asd विमान दुर्घटनाएं आम आदमी की हवाई यात्रा करने का सपना कर रही हैं कमजोर! जांच करने और मुआवजा देने से ही काम नहीं चलने वाला, दोषियों के खिलाफ भी हो कार्रवाई

विमान दुर्घटनाएं आम आदमी की हवाई यात्रा करने का सपना कर रही हैं कमजोर! जांच करने और मुआवजा देने से ही काम नहीं चलने वाला, दोषियों के खिलाफ भी हो कार्रवाई

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बीते दिनों गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया के विमान की हुई दुर्घटना और उसमें मारे गए लगभग 270 लोगों की मौत से यह लगा था कि अब नागरिक उडडयन मंत्रालय जागरूक होकर सख्त निर्णय लेगा और बिना पूर्ण जांच के किसी भी हेलीकॉप्टर या विमान को उड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उसके बावजूद केदारनाथ में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए सात लोगों की मौत को क्या कहना चाहिए यह पाठक और जनता तय करे। क्योंकि उक्त दुर्घटना को लेकर अलग अलग लोगों की राय और चर्चा है। इसलिए यह उम्मीद की जाती थी कि सरकार अब इस ओर विशेष ध्यान देगी लेकिन उसके बावजूद पेड़ से टकराते ही जमीन पर गिरा हेलीकॉप्टर और उठने लगी लपटें। आकस्मिक दुर्घटना होना बड़ी बात नहीं है लेकिन फाइलों से जो बाहर निकल रही हैं हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच वो सोचनीय है क्योंकि खबर के अनुसार बीते डेढ़ माह में पांच हादसे हो जाने के बाद भी विमान प्राधिकरण और उडडयन एजेंसियों पर निगाह रखने वाली कंपनियों की कार्यप्रणाली में सुधार क्यों नहीं हुआ। क्योंकि कई लोगों का कहना है कि उड़ान में इससे संबंध कई खामियां हो सकती हैं। फिर जब मौसस सही नहीं था तो यात्रियों को केदारनाथ ले जाने हेतु उड़ान की अनुमति क्यों दी गई। अब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी कह रहे हैं कि हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सख्त एसओपी बनेगी। मुख्यमंत्री जी यह तो सही है लेकिन जिन लोगों की जान गई उनका क्या कसूर था और बीते डेढ़ माह में हुई पांच दुर्घटनाओं के दोषियों के लिए क्या सजा और जुर्माना निर्धारित किया गया यह बात स्पष्ट होना सबसे ज्यादा जरूरी है। इससे भी बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि विमान दुर्घटना के बाद उच्चाधिकारियों और विभागों में तालमेल की इतनी कमी क्यों थी कि पहले यात्रियों को परिजनों को देहरादून बुलाया गया और फिर वहां पहुंचने पर गुप्तकाशी। सब जानते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में मृतकों के परिवारों की क्या स्थिति होती है और उन्हें सांत्वना और मानवीय संवेदना की कितनी बड़ी आवश्यकता होती है। उसके बावजूद उन्हें कभी देहरादून फिर गुप्तकाशी बुलाया जाना कहां तक उचित था। सात मृतकों में दो साल का बच्चा और पायलट भी शामिल है। वह कुछ दिन पहले वैवाहिक संबंधों में बंधा था। कुछ खबरों में जो यह कहा जा रहा है कि यात्रियों के लिए काल का ग्रास बन रही है हेलीकॉप्टर सेवा बीते दिनों हुई दुर्घटनाओं को देखते हुए सही नहीं कह सकते। मेरा मानना है कि धार्मिक यात्रा पर जा रहे या अन्य में दुर्घटनाओं की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए आर्यन हेली सेवा निलंबित किया जाना और कंपनी के दो मैनेजरों पर केस से इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को राहत मिलने वाली नहींे है। इसके लिए हर मृतक के परिजनों को पांच पांच करोड़ का मुआवजा दिलाने के साथ ही उत्तराखंड सरकार परिजनों की मदद करने के साथ उन्हें सरकारी नौकरी दे जिससे ऐसे मामलों में उत्पन्न होने वाली समस्याएं ना हो पाएं। रही बात दो दिन चारधाम यात्रा हेलीकॉप्टर सेवा बंद करने की तो इससे कुछ होने वाला नहीं है। मेरा मानना है कि जब तक पूर्व में हुई पांच दुर्घटनाओं की जांच पूरी ना हो और दोषियों को सजा ना मिल जाए तब तक यात्राएं शुरू ना हो तो अच्छा है।
