वाराणसी 14 जून। सिगरा के जयप्रकाश नगर (माधोपुर) स्थित देसी शराब ठेके में चिखना वाले से लेन-देन को लेकर हुए विवाद में बीच-बचाव करने पहुंचे भाजपा नेता पशुपतिनाथ सिंह की हुई हत्या के मामले में फास्टट्रैक कोर्ट (प्रथम) के जज कुलदीप सिंह ने 16 अभियुक्तों विकास भारद्वाज, मंटू सरोज, राहुल सरोज, मनीष पांडेय, गणेश सरोज, अभिषेक सरोज, दिनेश पाल, अनूप सरोज, सूरज यादव, रमेश पाल, अनुज उर्फ बाबू सरोज, श्याम बाबू राजभर, विशाल राजभर, संदीप कुमार गुप्ता, सुरेश सरोज व आर्या उर्फ आकाश सरोज को आजीवन कारावास एवं प्रत्येक को साढ़े 29 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने इन अभियुक्तों को गुरुवार को दोषी करार देते हुए सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था और सजा की बिंदु पर सुनवाई के लिए 13 जून की तिथि मुकर्रर की थी। सजा पाए गुनहगारों में फुलवरिया, मंडुवाडीह निवासी संदीप कुमार गुप्ता को छोड़कर शेष 15 अभियुक्त चंदुआ, छित्तुपुर सिगरा निवासी है। अदालत में अभियोजन पक्ष से एडीजीसी मनोज कुमार गुप्ता, विनय कुमार सिंह व वादी पक्ष से अधिवक्ता रवि शंकर राय व प्रेम प्रकाश सिंह गौतम ने पैरवी की।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक वर्ष 2022 में 12 अक्टूबर की शाम करीब सवा सात बजे जयप्रकाश नगर कालोनी में स्थित देसी शराब के ठेके पर अभियुक्त मंटू सरोज व राहुल सरोज अपने दो साथियों के साथ शराब पीने के बाद आपस में गाली-गलौज कर रहे थे।
शराब ठेके के पास में रहने वाले राजकुमार सिंह ने उन्हें रोका तो झगड़ रहे युवा उस समय लौट गए, लेकिन थोड़ी देर बाद 15-20 की (सजा पाए अभियुक्त) संख्या में युवक लोहे की राड, लाठी-डंडे लेकर लौट आए। मंटू सरोज, राहुल सरोज व अभिषेक के ललकारने पर सभी जान से मारने की राजकुमार सिंह पर टूट पड़े।
शोरगुल पर भाजपा नेता पशुपतिनाथ सिंह पहुंचे और अपने बेटे राजकुमार सिंह को बचाने लगे। यह देखकर हमलावरों ने पशुपतिनाथ सिंह पर हमला कर दिया, जिसमें गंभीर चोट लगने से वह अचेत होकर जमीन पर गिर पड़े। घायलों को बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुंचाया गया जहां डाक्टरों ने पशुपतिनाथ सिंह को मृत घोषित कर दिया।
राजकुमार सिंह ने हमलावरों का नाम पुलिस को बताया। राजकुमार सिंह के भाई रुद्रेश कुमार सिंह ने केस दर्ज कराया तो हमलावर गिरफ्तार हुए। सिगरा पुलिस ने जांच के बाद 18 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें आरोपित दो किशोरों की पत्रावली किशोर न्यायालय में स्थानांतरित हो गई।
पहले इस केस की सुनवाई विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अवनीश गौतम की अदालत में चल रही थी। उनके तबादले के बाद केस की सुनवाई 10 मई 2024 से फास्टट्रैक कोर्ट (प्रथम) की अदालत में स्थानांतरित कर दी गई।
इस दौरान अभियुक्त ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 24 फरवरी 2023 को जमानत अर्जी निरस्त करते हुए एक साल में केस के निस्तारण का आदेश जिला न्यायालय को दिया था। बाद में दूसरे अभियुक्तों ने भी हाईकोर्ट गए तो केस की त्वरित सुनवाई का निर्देश दिए।
कोर्ट ने गुनाह साबित होने पर 18 को उम्र कैद की सजा सुनाई तो अदालत के बाहर जुटे सभी के परिजन जमकर हंगामा किए।