कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी के बारे में कोई कुछ भी कह ले लेकिन कांग्रेस को वर्तमान में संजीवनी देने के लिए देश में पैदल यात्रा से आम जनमानस का ध्यान इस पार्टी की ओर दोबारा गया और लोकसभा चुनाव में उसका लाभ भी मिला। क्योंकि विपक्ष का नेता बनने लायक सांसद सहयोगी दलों से मिलकर लोकसभा में पहुंच ही गए। पिछले दिनों राहुल गांधी द्वारा निजी संस्थानों में आरक्षण और छात्रवृति के लिए प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर मांग की गई। उनका कहना है कि दलित ओबीसी छात्रों को छात्रवृति और हॉस्टल में सुधार किया जाए और उनकी समस्याओं के समाधान के साथ ही सभी सुविधाएं दी जाएं। ऐसेे अनेक मुददे राहुल गांधी ने पीएम को लिखे पत्र में उठाए। लेकिन राहुल जी हॉस्टल में सुधार और समय से छात्रवृति की मांग तो आपकी पूरी तौर पर ठीक है लेकिन निजी क्षेत्रों में आरक्षण का जो मुददा आपने उठाया है वो देश में उद्योगों को बढ़ावा देने की तैयारियों के दौरान सही नहीं कह सकते। सांसद जी हर आदमी को उसकी काबिलियत के अनुसार सभी सुविधाएं और पालन पोषण के लिए उसे कोई परेशानी ना हो यह सब चाहते हैं लेकिन जो हाल कांग्रेस के तीन समाचार पत्रों से संबंध संस्थानों का हुआ जिसे लेकर आपकी पार्टी और नेता कई कठिनाई झेल रहे हैं और सबकुछ होने के बाद भी आपके प्रकाशन संस्थान बंद हो गए और कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया ऐसा ही हाल आप निजी संस्थानों में आरक्षण की बात कहकर उद्योगों में क्यों कराना चाहते है। देश में हर आदमी मेहनत कर कमाना चाहता है। इसलिए आप मजदूरों को देख सकते हैं। वो सुबह से शाम तक मेहनत कर अपने परिवार को चला रहे हैं लेकिन आरक्षण के नाम से काम करने वालों की जरूरत निजी क्षेत्रों में नहीं है। इनमें एक आदमी की जरूरत होती है तो 100 तैयार होते हैं और मजदूरी करने वाले भी यहां आने वालों की कमी नहीं है। ऐसे में निजी क्षेत्रों के बारे में इस प्रकार की राय देश के विकास को ध्यान में रखकर ना ही दें तो अच्छा है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल जी आप क्यों चाहते हैं जो हाल आपके प्रकाशन संस्थानों का हुआ वो निजी क्षेत्र के उद्योगों का भी हो
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