज डीजे मेरठ और हरिद्वार पहुंचेगा। इससे संबंध एक खबर के अनुसार गोल्डन डीेजे राजन कठोरी 13 जुलाई को हरिद्वार पहुंचेगा। डीजे को मंगलौर और मुजफफरनगर के युवक ला रहे है। कांवड़ यात्रा में इस बार रजबन और मंगलोर मंडी के युवक एक साथ ला रहे हैं। 13 जुलाई को यह डीजे हरिद्वार पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त डीजे कर्णवाल को सदर, मंगलोर और मुजफ्फरनगर के युवक साथ में ला रहे हैं। संभल के डीजे शर्मा को पल्लवपुरम, मोदीपुरम और पल्हेड़ा के युवकों ने बुक किया है। यह डीजे भी 13 जुलाई को हरिद्वार पहुंच जाएंगे। इस बार विभिन्न राज्यों से छह बड़ी कांवड़ की बुकिंग हुई है। पूर्व में डीजे सारजन, धड़कन, अमर मेरठ नहीं आ रहे हैं और अंतिम समय तक किसका मूड बदले यह कोई नहीं कह सकता। इतने डीजे कांवड़ को लेकर नागरिकों में भी चर्चा होने लगी है कि क्या प्रशासन पुलिस अपने आदेशों का पालन करा पाएगी। और इंग्लैंड के मास्टरशेफ अमित ने जो डीजे बुक किया है। उसकी आवाज नियंत्रित कराने में सफलता मिलेगी या नहीं। जो भी हो मुझे लगता है कि यह धार्मिक मामला है। हर साल सैलाब बढ़ता ही जा रहा है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है यह तो कहना आसान नहीं है। जो पता चल रहा है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि हरिद्वार पहुंचने के बाद पुलिस प्रशासन इनकी आवाज को लेकर कुछ कर सकती है। लेकिन अच्छा तो यह है कि यह तो बड़ी कांवड़ डीजे के साथ आने की चर्चा है उन्हें लाने वालों से संवाद कायम कर परिस्थितियों में सुधार का प्रयास किया जाए तो ज्यादा अच्छा है। इंग्लैंड के मास्टर शेफ अमित से भी संवाद होना मुश्किल नहीं है। डीजे पर कांवड़ के गीत बजे लेकिन आम आदमी को इससे होने वाली कठिनाईयों को देखते हुए इसकी आवाज को नियंत्रित करने और अंतिम पड़ाव तक वही स्थिति के लिए अफसरों को अभी से प्रयास करना चाहिए वरना महीनों की मेहनत धरी की धरी रह जाएगी।
आज से तीन चार दशक पूर्व कांवड़ यात्रा में डीजे नहीं शामिल होते थे। भक्त टोलियों के साथ ढोलक मंजीरे लेकर चलते थे और आराम के लिए रूकने पर भजन कीर्तन किया करते थे। तथा उस दौरान फिल्मी गीनों की बजाय शिव पार्वती के भजन गाए जाते थे और मस्ती में कांवड़िये अपने गंतव्य की ओर जाते थे। उस समय गमछे और कांवड़ महंगी नहीं होती थी। कांवड़िये कंधे पर कांवड़ उठाकर बीच में थोड़ा आराम करते हुए अपने गंतव्य पहुंचते थे। वर्तमान में कांवड़ मेला भी भक्ति की आधुनिक व्यवस्था के रंग में रंग गया है। इसमें बुराई भी नहीं है। कुछ मिलाकर इस भक्ति भावना के रंग में भक्ति तो पूरी करते हैं लेकिन कांवड़ नहीं ला सकते और बीमारों को परेशानी ना हो इसका ध्यान पुलिस प्रशासन कांवड़ियों और उनके परिवारों को रखना चाहिए क्योंकि दूसरों को कष्ट ना हो इस प्रकार से हम अपनी व्यवस्था बनाएं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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