किसी वर्ष कम तो कभी ज्यादा सर्दी गर्मी बरसात पर्यावरण संतुलन बिगड़ने और चारों तरफ व्याप्त गंदगी पेड़ों की कटाई जल जमीन के दोहन के चलते तीनों मौसम पहले के मुकाबले बिगड़ते ही जा रहे हैं। इस बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता और यह भी सही है कि आदमी को जागरूक करना बहुत जरूरी है मगर जिस प्रकार से हमारा मीडिया गर्मी तपस और लू को लेकर प्रचार कर रहा है वो समझ से बाहर है। कोई लिख रहा है एनसीआर समेत तप रहा है आधा भारत। कोई बता रहा है कि सूरज की तपिश ने झुलसाया दिल्ली में पारा 44 पार जिलोें में लू का रेड अलर्ट। एक का कहना है कि पारा 45 के पार पहुंचा। दो दिन और भीषण गर्मी के आसार। यूपी में बरस रही है आग 18 जिले भटटी जैसे तपे। बूंद बूंद को तरस रहे हैं लोग। धधक रहा है आसमान भभक रही है धरती। इसके चलते सौ करोड़ का घाटा कारोबार में दर्शाने के अतिरिक्त कहा जा रहा है कि कूलर एसी भी फेल हो रहे हैं। यह सही है कि गर्मी इस समय पूरे शबाब पर है। इससे बचने के उपाय भी हमें जरूर करने चाहिए। क्येांकि आप स्वस्थ रहेंगे तो सब सही रहेगा। इससे भी इनकार नहीं कर सकते हैं कि विशेषज्ञों के अनुसार लापरवाही बरतने से जान का खतरा बढ़ जाता है। दो से चार बजे के बीच रसोई में खाना बनाने से बचे। पीक ऑवर्स में घर से बाहर ना निकले। स्कूलों की छुटिटयों की मांग होने लगी है। शरीर के साथ आंखों से भी पानी निकलने की बात कही जा रही है। जहां तक स्कूलों की छुटियों की बात है तो यह मांग ही गलत है क्योंकि सभी स्कूलांें में गर्मी की छुटटी हो चुकी है। पानी आवश्यकतानुसार नहीं मिल रहा है क्योंकि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इतने साल बाद ऐसी गर्मी बरसात और सर्दी पड़ रही है तो उस समय तो ना एसी थे ना कूलर फिर भी लोग जिंदा रहते थे। किसी को कुछ कहने लिखने से कोई रोक नहीं सकता लेकिन एक आग्रह जरूर किया जा सकता है कि गर्मी से बचने के उपाय जरूर बताए जाएं लेकिन उन्हें हौव्वा ना बनाया जाए क्योंकि जो खबरें छप रही है मजबूत जीवट का आदमी भी घर से बाहर निकलने में बचने लगता है। पीक ऑवर्स में घर से बाहर निकलते की जो बात तो देश में होटल ढाबों पर लोगों को पूरे दिन काम करना है। अगर नहीं करेंगे तो बेरोजगारी जिंदा नहीं रहने देगी। मैं किसी को सीख तो नहीं दे रहा लेकिन जो यह खबरें लिखते हैं उनके बारे में लोग चर्चा करते हैं कि यह सब एसी कूलर बना रही कंपनियों का प्रचार षडयंत्र हो सकता है। क्योंकि लावड़ रोड के ग्राम ललसाना के 80 साल के वीरेंद्र चौधरी प्रतिदिन हर मौसम में दस किमी का पैदल सफर कर काली पलटन मंदिर पहुंचते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता स्वतंत्र पत्रकार डॉ. संजय गुप्ता एसी कूलर की सुविधा नहीं भुगतते और पूरी तौर पर स्वस्थ रहते हुए दूसरों को जागरूक करते हैं। रोटी कमाने के लिए जो व्यक्ति रिक्शा चला रहा है ईट ढो रहा है या सड़क बनाने में लगे है। किसान खेतों में काम कर रहे हैं। मध्यम दर्जे का व्यक्ति कही पैदल दूर जाकर मीलों दूर जाकर काम कर रहे हैं तो जिन लोगों के लिए गर्मी महसूस हो रही है अगर इसका प्रचार करने की जरूरत है तो उस वर्ग को जागरूक करें तो अच्छा है। इसके लिए मीडिया के माध्यम से या कोई ऐप बनाकर परेशान लोगों को जागरूक कर सकते हैं आम आदमी के लए आप की सीख अब डर का कारण बन चुकी है। ऐसा चला तो आम आदमी भूखमरी के कगार पर पहुंच सकता है। ऐसी नुकसानदायक सलाह देना बंद करो। अफसरों को जागरूकर करों कि वो सफाई और पेयजल का इंतजाम करंे जिससे गर्मी से बचा जा सके।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
लू गर्मी का बवंडर खड़ा कर आम आदमी को डराना बंद करो, सर्दी गर्मी बरसात हमेशा होती रही है कोई नई बात नहीं है
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