1 बजकर 39 मिनट पर अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ा एअर इंडिया का विमान रन वे नंबर 23 सेेेेेेेेे उड़ते ही 30 सेेकेंड में धराशायी हो गया। जिसमें दुर्घटनास्थल पर लंच कर रहे 24 डॉक्टरों सहित बड़ी तादात में लोग मौत का शिकार हुए। कुछ इस दुर्घटना के लिए इंजन कमजोर होने की बात कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि दो पक्षियों के टकराने से हादसा हुआ। बताते हैं कि पायलट सभरवाल ने दी थी मेडे कॉल। दुर्घटना का कारण तो लंबी जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन इस ह्रदयविदारक घटना को लोग बड़े समय तक नहीं भूल पाएंगे। अमेरिका ने दुर्घटना की जांच के लिए अपना दल भेजने की पेशकश की है। एअर इंडिया द्वारा हर मृतक के परिवार को एक-एक करोड़ रूपये मुआवजा देने की बात की गई है। लेकिन इस उड़ान की त्रासदी यह हादसा पीड़ित और देशवासी आसानी से भूल नहीं पाएंगे। एअर इंडिया ने नागरिकों को जानकारी देने के लिए अपना आपातकालीन केंद्र खोल दिया है। बताते हैं कि इस दुर्घटना के बाद सड़क पर सभी शव आसपास में दिखाई दे रहे थे। बताते हैं कि इस विमान में 129 भारतीय, 53 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और एक कनाडाई सहित 12 क्रू मेंबर भी शामिल थे। दुर्घटना में गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी की भी मौत हो गई। वह अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। कुछ 241 तो कुछ 261 और 265 और 266 लोगों के मरने की बात कर रहे हैं। हवाई जहाज में जितने यात्री थी उनके अलावा दुर्घटना स्थल पर कितने लोग मरे यह अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा क्योंकि सब आंकड़े अलग अलग बता रहे हैं।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का कहना है कि देश प्रभावित लोगो के साथ खड़ा है। पीएम मोदी ने दुर्घटना को ह्रदयविदारक बताया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ का कहना है कि विनाशकारी मानवीय त्रासदी का सामना करने के लिए इस दुर्घटना ने मजबूर दिया है। शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में गृहमंत्री अमित शाह, नेता विपक्ष राहुल गांधी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीव स्टार्मर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी, दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, अश्विणी वैष्णव, शिवराज सिंह चौहान, पीयूष गोयल, ज्योतिरादित्य सिंधियां आदि सहित तमाम नेता शामिल हैं। बताते हैं कि इस ड्रीमलाइनजर की बैट्री और बनावट तथा तकनीकी को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। यह भी पढ़ने को मिला कि पूर्व में कुछ समय इसकी उड़ाने भी रद की गई थी। सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक इस दुर्घटना ने एअर इंडिया को ब्रांड बनने से रोक दिया। कुछ का यह भी कहना है कि भारत के इतिहास में यह दुर्घटना विनाश की है। एअर इंडिया द्वारा सोशल मीडिया हैंडल से अपने आप को दूर कर लिया गया। जानकारों का कहना है कि दुर्घटना की जानकारी में महीनों लगेंगे। लेकिन एक बात जो इतने लोगों की मौत का कारण बनी उसे लेकर यह विशेष कहा जा सकता है कि जब यह बोईंग ड्रीमलाइनर विमान विवादों में रहा तो इसे उड़ने की इजाजत कैसे दी गई और पहले यह जांच क्यों नहीं की गई कि इसमें समस्या तो नहीं आ रही है। इस विनाशकारी दुर्घटना से पूर्व दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचे एक युवक ने कई खामियां होने की बात भी गिनाई थी। आकाश वत्स नामक ने अपनी पोस्ट में लिखा कि मैं उड़ाने भरने से पहले दो घंटे पहले उसी विमान में था। दुर्घटना में जिंदा बचे एकमात्र यात्री रमेश कुमार विश्वास की सीट आपातकालीन द्वार के पास थी इसलिए उन्होंने विमान से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई। सवाल उठता है कि देश के इतिहास की इतनी बड़ी दुर्घटना जिसमें इतने लोगो की जान गई और कारण बने विमान की कमियां काफी सुर्खियों में रहने के बाद भी किसके कहने या प्रभाव में आकर उड़ान की अनुमति दी गई इसका तो पता अपनों को खोने वालों को चलना ही चाहिए। मेरा मानना है कि मुआवजा देना शोक व्यक्त करना यह हमेशा की बात हो गई है। घटनाएं होती हैं हंगामा मचता है मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी जाती है लेकिन कुछ दिनों बाद हम सब भूलकर अपने काम में लग जाते हैं मगर अब मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदारों का निर्धारण कर जो अफसर दोषी है या विमान कंपनिया उनकी जवाबदेही तय की जाए। मरना जीना भगवान के हाथ में है। मगर इस एक शब्द को बोलकर इस दुर्घटना की कमियों और जिम्मेदारों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पीएम साहब मेरा मानना है कि देश में जितनी विमान कंपनियां हैं उनमें निर्धारित नियमों का कितना पालन हो रहा है। सुरक्षित उड़ान के लिए क्या किया जा रहा है और जो पायलट भर्ती किए जा रहे हैं वो नियमों का पालन करते हैं या नहीं इसकी जांच कर संचालन करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया जाए और बोइंग 787 को जांच पूरी होने तक उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया जाए। जो यात्री इसमें मारे गए उनके परिजनों की मदद की जाए क्योंकि एक करोड़ का मुआवजा इस घटना के घावों को आसानी से नहीं भर सकता। जरूरतमंद परिवारों को सरकारी नौकरी और सरकार भी मुआवजा दे। और यह समझ लें कि हादसे और मौत किसी भी कारण से हो शोक संवेदना व्यक्त करने से कुछ होने वाला नहीं है। अब सरकार को जवाबदेही तय कर नागरिकों के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं को किसी कमी के चलते नहीं होने दिया जाएगा। बाकी भगवान मालिक है जो होना होगा वह होकर रहेगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अनेक खामियां होने के बाद भी एअर इंडिया के इस विमान को उड़ने को क्यों दी गई इजाजत! पीएम साहब एक करोड़ मुआवजा देने से अपनों से बिछड़ने का घाव भरने वाला नहीं है सरकार दुखी परिवारों की हर तरह से मदद करे
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