asd स्विस बैंकों में कैसे बढ़ा भारतीयों का तीन गुना धन! पीएम साहब उसे वापस लाने और हर व्यक्ति के खाते में 15 हजार जमा कराने के हो प्रयास

स्विस बैंकों में कैसे बढ़ा भारतीयों का तीन गुना धन! पीएम साहब उसे वापस लाने और हर व्यक्ति के खाते में 15 हजार जमा कराने के हो प्रयास

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स्विस बैंकों सहित विदेशी बैंकों के खाते मंे भारतीयों की जमा रकम को हमेशा ही संदेह की निगाह से देखा जाता रहा है। इसे लेकर चर्चाएं भी होती रही हैं। सरकार किसी की भी रही हो यहां जमा भारतीयों की रकम वापस लाने के बारे में योजनाएं तैयार और घोषणाएं होती रही है। वर्तमान में सरकार में विभिन्न पदों पर आसीन नेताओं ने घोषणा की थी कि भारतीयों का विदेशों में जमा धन वापस लाया जाएगा और वो हर खातें में 15 हजार रूपये उससे जमा किए जाएंगे। लेकिन आज यह खबर पढ़कर ताज्जुब हुआ कि स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा तीन गुना बढ़ गया है। जमा राशि में 11 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस संबंध में एक खबर के अनुसार स्विस प्राधिकारियों द्वारा हमेशा यह कहा गया है कि स्विटजरलैंड में भारतीयों की ओर से रखी संपत्ति काला धन नहीं माना जा सकता और वह कर चोरी के खिलाफ लड़ाई में भारत का पूरी तरह समर्थन करते हैं। इसलिए स्विटजरलैंड और भारत के बीच सूचनाओं का स्वचलित आदान प्रदान 2018 से लागू है। भारतीयों की पहली वित्तीय जानकारी 2019 में अफसरों को दी गई थी।
स्विस बैंकों में भारतीय जमा राशि 2024 में तीन गुना से भी ज्यादा बढ़कर 3.5 बिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) हो गई है। इसका मुख्य कारण स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के जरिए जमा धन में भारी वृद्धि है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में अपने वार्षिक आंकड़े गत गुरुवार को जारी किए। हालांकि, भारतीय ग्राहकों के खातों में जमा धन 11 फीसदी बढ़कर 346 मिलियन स्विस फ्रैंक (करीब 3,675 करोड़ रुपये) हुआ, जो कुल जमा राशि का लगभग दसवां हिस्सा ही है।
एक खबर के अनुसार स्विस बैंकों में जमा भारतीयों और भारतीय कंपनियों के पैसे में 2023 में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। उस साल जमा राशि लगभग 70 फीसदी घट गई थी, जिससे कुल रकम घटकर करीब 9,771 करोड़ रुपये या 1.04 अरब स्विस फ्रैंक रह गई थी। यह पिछले कई वर्षों में सबसे निचले स्तर था। लेकिन 2024 में इस स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिला। इस साल भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा की गई धनराशि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो 2021 के बाद से सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है। 2021 में भारतीय पैसा 14 साल के सबसे ऊंचे स्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया था। यह आंकड़े स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक यानी स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा जारी किए गए हैं, जो बैंकों से आधिकारिक तौर पर इकट्ठा किए गए डाटा पर आधारित होते हैं। हालांकि, इन आंकड़ों को स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा जमा किए गए कथित काले धन के वास्तविक संकेतक के रूप में नहीं देखा जा सकता। साथ ही इसमें वह पैसा भी शामिल नहीं होता जो भारतीयों, अनिवासी भारतीयों (छत्प्) या अन्य लोगों ने किसी तीसरे देश की कंपनियों या संस्थाओं के नाम पर स्विस बैंकों में रखा हो।
2006 में रिकॉर्ड उच्चस्तर पर थी जमा राशि
एसएनबी के आंकड़ों के अनुसार, 2006 में कुल राशि करीब 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर थी। इसके बाद 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 सहित कुछ वर्षों को छोड़कर यह ज्यादातर नीचे की ओर ही रही है। दूसरी ओर, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के स्थानीय बैंकिंग सांख्यिकी ने 2024 के दौरान ऐसी निधियों में करीब 6 प्रतिशत की वृद्धि दिखाते हुए 74.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 650 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी की है। इसे अतीत में भारतीय और स्विस अधिकारियों की ओर से स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों द्वारा जमा के लिए अधिक विश्वसनीय उपाय के रूप में वर्णित किया गया है। हालांकि 2020 में लगभग 39 प्रतिशत की वृद्धि के बाद 2023 में इसमें 25 प्रतिशत, 2022 में 18 प्रतिशत तथा 2021 में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी। यह आंकड़ा स्विस-निवासी बैंकों के भारतीय गैर-बैंक ग्राहकों के जमा के साथ-साथ ऋण को भी ध्यान में रखता है और 2018 में 11 प्रतिशत और 2017 में 44 प्रतिशत की गिरावट के बाद 2019 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। 2007 के अंत में यह 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (9,000 करोड़ रुपये से अधिक) के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
2023 के अंत में कुल देनदारियां 354.5 करोड़ स्विस फ्रैंक
एसएनबी की ओर से 2023 के अंत में स्विस बैंकों की कुल देनदारियों या उनके भारतीय ग्राहकों को बकाया राशियों के रूप में 354.5 करोड़ स्विस फ्रैंक बताए गए हैं। इनमें ग्राहक जमा में 34.6 करोड़ स्विस फ्रैंक (2023 के अंत में 31.0 करोड़ स्विस फ्रैंक से अधिक), अन्य बैंकों के माध्यम से रखे गए 302 करोड़ स्विस फ्रैंक (42.7 करोड़ स्विस फ्रैंक से कम), न्यासों या ट्रस्टों के माध्यम से 4.1 करोड़ स्विस फ्रैंक (1 करोड़ स्विस फ्रैंक से अधिक) और बॉन्ड, प्रतिभूतियों और विभिन्न अन्य वित्तीय साधनों के रूप में ग्राहकों को देय अन्य राशियों के रूप में 13.5 करोड़ स्विस फ्रैंक (29.3 करोड़ स्विस फ्रैंक से कम) शामिल हैं। एसएनबी के अनुसार, भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विस बैंकों की कुल देनदारियों के लिए इसके डाटा में स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों के सभी प्रकार के फंड को शामिल किया गया है। इसमें व्यक्तियों, बैंकों और उद्यमों से जमा राशि भी शामिल है। इसमें भारत में स्विस बैंकों की शाखाओं के साथ-साथ गैर जमा देनदारियों का डाटा भी शामिल है।
भारत सरकार और रिजर्व बैंक एवं गृह व कानून मंत्रालय ऐसे मामलों में प्रभावी प्रयास कर रहे बताए जाते हैं। उसके बावजूद स्विस बैंक में भारतीयों का तीन गुना पैसा बढ़ जाना सोचनीय विषय है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री जी को वित्त मंत्रालय के माध्यम से इस बारे में कार्रवाई कराते हुए क्योंकि अब ऐसे मामलों में सूचना का आदान प्रदान होने लगा है इसलिए पता कर उक्त पैसा जल्द से जल्द वापस लाने और पूर्व की घोषणा अनुसार हर व्यक्ति के खाते में 15-15 हजार रूपये जमा कराने की योजना को लागू कराने की कोशिश होनी चाहिए। अगर जमा धन कम हो तो उसी हिसाब से उसे विभाजित कर मध्यम और गरीब दर्जे के व्यक्तियों के बैंक खातों में तो इसे जमा कराने के कथन का पालन समयानुकुल होना ही चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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