अगर हम बात करें सामान्य तौर पर तो ब्रिटेन के लड़ाकू विमान एफ-35 की केरल में आपात लैंडिंग। गोवा की फलाइट का पहला ऑफर रोका आखिर ऐसी स्थिति क्यों आ रही है। विमान यात्रियों और चालक दल के समक्ष इस पर गहन विचार विमर्श के साथ ही दोषी कंपनियों पर कार्रवाई हो और उसके बाद पूर्ण गुणवत्ता तय होने के बाद ही हेलीकॉप्टर या विमानों को उड़ने की अनुमति दी जाए। चाहे वह धार्मिक यात्रा पर जाने वाली हो या देश विदेश ले जाने या चुनाव के दौरान नेताओं को ले जाने की अनुमति दी जाए। एअर इंडिया के प्रमुख कह रहे हैं कि विमान यात्रा में व्यवधान पर मुआवजा देंगे लेकिन क्या उनके मुआवजे से जो लोग काल के गाल में समा गए वो वापिस आ जाएंगे। कहा जा रहा है कि डीएनए टेस्ट से मृतकों की पहचान हो रही है। गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी की पहचान भी इसी माध्यम से होना बताया जा रहा है। गुजरात हादसे की जांच के लिए गठित समिति की उच्च स्तरीय पहली बैठक आज हो रही है। इसी दौरान ब्लैक बॉक्स के दुर्घटना के राज खोलने और कॉकपिट बॉक्स में जो रिकॉर्डर मिला है उससे काफी कुछ पता चलने से इनकार नहीं किया जा सकता। पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा द्वारा दुर्घटना स्तर का निरीक्षण किया गया है। इससे भी काफी बातें उभरकर सामने आएंगी।
यह कोई पहली विमान याहेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं नहीं है। पहले भी होते रहें और अनेक वीआईपी नागरिकों के साथ इनका शिकार होते रहे है। कोई यह कहे कि बिल्कुल रोक लग जाएगी तो यह संभव नहीं लगता है लेकिन ऐसी दुर्घटनाओं के हर चीज पर ध्यान देकर नियमों का पालन कराए जाए तो इनमें कमी आ सकती है। बाकी भगवान ने जिसकी जैसी लिख दी है उसे वैसे ही जाना है। हम कितना ही प्रयास कर लें जिसे ऊपर वाले ने बुलाने की तैयारी कर ली उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन जिस तरह से हवाई दुर्घटनाएं हो रही हैं वो बेहद दुखद है। आम आदमी की चिंता भी बढ़ा रही हैं। इनमें कमियों का उत्तर जरूर मिलना चाहिए और इसे तो नजर अंदाज किया ही नहीं जाना चाहिए कि जब खराब मौसम के बाद सबकुछ पता था तो हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति कैसे दी गई। लोगों का कहना है कि यह कंपनी नियमों का पालन भी नहीं कर रही हैं। पूर्व में इन पर जुर्माना लग चुका है। आखिर उसके बावजूद इन्हें इस प्रकार की सेवाओं की अनुमति क्यों दी जाती है। इसका उत्तर हर नागरिक चाहता है क्योंकि जिस प्रकार से बच्चों को अच्छी नौकरियां मिल रही है उससे आर्थिक स्थिति सुधर रही है तो कितनी कंपनियां कर्मचारियों को विदेश भेजती है। ऐेसे में परिवार के सदस्य चाहते हैं कि उनके मां बाप विदेश यात्रा करें मगर इस प्रकार की दुर्घटनाओं से विदेश जाने हवाई यात्रा करने का जो सपना हम देख रहे हैं वो कमजोर हो रहा है। इस प्रकार की शंकाएं दूर हो इसके लिए उडडयन मंत्री बयानबाजी करने की बजाय सख्त कदम उठाएं। जिससे देश के विकास और आम आदमी के मनोरंजन का यह माध्यम विवादों में ना फंसे। सब कार्य सुगमता से पूरे होते रहे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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