नई दिल्ली 21 जून। क्राइम ब्रांच ने दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय फर्जी डिग्री और अंकपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह दो लाख से 20 लाख रुपये तक लेकर बीए, बीएससी, एमबीए, पीएचडी, एलएलबी, बीएएमएस और बीफार्मा सहित एक दर्जन कोर्स की फर्जी डिग्री बनाकर बेचता था।
जांच में सामने आया कि आरोपी अब तक पांच हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र बेच चुका है। टीम ने विक्की हरजानी, विवेक सिंह, सतवीर सिंह, नारायण और अवनीश कंसल को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 228 अंकपत्र, 27 डिग्री और 18 माइग्रेशन सर्टिफिकेट बरामद किए गए हैं। स्पेशल सीपी (क्राइम) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इंस्पेक्टर मनमीत मलिक और हेड कांस्टेबल नरेंद्र कुमार की टीम को सूचना मिली थी कि नेताजी सुभाष प्लेस स्थित एक संस्थान से फर्जी प्रमाण पत्र बेचे जा रहे हैं। छापेमारी में परमहंस विद्यापीठ के मालिक विक्की हरजानी पकड़ा गया, उसके पास से 75 फर्जी प्रमाण पत्र बरामद हुए। पूछताछ में उसकी निशानदेही पर रैकेट में शामिल बाकी आरोपियों विवेक गुप्ता, सतबीर सिंह, नारायण जी और अविनाश कंसल को भी गिरफ्तार किया गया। इनसे 275 अकैडमिक डॉक्युमेंट्स, 20 फोन और 6 लैपटॉप मिले।
पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह के तार उत्तर भारत के कई विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं। विश्वविद्यालयों के कुछ कर्मचारियों ने पैसे लेकर छात्रों के नाम पिछली तारीखों में दस्तावेजों में दर्ज किए, ताकि प्रमाण पत्र असली लगें।
पुलिस ने बताया कि आरोपी विभिन्न नामों से शैक्षणिक संस्थान चलाते थे और वहां आने वाले छात्रों को फर्जी डिग्री दिलाने का झांसा देते थे। यह रैकेट हर डिग्री के लिए 1 से 1.5 लाख रुपये वसूलता था। महज 45 दिन में फर्जी डिग्री बनाकर दे देते थे। दो साल से कई यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बना चुके हैं। कई युवक नौकरियां भी कर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में एजुकेशन कॉल सेंटर, वट्सऐप, टेलीग्राम, फेसबुक और ट्विटर के जरिए प्रचार करते थे। कोचिंग हब, स्कूलों और स्टूडेंट्स एरिया में पर्चे बांटते थे। आरोपी विक्की हरजानी दसवीं तक पढ़ा है। विवेक गुप्ता नोएडा में करीब सात कोचिंग सेंटर चला रहा था। इस पर शिमला में एक केस है। आरोपी बीटेक डिग्रीधारी अविनाश कंसल जयपुर जेल में है, जिस पर राजस्थान में पहले से इस तरह के दो केस हैं।