आजकल नाले नालियों में व्याप्त गंदगी में कुछ कमी लाने और सड़को के किनारे पड़े गोबर से पैदा हो रहे मच्छरों से बीमारियों के साथ ही अदालत के निर्देश और सरकार के आदेश पर पिछले काफी समय से बस्ती के बीचो बीच सरकारी जमीन घेनकर चल रही डेयरियों के खिलाफ जो अभियान चल रहा है उससे इनके चलते परेशान नागरिक राहत की सांस ले रहे हैं। मगर एक समस्या जो दिखाई देती है वो यह है कि डेयरियां समाप्त करने और बस्ती के बीच में ना चलने देने के लिए इन्हें तोड़ा जा रहा है और संचालकों पर कार्रवाई भी हो रही बताई जा रही है। मगर यह व्यवसाय इतना फैल चुका है कि आसानी से नहीं सिमट पा रहा क्योंकि एक तरफ डेयरी तोड़ी जाती है तो दूसरे दिन ही वह फिर वहीं जानवर पालने लगते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी जिलाधिकारियों के माध्यम से शहर के बीचोबीच सरकारी जमीन घेरकर चल रही डेयरियों से जमीनें मुक्त कराई जाएं और इनके संचालकों से शपथ पत्र लिया जाए कि वह पुराने स्थान पर जानवर नहीं पालेंगे। जो इनका पालन ना करे उसकी गाय भैंस जब्त की जाएं। तभी इन डेयरियों पर काबू पाया जा सकता है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता द्वारा इन डेयरी संचालकों के खिलाफ उठाई आवाज पर निर्देश तो बहुत हुए मगर उनका पालन नहीं हो रहा है। इस समय जो अभियान डेरियों को लेकर चल रह हेैं वो काफी कामयाब दिखाई देते हैं अगर थोड़ा सख्ती दिखाई जाए तो नियम विरूद्ध कार्य करने पर मुकदमा दर्ज किया जाए। क्योंकि शासन प्रशासन की सख्ती आम आदमी के लिए राहत का पैगाम लेकर आएगी। दूध बेचने पर किसी को कोई ऐतराज नहीं है लेकिन ऐसा करने वाले डेरियां शहर से बाहर चलाएं यह वक्त की सबसे बड़ी मांग है।
सरकार को चाहिए कि एक अभियान चलाकर गली मोहल्लों या सार्वजनिक जगहों पर जो करोड़ों रूपये की जमीनें दबंगों द्वारा घेरकर उस पर डेरी व्यवसाय किया जा रहा है वो खाली कराई जाए क्योंकि घनी आबादी में इनके कारण नागरिकों को बीमारियां होने के खतरों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
दूध बेचने पर नहीं है किसी को ऐतराज, शहर के बीच संचालित डेरियों और उनके संचालकों पर हो कार्रवाई
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