देश के प्रधानमंत्री से लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति सहित दुनियाभर के ज्यादातर शासनाध्यक्ष मंत्री अफसर और हर कामयाब व्यक्ति जो निरंतर आगे बढ़ रहा है वो सोशल मीडिया का उपयोग कर रहा है। इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि ज्यादातर देशों के प्रमुख बड़ी बड़ी घोषणाएं एक्स पर कर रहे हैं। बताते हैं कि दिन रात नहा धोकर सोशल मीडिया को कोसने वाले भी उसका उपयोग करने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। लेकिन लगता है कि इस मीडिया की आलोचना करना कुछ लोगों की आदत बन गई है। हो सकता है कि कुछ कमियां भी इसमें हो जैसा हर तरक्की के काम में होती है। अगर विरोध किया जाना है तो दुरूपयोग करने वालों का किया जाए। यह कहने से सबको बचना चाहिए कि सोशल मीडिया पर रखी जाएगी नजर। यह इतना ही बुरा है तो इसका उपयोग करना बंद करिए। अब खाउं भी आंख भी ना लजाउ यह कहावत ज्यादा लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। दो दशक में जबसे इसकी सक्रियता बढ़ी इसे अपनाने में नागरिक युद्धस्तर पर सक्रिय हुए और आज दुनिया में हजारों लोग इसके माध्यम से अरबपति बन गए हैं। इस सुविधा का लाभ उठाकर आगे बढ़ने में 90 प्रतिशत आबादी शामिल है क्योंकि छात्र शिक्षा के लिए व्यापारी जानकारी के लिए अधिकारी सूचनाओं का आदान प्रदान करने और नेता अपनी बात जनता तक पहुचंाने के लिए कर रहे हे। फिर भी इसकी आलोचना आखिर क्यों।
यह जरूर कह सकते हैं कि कुछ लेखक और मीडियाकर्मी सोशल मीडिया के अभाव में अपनी मॉनोपॉली चलाते थे। इसके आने से लेख समाचार और जानकारियां घर बैठे मिल रही है। इन लेखकों और पत्रकारों का वर्चस्व जरूर कम हुआ है क्येांकि जो लोग इनसे अपनी खबरों की कुछ लाइन छपवाने के लिए मिन्नत किया करते थे अब सब लोग पत्रकार बन गए है। कुछ लोगों का कहना है कि आलोचना करने वाले भी मोबाइल का उपयोग कर सोशल मीडिया का लाभ उठाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं। मैं इस बात का समर्थक हूं कि इसके माध्यम से बदअमनी फैलाने वालों को सख्त सजा मिले लेकिन अब यह स्थिति आ चुकी है कि अगर भगवान ही चाहे तो सोशल मीडिया का प्रचलन बंद हो सकता है वरना कोई कितना राग अलाप ले इसकी प्रगृति रूकने वाली नहीं है। सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाएगी जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले सुधार करें और यह कहें कि बदअमनी फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
रवि कुमार बिश्नोई संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए
मोदी से लेकर ट्रंप तक कर रहे हैं उपयोग! सोशल मीडिया को बदनाम करने और निगरानी रखने वाले शब्दों में करें सुधार, दुरूपयोग करने वालों पर हो कार्रवाई ?
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