मुंबई,07 जून। आरबीआई सोने के बदले कर्ज देने के ऋण-मूल्य अनुपात को मौजूदा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की तैयारी में है। इसका मतलब है कि ग्राहकों को गिरवी रखे गए सोने की कुल कीमत का 85 फीसदी तक ही ऋण मिलेगा।
अभी तक कर्ज-मूल्य अनुपात 75 प्रतिशत था। अब इसे 2.5 लाख रुपये से कम के छोटे ऋण के लिए 85 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी जाएगी। एलटीवी की गणना करते समय मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाएगा, जबकि वर्तमान में केवल मूलधन पर ही जोर दिया जाता है।
सरकार ने आरबीआई से 2 लाख रुपये तक के लिए गोल्ड लोन लेने वालों को राहत देने की बात कही थी. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि उसने 2.5 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन के लिए नए नियम बनाए हैं. अब सोने को गिरवी रखकर 2.5 लाख रुपये या उससे कम का गोल्ड लोन लेने वालों को उनके सोने की वैल्यू के 85 प्रतिशत तक का अमाउंट लोन के तौर पर मिल जाएगा. इतना ही नहीं इस 85 प्रतिशत में गोल्ड लोन का ब्याज भी शामिल होगा.
आरबीआई ने पहले जो मसौदा पेश किया था, उसमें ये लिमिट 75 प्रतिशत थी. हालांकि उसमें ब्याज का कैलकुलेशन अलग से किया जा रहा था. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कई जगहों पर ये देखने को मिला कि जब 75 प्रतिशत की वैल्यू में ब्याज को शामिल किया जाता है, तो आम लोगों को सोने की वैल्यू का करीब 65 प्रतिशत तक ही लोन मिल पाता था. वहीं अगर 75 प्रतिशत की वैल्यू के ऊपर ब्याज कैलकुलेट होता, तो ओवरऑन वैल्यू 88 प्रतिशत तक पहुंच जाती. इसलिए अब ब्याज सहित 2.5 लाख रुपये से कम के लोन पर गिरवी रखे सोने के 85 प्रतिशत तक का ही मोल मिलेगा.
नए नियम जल्द आएंगे : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने गोल्ड लोन के लिए गिरवी रखे जाने वाले सोने की ओनरशिप को लेकर भी स्थिति साफ कर दी. उन्होंने कहा कि गोल्ड लोन के लिए जो सोना गिरवी रखा जाएगा, उसका ओनरशिप प्रूफ करने के लिए ग्राहकों को इनवॉयस या परचेज रिकॉर्ड देना होगा. अगर कोई इनवॉयस नहीं है, तो वह सिंपल अंडरटेकिंग भी दे सकते हैं.
हालांकि उन्होंने ये साफ किया कि आरबीआई ने जो गाइडलाइंस तैयार किए हैं, वो असल में उसके अलग-अलग समय में जारी किए गए सर्कुलरों को एक जगह लाने का काम है. वहीं अभी ये अंतिम नियम नहीं है, सिर्फ मसौदा भर हैं. नोटिफाई होने के बाद ही इन्हें नया नियम माना जाएगा.
मल्होत्रा ने कहा कि सोने के ऋण से जुड़े नए दिशा-निर्देशों पर कुछ समय से काम चल रहा है। इस पर सार्वजनिक परामर्श और कदमों के प्रभाव का आकलन करने के बाद अंतिम नियमन जारी किए जाएंगे।