शास्त्री नगर योजना संख्या 7 में आवास विकास की रिपोर्ट के मुताबिक 6379 आवासीय स्वीकृति संपत्तियां है इसमें से 860 ऐसी संपत्तियां है जिनमें व्यवसायिक उपयोग हो रहा है। इसमें अफसरों की सांठ गांठ और अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। बताते चले कि 17 दिसंबर 2024 को आवासीय भवन का भूउपयोग परिवर्तन कराये बिना जारी व्यवसायिक गतिविधियांे वाले कम्पलैक्स 661/6 को ध्वस्त करने के आदेश पर मोहर लगाते हुए अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश देते हुए व्यापारियों को परिसर खाली करने हेतु 90 दिन का समय और उसके बाद आवास विकास को 15 दिन के अंदर अवैध निर्माण ध्वस्त करने को कहा गया। अब सेन्ट्रल मार्केट ध्वस्त करने के लिए आये टेंडर 1.67 करोड़ का टेंडर छोड़ा था। अब इसे शासन की मंजूरी मिल गई है। व्यापारी भाजपा राज्यसभा सदस्य और भाजपा उपाध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत वापजेयी मंत्री सोमेन्द्र तोमर पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल आदि सभी से उनके व्यापार और संस्थानों को बचाने का आग्रह कर चुके है। टेंडर पर मोहर लगने के बाद एडिंसि इंजीनियरिंग को मिली मंजूरी दो महीने रखी गई मियाद।
आवास विकास के अधिकारियों ने सक्रियता दिखाई जिला प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए एसीएम सिविल लाईन को मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया है। पुलिस प्राप्त करने के लिए अफसर प्रयासरत बताये जाते है।
आवास विकास के अधिकारी न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई करते नजर आ रहे है। अवैध व्यापार भवन जो बताये जा रहे है उनका क्या होगा यह तो समय ही बतायेगा।
मगर सवाल यह उठता है कि गत दिवस माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन के दौरान स्पष्ट कहा गया भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और केस दर्ज कर जेल भेजें। लेकिन लगता है कि आवास विकास के चीफ इंजीनियर के कानों तक या तो यह खबर नहीं पहुंची है या वो इस ओर ध्यान नहीं देना चाहते। जो भी हो अगर ऐसा नहीं होता तो एक तरफ तो खुद आवास विकास के मिली भगत से आवासीय भवनों में चल रहे व्यवसायिक कार्यों के भवनों को तोड़ने की कार्रवाई के प्रयास किये जा रहे है। मगर आवास विकास के अफसरों ने सेन्ट्रल मार्केट के निकट ही जैना ज्वैलर्स से संबंध किसी व्यक्ति के द्वारा आवासीय प्लॉट पर किये गये भव्य कमर्शियल निर्माण शासन की निर्माण नीति और मानचित्र के विपरित किये जाने के उपरांत भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की। जबकि इस कम्पलैक्स में नियम अनुसार काफी जमीन जो सरकारी निर्देशों पर छोड़ी जानी चाहिए थी वो भी नहीं छोड़ी और घेरकर उस पर भी निर्माण कर लिया। तो एक प्रकार से यह भी भूमाफियाओं जैसी कार्रवाई है। नागरिकों का यह कथन बिलकुल सही है कि पहले जिन ईमारतों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है उनके निर्माण के समय जो आवास विकास में अफसर थे उनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर मुकदमें चलाये जाए और जो जीवित है उनकी व्यक्तिगत संपत्ति से हर्जाना वसूला जाए। और रिहायशी भूमि पर नागरिकों के अनुसार जैना ज्वैलर्स के विरूद्ध कार्रवाई न करने के लिए आवास विकास के चीफ इंजीनियर आदि को निलंबित किया जाए। शासन की नीतियों का पालन न कराने के लिए। और जैना ज्वैलर्स व उसके निर्माणकर्ताओं के खिलाफ हो कार्रवाई।
अब क्योंकि जो निर्माण पहले हो चुके है उनको राहत दिलाने का अगर कोई भी मौका हो तो जनपद के प्रमुख जनप्रतिनिधियों को माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जाए। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो आवास विकास की शह पर जो यह निर्माण हुए है उसमें दोषी सिर्फ व्यापारी ही नहीं अफसर भी बराबर के है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए पुरानों को राहत दें और नये ना होने दिए जाए। हां दोषी अफसरों को नहीं बक्सा जाना चाहिए क्योंकि इनकी मिली भगत से ही गलत निर्माण होते बताये जा रहे है।
प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य, संपादक पत्रकार
सेन्ट्रल मार्केट प्रकरणः पहले अफसरों के विरूद्ध हो कार्रवाई, जैना ज्वैलर्स के निर्माण के लिए चीफ इंजीनियर आदि को किया जाए सस्पेंड
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